मंदिर से अर्थ है, पूजा अर्चना ध्यान स्थल जो ईश्वर के सन्मुख किया जाता है। प्रतीक रूप से भगवान को मूर्ति में मानना जो हमें ध्यान लगाने में सहयोग करें। मंदिर प्रवृत्ति मार्ग का परिचायक है, यह माना जाता है भगवान सब देख रहा है। मंदिर का मतलब आध्यात्मिक केंद्र जहाँ हिन्दू कुछ पल तनावमुक्त होकर ऊर्जा का एहसास करता है।
यहाँ ईश्वर सगुण रूप में विराजमान है वह धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष का नियंता है। वह सर्वगुणसम्पन्न, सर्वशक्तिमान, कर्म – फल का दंड देने वाला, पाप पुण्य का भेद करने वाला इस सृष्टि का आदि कारण है। वह करते हुये भी नहीं करता है नहीं करते हुये भी करता है। वह सब कुछ कर सकता है वह सर्वथा सामर्थ्यवान है।
मनुष्य की नैतिकता को आचरित करने के वह विग्रह रूप मंदिर में विराजमान है वैसे वह कण कण में रहता है। प्रकृति प्राण जीवंतता उसी के कारण है। वह हमारी आस्था और मुक्ति का केंद्र है।
बहुत से नास्तिक और तर्क वादी ईश्वर के होने पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करते है लेकिन एक बात ज्ञात रहे आधुनिक विज्ञान भी सृष्टि के क्रम की सटीक व्याख्या अभी भी नहीं कर पाया है इसलिये ईश्वरीय विचार पूरे विश्व में स्वीकार है। विकल्प ही दूसरे को स्थान भर सकता है।
अब रही राम मंदिर की बात, राम हिन्दू के मनमंदिर के देवता है आस्था, प्रेम, विश्वास मंदिर टूटने के बाद भी कम नहीं हुआ। 1000 वर्ष विदेशी शासन ने हिंदुओ को पराजित भाव सिखाया। भारत 1947 में आजाद होने के बाद धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा को शासन ने विकसित कर लिया।जिसके वजह से उसने अयोध्या में मंदिर का मामले में राजनीतिक पक्ष ही आया। मंदिर के महत्व का पक्ष गौड़ हो गया। वैसे भारत के मुसलमान अपनी पूजा पध्दति बदली आस्था के स्थल नहीं अयोध्या, मथुरा, काशी, अजमेर, प्रयाग में आस्थाकेन्द्र बनाने की क्या आवश्यकता थी, जो लोग अयोध्या के मंदिर के खिलाफ है उनसे प्रश्न है हमें राम का मंदिर अयोध्या में क्यों नहीं चाहिये? हम मूर्तिपूजक है हमारे सबसे बड़े देव विष्णु ने राम के रूप में जन्म लिया था जिसके प्रमाण हमारे ग्रंथों में भरे पड़े है, विवादित ढाँचे के नीचे मंदिर के पिलर पुरानी मूर्तिया खुदाई में मिली है लेकिन अभी भी कुछ तथाकथित बौद्धिक प्रमाण मांग रहा है।
2003 से 2010 तक हाईकोर्ट के देख रेख में आर्किलोजी सर्वे ऑफ इंडिया और ड्रोन सर्वे में भी मंदिर होने की भी पुष्टि हुई। सद्दाम हुसैन भी राम मंदिर के लिये कहता था कि भारत में हिंदुओं के नबी राम की जन्म भूमि है और सच्चा मुसलमान विवादित स्थल से दूर रहता है जो विवाद धर्म स्थल के विवाद में पड़े वह इस्लाम वाला कैसे होगा?
जो मूर्ति पूजक नहीं है उसे मक्का में मस्जिद, वेटिकन (रोम) में चर्च की आवश्यकता क्यों है? येरुशलम के लिये यहूदी, मुस्लिम, ईसाईयो का त्रिपक्षीय संघर्ष क्यों जारी है?
अयोध्या में सिर्फ राम के मंदिर की ही बात नहीं है यह प्रतीक है हिन्दू भावनाओं का जो 1000 सालों से दबाई गई है। मुसलमानो के आक्रमण में सहज ही मंदिर को केंद्रित करने का कारण दूरगामी था उनकी आकांक्षाओं को कुचलना भारत के मौलिक ज्ञान को छिन्न भिन्न करना था क्योंकि टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता, पराजित मानसिकता विज्ञान और स्वस्थ समाज कैसे निर्मित करेगी? हमारी नई और आने वाली पीढ़ी पर इसका असर पड़ता है।
मंदिर का बनना भारतीय पराजित मानसिकता और आत्मग्लानि से बाहर आयेगा। तब भारत विश्व को नई ज्योति दिखायेगा जिसकी सदियों से आशा है। विश्व ने इस्लाम के मार-काट और ईसाइयों के लालची और बांटो और राज करो का शासन देख लिया है। अब समय और मौके दोनों है कि भारतीय नेतृत्व की पताका और उसकी समरसता, सौहार्द, प्रेम का प्रयोग विश्व मे स्थाई शांति के लिये किया जाय।
Ayodhya me Ram mndir ka nirman hona hi chahiye.
Ekdam sahi bat👌👌👌
👌👌👌👌💐💐
Sahi me yadi mandir ban jaye to hindu jag jayega..