फेसबुक की दुनियां

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शर्मा जी अभी घर पहुंचे ही थे, पत्नी पानी का ग्लास थमाते हुवे बोलीं अभी गायकवाड साहब का परिवार आया था होली मिलने, आप उनके यहाँ गए थे या नहीं? शर्मा जी कुछ बोले नहीं बस ना में सर हिला दिया।

अब शर्मा जी करें भी तो क्या कहाँ – कहाँ जाएँ दो बेटे हैं लेकिन दोनों ही इस बार होली में घर नहीं आये, बोले छुट्टी नहीं मिली। पत्नी पानी दे कर घर के दुसरे कामों में लग गयीं, शर्मा जी वहीँ कुर्सी पर बैठे – बैठे अतीत कि यादों में खो गए। वह क्या समय था जब होली के दिन परिवार के सभी सदस्य मिल कर होली मानते थे, कटहल कि सब्जी जरुर बनती थी। अभी पिछले साल की ही तो बात है जब होली के लिए बाज़ार से ढूंड कर देसी कटहल लाये थे, बड़ी मुश्किल से दुकानदार ने सौ रुपये किलो का भाव लगाया था, बहुत अच्छी सब्जी बनी थी।

इस बार तो जैसे किसी बात का उत्साह ही नहीं। लोंगों को भी पता नहीं क्या हो गया है? तिवारी जी जो अभिन्न मित्र हैं हर साल आते थे लेकिन वह भी इस बार नहीं आये, मै भी नहीं जाऊंगा, और ये गायकवाड साहब, जो कभी नहीं आते थे, ऑफिस में भी बात करने से कतराते हैं, वह आये। हूँ.. नई गाड़ी जो ली है, जरुर यही बात रही होगी। अभी शर्मा जी इसी उधेड़ – बुन में लगे हुवे थे तभी मोबाइल की घंटी बजी, देखा तो फेसबुक का नोटिफिकेशन था, पत्नी को आवाज लगाये – “अरे सुनती हो, मेरा चश्मा तो देना” पत्नी शायद रसोई में थीं वहीँ से आवाज दीं – “वहीँ टेबल पर रखा है” अरे हाँ यह तो यहीं है, चश्मा लगा कर देखा तो ख़ुशी से पत्नी से बोले – “सुनती हो, कल जो तुम होली का पोस्ट की थी, उसपर 400 लाईक और 150 कमेंट्स आयें हैं” पत्नी अन्दर से ही बोलीं – “किसने – किसने कमेंट किये?” शर्मा जी बोले – “अरे तुम्हारी दिल्ली वाली भाभी भी की हैं”

पत्नी झट से अपना काम छोड़ कर हाथ पोछते हुए आयीं – “क्या लिखी है?” इतना कहते हीं पीछे से खड़ीं होकर मोबाइल में देखते हुए बोलीं – “कहाँ?” शर्मा जी बोले – “ये तो रहा, तुम्हे चरण स्पर्श लिखी है” पत्नी मोबाइल लेते हुए बोलीं – “लाइए मेरा मोबाइल, सबको रिप्लाई करना है, आप अपना मोबाइल देखिये, आपके पोस्ट पर तो हजारों में लाईक और कमेंट्स आते हैं”

शर्मा जी मोबाइल देते हुए उठे और झट से कपडे बदलते हुए फिर अपनी जगह आ कर बैठ गए, अब हाथ में उनका मोबाइल था, अरे वाह! मेरे पोस्ट पर तो 850 लाईक्स और 280 कमेंट्स हैं दोनों लोग अपना – अपना मोबाइल लिए खो गए फेसबुक ही दुनियां में। तभी दरवाजे की घंटी बजी, पहली घंटी पर कोई नहीं उठा लेकिन जब दूसरी घंटी बजी तब पत्नी उठीं जा कर दरवाजा खोला, अन्दर आकर बताई कि तिवारी जी आयें हैं, शर्मा जी मोबाइल रखते हुवे धीरे से बोले – “आ गए अब एक घंटें तो समय ख़राब करेंगे” मन मसोस कर उठे और पत्नी से बोले कुछ चाय नाश्ता लाओ जल्दी विदा करते हैं।

अस्वीकरण: प्रस्तुत लेख, लेखक/लेखिका के निजी विचार हैं, यह आवश्यक नहीं कि संभाषण टीम इससे सहमत हो। उपयोग की गई चित्र/चित्रों की जिम्मेदारी भी लेखक/लेखिका स्वयं वहन करते/करती हैं।
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