प्राचीन समय में भारत में योगिनी माता के मंदिर बनते थे किन्तु समय के साथ योगिनी माता और भैरव के मंदिर बनना बंद हो गए, इनका स्थान अन्य देवों ने ले लिया।
चौसठ योगिनी माता आद्य शक्ति काली का अंश हैं, मुरा नामक राक्षस का वध करने के लिए माता ने अवतार लिया था। मंदिरों में चौसठ कक्ष में चौसठ माता और महादेव का शिवलिंग साथ रहता है। यह तंत्र को भी समर्पित मंदिर है।
भारत में 8 से 9 प्रमुख चौसठ योगिनी मंदिरों का उल्लेख है जिसमें पांच का लिखित साक्ष्य है। तीन मध्यप्रदेश के जबलपुर, मुरैना और खजुराहों में तथा दो ओडिसा के हीरापुर और रानीपुर में हैं। सभी मंदिर 9 वीं से 10 वीं सदी के हैं। योगिनी का अर्थ योगाभ्यास करने वाली स्त्री से है, योगी का स्त्री पर्याय योगिनी है।
समस्त योगिनी अलौकिक शक्तियों से सम्पन्न हैं। इंद्रजाल, जादू, वशीकरण, मारण, स्तम्भन आदि इन्ही की कृपा से होता है। इन्हें अष्ट चौसठ योगिनी माता कहते हैं।
ये अष्ट माता हैं:
- सुरसुन्दरी
- मनोहरा सुंदरी
- कनकवती सुंदरी
- कामेश्वरी योगिनी
- रति योगिनी
- पद्यमिनी योगिनी
- नतिनी योगिनी और
- मधुमती योगिनी
जबलपुर के भेड़ाघाट के पास पहाड़ी पर स्थित चौसठ योगिनी माता का मंदिर कलचुरि राजाओं द्वारा 8 वीं से 9 वीं सदी में बनवाया गया है, किंतु अब यह मूल स्वरूप में नहीं है। मुस्लिमों द्वारा इसके 64 मूर्तियों को खंडित किया गया है। इसी स्थान को माहिर्षि भृगु की जन्मस्थली भी कहा जाता है। मंदिर के बरामदे में शिवलिंग की स्थापना भक्तों के लिए की गयी है।
ग्वालियर के पास मुरैना जिले के मितावली गांव में प्रतिहार राजाओं द्वारा निर्मित लाल बलुवा पत्थर के चौसठ योगिनी माता मंदिर, जिसे इंकतेश्वर महादेव मंदिर भी कहते हैं, अपनी विशिष्ट वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।
इंकतेश्वर महादेव मंदिर के आधार पर ही लुटियंस ने 1927 ईस्वी में संसद भवन का निर्माण किया। यहाँ पर योग और तंत्र का विश्वविद्यालय भी चलता था। किंतु आज इतने सदी के बाद भी लोग, योग और तंत्र सिद्ध करने के लिए यज्ञ करते यहाँ मिल जायेंगे।
खजुराहो मंदिर के पश्चिमी भाग में स्थित चौसठ योगिनी माता का मंदिर चंदेल महाराज द्वारा 875 ईस्वी में ग्रेनाइट पत्थर से बनाया गया था। यह सभी चौसठ योगिनी मंदिरों में सबसे उत्तम और सबसे प्राचीन है।
उड़ीसा के भुवनेश्वर से 20 किलोमीटर दूर हीरापुर गांव में चौसठ योगिनी माता के मंदिर का निर्माण ब्रह्मवंश की महारानी द्वारा किया गया। उड़ीसा के ही वलंगिरि जिले के रानीपुर गांव में 9 – 10 वीं सदी में सोमवंशी केशरी राजाओं द्वारा निर्मित यह चौसठ योगिनी माता का मंदिर वैष्णव तथा बौद्ध तांत्रिक पूजा को समर्पित है। यहाँ त्रिमुखी शिव की पाषाण प्रतिमा है। इसे सोमतीर्थ भी कहा जाता है, यही सोम पहाड़ी और सोमसरोवर भी है। सोमतीर्थ का वर्णन पुराणों में 3 – 4 वीं सदी में हुआ है। आचार्य पाणिनि ने भी इस तीर्थ का वर्णन किया है।
कृपया माताओ के बारे मे और जानकारी दे धन्यवाद
। नमस्कारं 🪷🪷🙏🙏
बहुत ही ज्ञानवर्धक पोस्ट
🙏🙏