दिल्ली सरकार ने हाल में हुए लोकसभा के चुनावों में पार्टी की निराशा जनक प्रदर्शन से सबक लेते हुए 2020 के विधान सभा चुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर दी है और अपने जीत के मूल मंत्र से ही आगे बढ़ते हुए अब दिल्ली में महिलाओं के लिए मेट्रो और बसों में फ्री यात्रा की घोषणा की है।
फ्री मेट्रो मतलब आना फ्री, जाना फ्री और बस एकदम फ्री… जब मर्जी मेट्रो में घुस जाओ और जब मर्जी बाहर निकलो, या न भी निकलो।
गर्मी से, बारिश से, ठंड से बचने का मन हो – चलो मेट्रो फ्री है। कुछ भी करने को नहीं है तो भी चलो मेट्रो फ्री है।
फ्री तो बस भी है लेकिन बस में क्यों जाना जब मेट्रो फ्री है।
जरा सोचिए फ्री मेट्रो कितनी तेजी से मेट्रो और आपके बजट को भी बर्बाद करेगी?
जिसको कुछ नहीं करना वो अब सुबह छह से रात ग्यारह बजे तक मेट्रो में घूम सकते हैं, रह सकते हैं, दिनभर मेट्रो में बस सकते हैं।
फ्री एसी, फ्री स्पेस, फ्री ट्रेवल, फ्री… फ्री… फ्री…
फ्री का मतलब क्या होता हैं? शायद आपको समझ नहीं आया।
दिल्ली मेट्रो में लगभग 30 लाख लोग प्रतिदिन यात्रा करते हैं, एक अनुमान के मुताबिक महिला यात्रियों की संख्या करीब 25% अधिक है। अगर 18 – 19 लाख लोगों को फ्री यात्रा का लाभ देते हैं तब उसका बजट कितना होगा? और यह सब वोट की राजनीति के लिए? जबकि इससे पहले भी केजरीवाल सरकार कोरे वादों के झूठे आश्वासनों से चुनाव जीतने में सफल रही है, हालाँकि वादे तो वादे ही होते हैं।
पिछली बार के किये वादों पर ध्यान दें:
- व्यापारियों की रक्षा और नौकरियों के नुकसान को रोकने के लिए खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रवेश पर रोक
- 1984 सिक्ख दंगा पीड़ितों को न्याय
- अस्थाई कर्मचारियों की स्थाई नियुक्ति
- दिल्ली जन लोकपाल बिल
- स्वराज लाने की बात कही लेकिन केजरीराज चलता है
- दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा
- डिस्कॉम का स्वतंत्र ऑडिट
- दिल्ली का अपना पॉवर स्टेशन
- बिजली वितरण कम्पनियों में प्रतिस्पर्धा की शुरुवात
- दिल्ली को सोलर सिटी बनाने की योजना
- पानी का अधिकार
- मुनक नहर से पानी लाना
- जल संसाधन बढाने पर जोर
- दो लाख सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण
- वाई – फाई
- आठ लाख रोजगार के अवसर
- गावों के विकास पर विशेष ध्यान
- छापे और इंस्पेक्टर राज का अंत
- प्रदुषण कम करने पर जोर
- 5000 नए बसों को जोड़ना जिसमें एक भी नई बस नहीं आई
- पुनर्वास कॉलोनियों का फ्रीहोल्ड
- अनधिकृत कॉलोनियों का नियमितीकरण
इसके आलावा सी सी टी वी कैमरे, बसों में महिलाओं की सुरक्षा के लिए बाउंसर, 500 नए स्कूल, 20 नए डिग्री कॉलेज, फ्री पानी, आधे दर पर बिजली जैसे अनगिनत वादे अभी वास्तविकता के धरातल पर उतर ही नहीं पाए। अब यह एक नया वादा।
लेकिन यहाँ एक फर्क है, वह ये कि पिछले वादे केजरीवाल सरकार को पूरे करने थे लेकिन यह दिल्ली मेट्रो और DTC को करना है, जिसमे दिल्ली मेट्रो में केंद्र और राज्य सरकार की भागीदारी बराबर की है तब यह एक अनुमान है कि शायद यह वादा एक मूर्त रूप ले सके। लेकिन अगर आप 19 लाख महिलाओं की यात्रा 20 रूपये के औसत किराये से भी जोड़ते हैं तो यह किराया 114 करोड़ मासिक और 1368 करोड़ वार्षिक होता है।
केजरीवाल सरकार पैसों की कमी की बात करती रहती है लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि वर्ष 2018 – 19 में केजरीवाल सरकार ने 53000 करोड़ रुपये का बजट पेश किया था और जब 1368 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा तो इसकी भरपाई कैसे होगी? जाहिर तौर पर इसे जनता ही भरेगी और जो न भर पाई तो ठीकरा केद्र सरकार पर, उपेक्षा का आरोप लगा कर फूटेगा। कुल मिला कर इतना तो तय है कि जो जैसा चल रहा है, अगर 2020 में दुबारा केजरीवाल सरकार आई तो फिर वही सब चलेगा और शायद दिल्ली वालों पर इसकी मार भी अच्छी पड़े।
आज जो भी महिलाएं पैसे देकर मेट्रो में जाती हैं, मेट्रो के फ्री होते ही उन्हें मेट्रो छोड़कर कोई और ट्रांसपोर्ट इस्तेमाल करना पड़ेगा क्योंकि फ्री मेट्रो में जो तमाशा होगा उसे झेलना किसी भी कामकाजी महिला के बस का नहीं होगा।
तो तैयार हो जाइये – मेट्रो की बर्बादी के गवाह बनने के लिए।