गांधी, अम्बेडकर और गोडसे, यदि विचार के स्तर पर देखें तो इनमें बहुत भिन्नता है। गांधी और अंबेडकर के शिष्य उनके विचारों को वहीं तक मानते हैं जिससे सत्ता लाभ या कुछ लाभ मिले। गोडसे की कोई शिष्य मंडली नहीं थी क्योंकि क्रांतिकारी प्राणों की आहुति देता है, शिष्यों की मंडली नहीं बनाता। गांधी को भारत का बटवारा स्वीकार नहीं था, नेहरू को सत्ता की जल्दी थी। किसी भी तरह करके गांधी को बटवारे के लिए तैयार किया गया।
पुरुषोत्तम दास टंडन और खान अब्दुल गफ्फार खान गांधी के इस यू-टर्न से अचंभित रह गये थे। टंडन ने विरोध करते हुए सभा का बहिर्गमन किया वहीं गफ्फार खान ने कहा “गांधी जी आपने मुझे भेड़ियों के सामने डाल दिया, मैं अपने लोगों से क्या कहूंगा?”
पाकिस्तान एक नाकाम मुल्क है फिर भी भारत में रहने वाले अधिकतर मुसलमानों के लिए सपने और आदर्श का मुल्क है, AMU और जामिया के बच्चों के लिए पाकिस्तान का कितना क्रेज है, वह जब आप इन विश्वविद्यालय में जायेंगे तो पता चलेगा।
CAA, NRC और NPR के विरोध में खड़े सुन्नी मुसलमान सिर्फ इतना जान रहे हैं कि उन्हें इस कानून से देश से भगा दिया जाएगा। ताकीद दी जा रही कि 1857 का विरोध ज़फ़र के नेतृत्व में उन्होंने किया था, देश के लिए आजादी की लड़ाइयां लड़ी थी। भारत में मुस्लिम शासन के दौरान मंदिर और हिन्दुओं पर हुए अत्याचार की जिम्मेदारी क्यों नहीं लेते हैं?
1946 में मुस्लिम क्षेत्रों में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी, लीग या उसके समर्थित पार्टियाँ जीती। यह बताता है कि मुस्लिमों की नुमाइंदगी सिर्फ लीग कर रही थी। मुस्लिम आबादी के अनुसार भारत से भू-क्षेत्र, बटवारे में मार – काट के बाद ले लिया या कहिये दे दिया गया क्योंकि भारत के बंटवारे का आधार था कि बहुसंख्यक हिंदू देश में मुस्लिमों के हित सुरक्षित नहीं रह पाएंगे।
कोई भी मुस्लिम भारत में नहीं रहना चाहता था, आखिर इसीके नाम पर मुस्लिम लीग को वोट ही मिले थे किंतु जिन्ना ने जितने मुस्लिम पाकिस्तान पहुँच गये थे, उनके बाद और मुस्लिमों के जाने पर रोक लगा दी। भारत से पाकिस्तान गये मुस्लिमों के साथ स्थानीय मुस्लिम दोयम दर्जे का व्यवहार कर रहे थे, उन्हें मुहाजिर कह रहे थे जिससे भारत वाले मुस्लिमों ने भारत में रहना बेहतर समझा और बाद के समय में नई तरकीब निकाली कि जनसंख्या खूब बढ़ाओ जिससे एक दिन फिर से भारत से नया पाकिस्तान ले लेंगे। जिसकी कवायद आज कश्मीर, केरल और पश्चिम बंगाल में चल रही है।
शूद्र हिन्दुओं को जबरन पाकिस्तान में ही रोक लिया गया और कहा गया कि ये चले गये तो लाहौर की सड़कों पर झाड़ू कौन लगायेगा।
गांधी का सिद्धांत हिंदू – मुस्लिम भाई – भाई सिर्फ रक्तपात करवाया। मोपला, नोवाखली, कलकत्ता, ढाका और पंजाब में हिन्दुओं का कत्लेआम हुआ। जोगेंद्रनाथ मंडल जैसे दलित नेता जिन्होंने हिन्दुओं से ज्यादा अपने सह-अस्तित्व की तलाश मुस्लिमों के साथ की और पाकिस्तान भी गये लेकिन अपने लोगों को सुरक्षा न दे पाने के कारण भारत भाग कर आ गये।
अंबेडकर ने कहा मैं भले ही हिंदू धर्म का त्याग कर दूँ लेकिन किसी भी सूरत में में मुस्लिम नहीं बन सकता। मुस्लिमों के सम्बंध में उनके विचार उनकी पुस्तकों में आज भी पढ़े जा सकते हैं। जय भीम – जय मीम के लिए जोगेंद्रनाथ मंडल को पढ़ लेना चाहिए।
गांधी जैसे व्यक्ति को मुस्लिमों के साथ सह-अस्तित्व की तलाश में देश के बटवारे तक को स्वीकार करना पड़ा। ईश्वर – अल्लाह के तराने का क्या हुआ? देश को वाद, आधुनिकता और किसी के विश्व मानव बनने के चक्कर में सेकुलर बना कर सनातन शासन व्यवस्था को कमतर करके साम्यवादी समाज बनाने की घोषणा की गयी। बंटवारे की लाशें देखने के बाद भी औरत को पत्थर मारने वाले शरिया और बुर्खे वालों को समानता के धरातल पर घसीटा गया।
मुस्लिम वह कौम है जो धरती पर मुस्लिमों के साथ नहीं रह सकती, तो आप हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी और सिख के साथ उसे रहने का स्वप्न देख रहे हैं। स्वतंत्रता के समय जो चालें चली गयीं, उनमें भी दूरदर्शिता का अभाव रहा, उसने देश को अनेकों समस्या दीं जिसका समाधान हम 72 सालों में नहीं कर पाये।
लांछन लगाए जाते हैं लेकिन जिम्मेदारी कोई नहीं लेता। देश की एकता के लिए क्या जरूरी है यह सोच स्पष्ट हो किन्तु सत्ताकेंद्रित राजनीति ने भारत को लाचार बना दिया है वहीं हिन्दुओं को दूसरे का चारा साबित किया है।
आज की स्थिति के लिए ही गोडसे ने गांधी का वध किया था। भारत के गली – गली में पाकिस्तान, शरिया, जिहाद, भारत के टुकड़े, हिंदू नाश आदि नारे सुनाई दे रहे हैं, क्या मुस्लिमों को भारत में इसी दिन के लिए रोक कर रखा गया था? भारत में कितने ही ऐसे मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र हैं जिन्हें मिनी पाकिस्तान कहा जाता है क्योंकि वहां शासन व्यवस्था शून्य होने के साथ भारत की सीमा भी समाप्त हो जाती है।
गांधी जी जब देश का बटवारा नहीं रोक पाये तब मुस्लिमों के प्रति पक्षपाती रवैया किस लिए अपनाया। क्या देश केरल और कश्मीर बन जाय, फिर से पाकिस्तान तैयार हो जाय, इस लिए? बल्लभ भाई पटेल ने कहा देश में जगह – जगह पाकिस्तान बन रहे हैं इस लिए हमने पाकिस्तान स्वीकार किया, शरीर का कोई अंग सड़ जाय तब उसे अलग कर देना जरूरी है। किंतु जब बार – बार सड़न पैदा हो रही हो तो यह मनुष्य के देख – रेख की कमी है, बीमारी का लक्षण हैं, बीमारी को दूर करिये शरीर का अंग स्वयं ही स्वस्थ्य हो जायेगा।
गोडसे गांधी का वध तब – तब करते रहेंगे जब – जब गांधी पक्षपात करते रहेंगे, देश के बंटवारे का बीजरोपण करते रहेंगे तब – तब गोडसे खड़े होते रहेंगे। आज मुस्लिम, गांधी – अंबेडकर और संविधान को आगे करके सिर्फ अपने एजेंडे को पूरा करना चाहता है।
नोट: प्रस्तुत लेख, लेखक के निजी विचार हैं, यह आवश्यक नहीं कि संभाषण टीम इससे सहमत हो।
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