देख रहे हैं प्रभु संसार की हालत, कोरोना कहर के बीच चीनी घुसपैठ, मौसम कैसे लगातार रंग दिखा रहा है। जगन्नाथ जी के झंडे में आग लगने। भारतीय तटवर्ती क्षेत्र में लगातार तीन समुद्री तूफान, कई भूकम्प के झटके। अब विमान रनवे से फिसल गया।
टिड्डी दल ने भारत में दस्तक दी जो किसानों के लिए दुःखद रहा। राजधानी में द्रोहीयों ने CAA के खिलाफ धरना दिया परिणाम दिल्ली दंगे की साजिश आतंकवादियों ने अंजाम दिया। फैक्ट्री में विस्फोट से लेकर, नक्सली हमले हुये, कश्मीर में आतंकवादियों को लगातार हूरों के पास पहुँचाने का क्रम जारी रहा और हाँ वासुदेव! कई रामद्रोही सड़ रहे हैं उन्हें सम्मानित मौत का इंतजार है।
हिंदुओं के लिए हे मुरारी! सबसे बड़ी प्रसन्नता लेकर कर आया अयोध्या में श्रीराममंदिर का शुभारंभ। प्रभु अभी काशी का विश्वेश्वर मंदिर और आपकी जन्मभूमि पर म्लेच्छ कब्जा जमाएं है। विधर्मी लगातार सत्ता सुख लेकर आज बहुत जोर का खिसिआया है। उसके बोल शत्रु देश जैसे हैं या कहें शत्रु जैसे और शत्रुओं के मनोबल बढ़ाने वाले हैं।
हे नारायण! भारत के अर्थशास्त्री, अर्थव्यवस्था को लेकर इतना चिंतित हैं, उन्हें विश्व की परिस्थिति नहीं दिख रही है। जैसे सेकुलर इतिहासकारो को भारत के इतिहास में सनातन तत्व नहीं दिखाई दिया, उसने झूठ के गुब्बारे को ही फुला दिया जो कभी भी फूटने वाला है।
जानते हैं केशव! धर्मद्रोहियों में इस समय बहुत छटपटाहट है। कल तक जिन्होंने श्रीराम को काल्पनिक कहा था, अब वह ‘राम सबके हैं’ कहते हैं। प्रभु! सूर्पणखा, पूतना का संहार कलयुग में कब तक होगा क्योंकि इनकी तादाद में वृद्धि जारी है?
हे चक्रधारी! आपकी माया को समझना कभी आसान नहीं है। आज भी मूर्ख शिशुपाल, दुर्योधन और कंस की तरह ही हैं जो जगतपति को सत्य न मानकर उसकी माया में ही लिपटे हैं। हे जनार्दन! सबके बाद भी एक आस है कि आप सब सही कर देंगे।
हे द्वारकाधीश! आप गीता में कहते हैं कि जो होता है वह आपकी इच्छा मात्र से, एकमात्र करन-करावन हार आप हैं तो इतने कालनेमि का क्या काम?
हे देवकीनंदन! विनाश को ही आज विकास कहते हैं, जिसमें तुम्हारे जीने से यदि हम मरते हैं तो तुम मर जाओ। जीवों को जीभ का स्वाद बना रहे हैं। चमगादड़ को चीन ने ऐसा खाया कि पूरा विश्व उसका खामियाजा भुगत रहा है। कोरोना नामक संक्रामक बीमारी इसी का एक रूप है।
हे कृष्ण! एक दिन वह समय आप ही लायेंगे जब विश्व सनातन झंडे के नीचे एकत्र होगा और आंनदित भी। धर्म से भटके लोगों के लिए यही सबसे बड़ा पश्चाताप होगा।
श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारी ।
हे नाथ नारायण वासुदेवाय ।।
नोट: प्रस्तुत लेख, लेखक के निजी विचार हैं, यह आवश्यक नहीं कि संभाषण टीम इससे सहमत हो।
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Dhananjay Gangay जी आप ट्विटर पर भी अपने विचार रखिये। ट्विटर पर क्यों नहीं है आप ?
😇🙏👐🌷🌻बहुत अच्छे से बात कर रहें है आप जगतपति से। 😁कल्याण सहज है।