धर्म विहीनता एक छद्म विचार है क्योंकि कोई भी प्राणी धर्म विहीन नहीं रह सकता। यहूदी, ईसाई या मुस्लिम धर्म के जैसे ही सही या फिर सनातन धर्म की व्याख्या के अनुसार धर्म सम्मत राजनीति होनी चाहिए नहीं तो वह उच्छृंखलता को प्राप्त कर लेगी जैसा भारत में अभी तक हुआ है, शोषणकर्ता ही समाजसुधारक और नेता दोनों बन जाते हैं।
प्रश्न वही है व्यक्ति किससे नियंत्रित और निगमित होगा? यदि संविधान देखें भले ही वह नकल का है, लेकिन वह भी व्यक्ति को निगमित न करके राज्य को निगमित करता है।
सेकुलिरिज्म का उद्देश्य ही देश को उसकी मूल भावना से दूर ले जाना था, भारत को खिचड़ी बना कर सत्ता को स्थायित्व देना था। विश्व का यही ऐसा संविधान है जो अपने ही लोगों को जातियों में बांटता है। आपको भारतीयता से पहले GEN, OBC, SC, ST, अत्यंत पिछड़ा, महादलित, दिव्यांग, महिला का ज्ञान कराया जायेगा। आप SC, ST होकर मुख्यमंत्री तो बन सकते हैं, राष्ट्रपति भी बन जायेंगे किन्तु रहेंगे पिछड़ा, दलित और महादलित ही।
प्रत्येक देश को अपनी सार्वभौम आस्था, धर्म और संस्कृति में विश्वास होता है किंतु भारत में विदेशियों और काले अंग्रेजों के शासन ने पूरी की पूरी प्रकृति ही बदल दी है। विकास के नाम पर जनसंख्या 137 करोड़ पहुँचा दी, वहीं मुस्लिमों की जनसंख्या 25 करोड़ और वह भी जिस तेजी से बढ़ रही है जल्द ही भारत दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश बनने वाला है। जो भारतीय सहअस्तित्व के लिय ख़तरा है क्योंकि मुस्लिम तभी तक शांत रहेगा जब तक उसकी तादाद इतनी न हो जाय कि हिन्दुओ का मुकाबला न कर सके।
सनातन हिंदुओं के लिए अभी भी समय है राणा, शिवाजी, बालाजी बाजीराव, अहोमो के बलिदान को व्यर्थ न जाने दें आप एक जुट रहें। भारत की भूमि पर मुस्लिम को रहना है तो हिंदुओं की शर्त पर रहें, ये मदरसे, 10 बच्चे, जाहिल कपड़े, बुर्खे, कुरान, हदीस से भारत की भूमि को मुक्त करिये। मुस्लिम चाहें तो अल्लाह और मुल्लाह के 57 देशों में थोड़ा – थोड़ा करके बट जाएं। जिस धर्म की इतनी दुहाईयाँ दी जाती हैं, इससे यह भी सामने आ जायेगा कि मुस्लिम हो कर भी इन्हें अपनाने के लिए कितने देश आगे आते हैं।
हिंदू शुरू से अपनो की आलोचना में लगे रहे और सरकार ने उनके इतिहास को ही छिन्न – भिन्न कर उसे भ्रमित कर दिया। वहीं मुस्लिमों में स्पष्ट मान्यता है, भारत पर बर्बर मुस्लिम आक्रमण जायज था, गजनवी, गोरी, तैमूर के हमले वाजिब थे। मुगलों ने मुल्क को बढ़ाया, औरंगजेब के कार्य सही थे। और आप खामियां मनुस्मृति में खोज रहे हैं।
“मूदव आंख कतव कुछ नाहि” आप सत्य को झुठला नहीं सकते हैं। अहिंसा व्यक्ति का आदर्श है जबकि हिंसा ही वास्तविकता है, आपको पागल कुत्ते को मारना ही होगा। चीन, अमेरिका, यूरोपीय देश, म्यामांर, श्रीलंका क्यों मुस्लिम को सीमित कर रहे हैं? क्योंकि इसका वीभत्स रूप है इस्लामिक आतंकवाद जिसका नाम लेने में भारत के नेताओं को वोट बैंक कटने के डर लगता है।
नोट: प्रस्तुत लेख, लेखक के निजी विचार हैं, यह आवश्यक नहीं कि संभाषण टीम इससे सहमत हो।
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सत्य वचन है।
धन्यवाद सर, बहुत उच्च कोटि के लेख है।यथार्थ मानवता बाद ही हिंदुत्व की मूल मंत्र रही है। बाकी सब, अपने आप को धर्म कहनेवाले गोष्ठी वस्तुतः संप्रदाय पर्याय भुक्त ही हैं। हिंदुत्व सर्वदा संप्रदाय भावना से ऊर्ध्व में रही है। ये पवित्र भारत भूमि अनादि काल से हिन्दुओं के निवास स्थली रही है, समयांतर में बहिरागत यावनिक या ईसाई संप्रदाय रहेंगे तो न्यायतः अधस्तन नागरिक के स्तर पर ही रहना होगा। आज अगर हिन्दू भाइयों… Read more »