जिम्मेदारी लेने को कोई तैयार नहीं है। आखिर छोटी बच्चियों के रेप क्यों हो रहे हैं? किसी की मानवता कब छिन गई? पहले तो उस वायरस को खत्म करिये और उसके बाद विचार करे वह मां कि कैसा पुत्र जना जिसे नारी का सम्मान नहीं।
विचार करे वह समाज जहाँ ऐसी घटनाएं बार – बार हो रही हैं। आप विचार करें उस छोटी बच्ची की पीड़ा को जिसके साथ घिनौना कृत्य होता है। क्या इसी समाज के लिये हम संघर्ष कर रहे हैं? ऐसी शर्मनाक घटना पुरुषों के लिए कलंक है।
जिसे नारी का सम्मान नहीं उसे समाज में रहने का अधिकार नहीं। अभी भी वक्त है हम लौट सकते हैं मनुष्यता के रास्ते पर, लेकिन श्रमसाध्यता करनी होगी जो शिक्षा – रोजगार के चक्कर में मूल उद्देश्य से भटक गई।
भगवान कृष्ण कहते हैं जो राज्य, जो समाज नारी की सुरक्षा नहीं कर सकता उसे मिटना होगा।