भारत की राजनीति में मोदी से पूर्व का भारत और पश्चात के भारत पर हम सभी विस्तार से कभी और चिंतन करेंगे, आज थोड़ी झलक।
मोदी से पूर्व के भारत के नेता सेकुलर थे।
फिल्मकार, पत्रकार, अध्यापक, इतिहासकार और लेखक का एक ही विजन था, भारत की आत्मा पर दासता का अंकन। बच्चों को शिक्षा के नाम पर बर्बर मुस्लिमों, मुगलों को सेकुलर और अंग्रेजों का भारत का उद्धारक सिद्ध करके पढ़ाया जाता रहा है। इसके लिए दोषी कौन था विचार आपको करना है।
राजनीतिक आरोप की बात की जाय तो सरल भाषा में साहब! राजनीति तो आप भी कर सकते थे किंतु आप हिन्दू धर्म का माखौल उड़ाने में ही लगे हुए थे। आपको मात्र अब्दुल का ही मजहब दिखाई दिया। हिंदुओं की आह लगी है कि जो आज सत्ता पाना आपके लिए गधे की सींग की तरह हो गया है।
एक परिवार के प्रति ऐसी अटूट श्रद्धा रोपी गयी जैसे भारत का जन्म उसी से हुआ है। हिन्दू होना लगभग अपराध बना दिया गया था। दलित, पिछड़ा, अति पिछड़ा हो सकते हो हिन्दू नहीं। मुस्लिम को वोट बैंक बना, सत्ता की सीढ़ियां खूब चढ़ी गयी। खुले में नमाज हो या इफ़्तार पार्टी सब जायज था क्योंकि राजनीतिक सेकुलर का अर्थ बनाया गया हिन्दू संस्कृति से और उसे खत्म करने से।
वामपंथियों इतिहासकारों से इतिहास का लेखन सामंतवादी प्रकार का कराया गया जिसमें लिखा गया कि भारत की परतंत्रता और समाज के विखंडन में ब्राह्मण और क्षत्रियों का दोष रहा है।
समाचार टीवी/पत्रों में एक एंगल बनाया गया दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक का। हिंदुओं की लड़कियों के साथ खूब प्रेम का प्रकटीकरण हुआ, प्रेमी लौंडे मुस्लिम के हो गये और खूब लव जिहाद किया गया।
हिन्दू त्यौहारों पर बॉलीवुड से लेकर मीडिया और प्रचार तंत्र में यहाँ तक कि मुस्लिम भी ज्ञान देते मिल जाते थे कि होली ऐसी हो दिवाली ऐसे मने। हिन्दू का मतलब मसखरी और मुस्लिम का अर्थ मजहबी बनाया गया।
वह मुस्लिम जो तीन तलाक, बुर्का, जानवरों की हत्या त्यौहार मनाने के लिए कर रहा है। ईसाई मिशनरियां चुपचाप हिंदुओं का धर्मांतरण करती रही हैं जिसमें सहायक थे उनके आधुनिक स्कूल और वेटिकन वाली सोच।
यह सनातन धर्म है जो स्वयं के साथ खड़ा रहा है, हम अद्वैत पर अडिग रहे हैं और यह कहा है कि ईश्वर दंड दे रहा है, उसे स्वीकार करना पड़ेगा। कितनी भी स्थिति खराब हो लेकिन एक दिन सनातन हिन्दू धर्म का समय निश्चित आयेगा।
हिन्दू भूत झाड़ने का धर्म नहीं बल्कि स्वयं को जानने का धर्म है। सनातनी उद्घोष करता है ‘अहं ब्रह्मस्मि’ अर्थात मैं ही ब्रह्म हूँ। ब्रह्म का अर्थ उस परम शक्ति से है और हमारे मध्य किसी पैगम्बर या किसी दूत की जरूरत नहीं है।
भारत की राजनीति ही नहीं बदली वरन समाजिक व्यूह भी बदल गया। भारतियों की अदम्य शक्ति श्रीराम मंदिर से दिखने लगी है, बहुत जल्द एक बड़ा परिवर्तन देखेंगे कि जिन्हें लोभ, लालच और तलवार के जोर पर धर्मांतरित किया गया वह सभी अपने घर हिन्दू धर्म में वापस आयेंगे। जिसके दौर का आरंभ भी हो चुका है।
गलत इतिहास लिख देने से, सत्ता पा लेने से भारतीयता को ज्यादा दिन दबाया नहीं जा सकता है। यह सदी भारत की सदी बनने वाली है। आप तैयार रहें, जितना आपने सोचा है, उससे अधिक मिलने वाला है। यह हिन्दू धर्म है ‘न भूतों न भविष्यति।’
मनुष्य है तो मनुष्य की गरिमा और महिमा दिखनी चाहिए। सर्बिया, इराक, सीरिया, अफगानिस्तान की तरह मानव बलातमौत और बलात्कार की वस्तु बन कर न रह जाय। जो जैसा है वैसा ही दिखता है।