राजीव गाँधी कौन थे ये तो हम में से सभी लोग जानते हैं।
शुरू करने से पहले विलियम शेक्सपियर (William Shakespeare) का ये कथन याद दिलाना चाहूँगा :
Some are born great, some achieve greatness, and some have greatness thrust upon them.
राजीव गाँधी जन्म से ही महान पैदा हुए थे। जब श्रीमती इंदिरा गाँधी की मौत हुई तब चालिस वर्षीय राजीव गांधी को उनके न चाहते हुए भी प्रधानमंत्री बना दिया गया। अभी मातृ वियोग के आंसू थमे भी नहीं थे कि तथाकथित प्रतिभा पुत्र ने आम चुनाव की घोषणा कर दी। यहाँ तक तो सब ठीक था।
आज राजीव गांधी एक बार फिर से सुर्खियों में तब आ गए हैं जब 2019 के आम चुनाव के पांचवे चरण के संपन्न होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान प्रतापगढ़ में राजीव गांधी को ‘मिस्टर क्लीन’ कहकर संबोधित किया।
इसके बाद तो जैसे कांग्रेस तिलमिला सी गई है कि प्रधानमंत्री मोदी ने राजीव गाँधी को भ्रष्टाचारी बताया है। कांग्रेस इसके एवज़ में जनता से सहानुभूति प्राप्त कर चुनाव में लाभ प्राप्त करने की भी कोशिश कर रही है। कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष राहुल गाँधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, राजीव गाँधी के प्रति सहानुभूति बटोरने का कोई कोर – कसर छोड़ना नहीं चाह रहे हैं।
क्या राजीव गाँधी वास्तव में प्रतिभा पुत्र थे? या शायद नहीं, क्योंकि वह अपने वफ़ादार दरबारियों के गिरफ्त में ऐसे जकड़े थे कि कुछ अलग, स्वनिर्णय से नहीं कर सकते थे। राजीव गांधी अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान बहुत हद तक अपने वैसे दोस्तों पर निर्भर हो गए थे, जिनका राजनीतिक अनुभव बहुत कम था। इसने राजीव को कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं और आम लोगों से भी दूर कर दिया।
राम मंदिर का दरवाजा खोलना, शाहबानो केस और उस पर नया कानून उसके बाद उन पर 1987 में स्वीडन की कंपनी बोफोर्स एबी से रिश्वत लेने के मामले में दलाली के आरोप लगे। जिससे वह कभी बेदाग नहीं हो सके। मृत्यु हो जाने से उन्हें आरोप मुक्त मान लिया गया। अगर उनकी मृत्यु नहीं होती तो निश्चित रूप से लोग आज उन्हें नरसिंम्हा राव से पहले का पहला भ्रष्ट पीएम मानते।
आज कांग्रेस के लोग भी नहीं बता पाएंगे कि ओतावियो क्वात्रोची (Ottavio Quattrocchi) से राजीव गाँधी के क्या संबंध थे? एक रुपये में 15 पैसे ही जनता तक क्यों पहुंचता था? एल. टी. टी. से वाइको का सबंध, प्रभाकरन के साथ उसका फोटो, वही वाईको कांग्रेस का हितैषी कैसे? सिखों का नरसंहार आदि कई ऐसे प्रश्न हैं जो अनुत्तरित ही रहेंगे।
सोनिया गाँधी प्रधानमंत्री मोदी को बिना किसी आधार के मौत का सौदागर कहती थी। लेकिन रूपए – पैसों के घोटालों को हम छोड़ भी दें तो आपको जान कर आश्चर्य होगा कि सोनिया गांधी और राजीव गांधी तो 15000 लोगों की हत्या का सौदा करके बैठे हैं।
भोपाल गैस त्रासदी पर तत्कालीन भारत सरकार ने एक सौदा किया था। सौदा यह कि उसने एंडरसन को सकुशल जाने दिया बदले में अमेरिका ने 11 जून 1985 को आदिल सहरयार को छोड़ दिया था। आदिल सहरयार इंदिरा गांधी के निजी सहायक रहे मोहम्मद युनुस का बेटा था। उनके पारिवारिक सम्बन्ध कैसे थे, इस पर यहाँ कोई बात नहीं करेंगे।
आदिल सहरयार अमेरिका गया लेकिन वहां जाकर वह अपराध जगत का हिस्सा बन गया, बाद में पता चला कि वह ड्रग रैकेट चलाने वालों में शामिल है। 30 अगस्त 1981 को आदिल मियामी के एक होटल में पकड़ा गया। बाद में उसके कई और अपराध सामने आये और न्यायालय ने उसे खतरनाक मुजरिम मानते हुए 35 साल की सजा सुनाई। काफी प्रयासों के बाद भी बात नहीं बनी लेकिन तभी भोपाल गैस त्रासदी ने राजीव गांधी को मौका दे दिया कि वे आदिल सहरयार को सकुशल भारत वापस ला सके।
भोपाल गैस काण्ड के बाद एंडरसन की भारत से सकुशल विदाई की बात पर राजीव गांधी प्रशासन की ओर से आदिल के रिहाई की शर्त रखी गयी। इस सौदे से जुड़े दस्तावेजों का अब कोई क्लासीफाइड डाक्युमेन्ट नहीं हैं। लेकिन सीआईए की 2002 में डिक्लासीफाईड एक रिपोर्ट से उजागर हुआ है कि 26 साल पहले भारत सरकार ने एंडरसन के बदले में आदिल सहरयार को वापस मांगा था। सीआईए की ही रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह दिल्ली के आदेशों का ही पालन कर रहे थे। अमेरिकी प्रशासन से जुड़े लोगों की बात करें तो वह भी मानते हैं कि आदिल सहरयार के बदले में एंडरसन को छोड़ा गया था। अमेरिकी मिशन के पूर्व उपाध्यक्ष गार्डन स्ट्रीब ने भी दावा किया है कि एंडरसन को एक समझौते के तहत भारत ने वापस भेजा था।
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक खबर के अनुसार राजीव गांधी के 1985 की यात्रा के दौरान तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने उसी दिन, आदिल शहरयार जो कि प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बचपन के दोस्त की तरह जाना जाता था की सजा माफ़ कर दी। क्या यह महज संयोग भर था?
14 जून 2010 को बिजनेस लाइन में विस्तार से एक खबर छपी जिसमे आरोप लगाया गया था कि 1984 भोपाल आपदा में हत्या के आरोपी यूनियन कार्बाइड के सीईओ वॉरेन एंडरसन को रिहा कर राजीव गांधी आदिल शहरयार की रिहाई का सौदा कर अमेरिकी प्रशासन का एहसान चुकाना चाहते थे। 3 दिसंबर 1984 को भोपाल त्रासदी हुई जिसने दुनियां को हिलाकर रख दिया। यह एक मौका था जहाँ राजीव ने सौदा कर डाला।
एंडरसन को 7 दिसंबर 1984 के दिन देश से बाहर उड़ान भरने की अनुमति मिल गयी और बदले में आदिल शहरियार को 11 जून 1985 के दिन “राज्य के कारणों के लिए” और “एक सद्भावना संकेत के रूप में” राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन की तरफ से क्षमादान दे दिए गया।
आज कांग्रेस खुद को बहुत व्यथित दिखाने की कोशिश कर रही है कि मोदी जी ने राहुल गाँधी के पिता की बात की लेकिन वह भूल जाते हैं कि वे ही हैं जो सबसे पहले मोदी जी के भाई से लेकर पत्नी तक के संबंधों को भरपूर भुनाने की कोशिश कर चुके हैं। वे ही हैं जो प्रधानमंत्री पद की गरिमा को भी ताक पर रखते हुए मोदी जी के लिए सार्वजनिक मंचों से “चोर” शब्द का प्रयोग करते आ रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी जी ने कांग्रेस को चुनौती दी है कि अगर कांग्रेस में दम है तो राजीव गाँधी के मुद्दे पर आगे के चरणों का चुनाव लड़ कर दिखाएं। क्या कांग्रेस को मोदी जी की चुनौती स्वीकार है? अगर इतनी हिम्मत और अनुत्तरित प्रश्नों के उत्तर हैं तो वे मैदान में आने के लिए मोदी जी की ललकार को स्वीकार करें।
सौ सुनार की – ‘चौकीदार चोर है’
एक लुहार की – ‘तेरा बाप चोर था’
पप्पू की बोलती बंद
😂😀😛🤓😅😁😜😋😋😋
😄😄😄हाँ जी
राजीव का इतिहास रख दिया आपने , क्या कृत्य किये थे पूर्व में
हाँ जी। आप भी लिखिए। मुझे उम्मीद है कि आप भी बहुत अच्छा लिखेंगे। समय की मांग है कि हम सभी इस पर लिखें।
Very nice satyendra ji👌👌👌👌
Thanks a lot 🙏🌹 Please U also write on this topic