देश बदल रहा है, सत्रहवें लोकतंत्र के चुनाव महोत्सव के परिणाम के साथ ही एक बात स्पष्ट हो गई है कि किया गया परिश्रम कभी व्यर्थ नहीं जाता है।
1922 में हेडगेवार जी ने कहा था कि कांग्रेस की विचारधारा से अलग और उससे बड़ी एक स्वतंत्र हिंदु विचारधारा वाली पार्टी बनाऊंगा। जो हिंदु हितों की बात करेगी। 1925 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संध की स्थापना से शुरू हुई यात्रा जनसंघ होते हुये 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के साथ पूर्ण हुई। 1984 में दो सांसद से शुरू हुआ सफर आज पूरे भारत में विस्तार के साथ 303 सांसद तक पहुँच गया है।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने कहा था कि आज जो कांग्रेस हम पर हंस रही है, एक दिन ऐसा आयेगा जब पूरे देश में बीजेपी का शासन होगा। भाजपा 2019 में स्वतंत्र भारत की पहली गैर कांग्रेसी सरकार बनी जिसने 300 से ज्यादा सीटों के साथ 50% मत भी प्राप्त किये। कांग्रेस उत्तर भारत से नदारद हो गई। उसे पुरे देश में कुल उतनी सीटें भी न मिलीं जितनी बीजेपी को अकेले उत्तरप्रदेश में मिली। नेता प्रतिपक्ष बनने के लायक भी नहीं छोड़ा बीजेपी ने। कांग्रेस अब खुद इतिहास की ओर बढ़ रही है।
भारत की राजनीति अपने आप में बहुत जटिल रही है। कई पार्टियां, अनेक तरह की विचारधारा, क्षेत्रवाद और सबसे बढ़कर जातिवाद। इन चुनौतियों को समझ कर ही राजनीति की जा सकती है।
भारतीय राजनीति में एक नया मोड़ आया जब स्वतंत्रता के पूर्व के दिग्गजों की जगह स्वतंत्र भारत में जन्में नेताओं ने बागडोर संभाली 16वें आम चुनाव 2014 में जिसमें नरेंद्र मोदी के सितारे चमके अबकी बार मोदी सरकार की गूंज हुई। वैसे मोदी जी ने गुजरात में अपने तेरह साल के मुख्यमंत्री कार्यकाल में यह दिखाया कि विकास किस तरह किया जाय। 2001 के भुज भूकंप से बदहाल गुजरात को विकसित राज्यों की श्रेणी में खड़ा किया। भ्रष्टाचार को सीमित करने के लिये कड़े उपाय किये।
2014 के आम चुनाव में थकी और भ्रष्टाचार से घिरी सरकार थी। इसका अवसान करने के लिए एक मजबूत नेता की जरूरत थी जिसमें मोदी जी एक बेहतर विकल्प बने।
मोदी जी का नया अंदाज, जाति से उठकर भ्रष्टाचार दूर करने और राष्ट्रवाद की अपील के साथ उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे जातिवादी राज्यों ने भी सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई।
मोदी जी के कार्यकाल के पांच साल भ्रष्टाचार, साम्प्रदायिक दंगे विहीन रहा। भारत की सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, विदेश नीति और औद्योगीकरण पर काम हुआ। सामाजिक स्तर पर स्वच्छता, शौचालय, गरीबों को निशुल्क गैस कनेक्शन और आयुष्मान योजना के माध्यम से गरीबों का इलाज किया गया, किसानो के विकास के नाम पर सब्सिडी डारेक्ट खाते में डाली गई, 6000 रुपये किसानों के खाते में डाले गये। लोगों को कुशल बनाने के लिये उन्हें प्रशिक्षण दिया गया। नोटबंदी और GST उतने सफल भले न हुये हो फिर भी मोदी पर जनता ने विश्वास नहीं खोया। मोदी भी जनता को यह बताने में सफल रहे।
सबसे बड़ा काम भारत की आंतरिक और वाह्य सुरक्षा पर किया गया। 2015 में म्यामांर में घुसकर उग्रवादियों को कैम्प सहित मार गिराना। पाकिस्तान के प्रयोजित आतंकवाद को रोकने के लिए 2016 और 2018 में दो सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकवादियों और उनके आकाओं में दहशत पैदा करना। अजहर मसूद जैसे आतंकवादी को संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकवादी घोषित करवाने के साथ ही विश्व समुदाय के सामने पाकिस्तान को आतंकियों के हिमायती देश के रूप में उजागर कर अलग थलग कर देना।
मोदी सरकार नें पाकिस्तान को आर्थिक तौर पर कमजोर करने के लिए MFN (मोस्ट फेवरेट नेशन) का दर्जा जो भारत ने 1996 में दिया था, वापस ले लिया। इससे पाकिस्तान को अरबों रुपये का नुकसान हुआ। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान मदद के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। डोलचोंग (भूटान) मुद्दे पर चीन के सामने सीना तान डटे रहना जनता को अत्यधिक भा गया। उन्हें लगा किस्मत अच्छी है कि मोदी जी प्रधानमंत्री हैं नहीं तो 26/11 की टीस अभी बाकी रह गयी थी जहाँ पाकिस्तान पर कार्यवाही होनी थी लेकिन शब्द के बाण से नेताओं ने काम चला लिया, जिसके कारण पूरे भारत में निरंतर बम फूटते रहे थे।
मोदी जी ने पांच साल में आतंकवाद को कश्मीर तक सीमित किया। कश्मीरी अलगाववादियों, पत्थरबाजों और स्थानीय आतंकवादियों से कड़ाई से निपटा गया।
अब सवाल है कि भारत की विपक्षी पार्टियां मोदी जी के सामने इतनी मजबूर कैसे हो गयीं?
सबसे पहली चीज, मोदी जी की ईमानदार और कर्मठी छवि जनता के मन में घर कर गयी। जनता को भी लगा कि यह वो नेता है जो जनता के लिए लगातार कार्य कर रहा है। विपक्ष के पास मुद्दों का अभाव, आरोप लगाना और कोर्ट में माफी मांगना। जो जातिवादी महागठबंधन बनाये गये उसे भी जनता ने खारिज कर दिया।
दूसरा सबसे महत्वपूर्ण बिंदु विपक्ष की नकारात्मक राजनीति, पुलवामा हमला, स्यालकोट सर्जिकल स्ट्राइक पर अपनी सेना को कटघरे में खड़ा करना आत्मघाती साबित हुआ। आतंकवादियों से आत्मीयता दिखाना उसके लिए रात में कोर्ट खुलवाना, बेहद चिंता का विषय था। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर दोहरा मापदंड, सेकुलिरिज्म, असहिष्णुता, रोहिंग्या, बांग्लादेश से आये मुस्लिमों से अत्यधिक निकटता प्रदर्शित करना इन सब से जनता ने विपक्ष की राजनीति समझ ली।
यह पब्लिक है, सब जानती है। जनता ने विपक्ष की कारगुजारियां देखीं और लोगों ने एक बार फिर जाति वर्ग से ऊपर उठकर मोदी जी को वोट दिया। अभी तक देखा गया था कि सांसद, प्रधानमंत्री बनाते थे। पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने 350 से ऊपर सांसद बनाये। साफ ईमानदार और मजबूत नेता की छवि ने ऐसा करिश्मा कर दिखाया।
कांग्रेस नीति राजनीतिक सामंतवाद, वंशवाद, जातिवाद और भ्रष्टाचार से जनता तंग आ चुकी थी और विकल्प मोदी जी जैसा मिला तो उन्हें सर आंखों पर बिठा लिया।
मोदी सरकार पुनः पांच साल के लिए बन गई है और जनता की अपेक्षायें भी अब और बलवती हो रही हैं। यह सरकार कुछ मुद्दे का निस्तारण इसी पांच साल में करे जैसे धारा 370, कश्मीरी पंडित, NRC, राममंदिर, जनसंख्या नियंत्रण, रोहिंग्या को वापस भेजना, तेजी से औद्योगिकीकरण के साथ रोजगार सृजन और कृषि का विकास।
कांग्रेस और अन्य दलों के लिये यह आत्मचिंतन का समय है। यदि उन्होंने राजनिवासों से निकलकर, सकारात्मक जनराजनीति का संकल्प नहीं लिया तो जातिवाद, तुष्टीकरण, गुंडातंत्र से राजनीति में कितने दिन टिक पायेंगे? इस चुनाव में कई पूर्व मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री के साथ नेताओं के पुत्र-पुत्रीयों को भी जनता ने नकार दिया।
अब वैसे भी राष्ट्रवाद की सुनामी है, जो सब उड़ाती चली गई। अब राष्ट्र और उसकी अस्मिता केंद्र में है।