राष्ट्र परमों धर्म:

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Dhananjay Gangey
Dhananjay gangey
Journalist, Thinker, Motivational speaker, Writer, Astrologer🚩🚩

राष्ट्र क्या है? परिभाषा कहती है, राष्ट्र एक सांस्कृतिक अवधारणा है जिसमें राज्य, व्यक्ति, समाज और धार्मिक सामाजिक प्रतिमान समाहित रहता है क्योंकि व्यक्ति के जीवन में जिस किसी भी चीज का मूल्य होता है, व्यक्ति व्यक्तिगत तौर पर उसका आदर प्रकट करता है।

राष्ट्रवाद अपने राष्ट्र के प्रति प्रेम और समर्पण है। देश के भौगोलिक सांस्कृतिक और समाज में रहने वाले लोगों के एक होने के भाव को जाग्रत करता है जिससे देश का सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक विकास हो, देश खुशहाल बनें।

पश्चिमी विचारकों का मानना है कि इसका विकास पुनर्जागरण के माध्यम से हुआ। 20वीं सदी के उत्तरार्ध्द में हिटलर ने राष्ट्रवाद की भावना को प्रेरित करके जर्मनी को विश्व नियंता बनाने का प्रयास किया। जिससे उसकी सोच थी कि राष्ट्र की एक सम्प्रदायिक पहचान होगी। राष्ट्रत्व का तत्त्व राज्य, नागरिक और संस्कृति का बहुआयामी स्वरूप है।

वेद भी राष्ट्र की वंदना करते हैं। भारतीय संस्कृति में राष्ट्र एक स्वाभाविक अभिव्यक्ति है। यजुर्वेद 22-22 में राष्ट्र की वंदना की गई है।

आ ब्राह्मन ब्राह्मणो ब्रह्मवर्चसी जायतामा राष्ट्रे राजन्य: शूर।

इषव्योतिव्याधि महारथो जायतां दोग्ध्री धेनुवारढ़ानन्डवानाशु ।।

अर्थात, ब्राह्मण विद्वान राष्ट्र में ब्रह्मतेज व्रतधारी, महारथी हो शूर धनुर्धर क्षत्रिय लक्ष्य प्रहरी। महिलाएं हो सती सुंदरी सद्गुणी सयानी, युवक यहाँ के सभ्य सुशिक्षित सौम्य सरल सुविचारी हो। योग हमारा, क्षेम हमारा स्वत: सिद्ध हो सारा।

राष्ट्र को लेकर पंचतंत्र में एक कथा आयी है, जिसमें तोते के माध्यम से राष्ट्र की गरिमा, महिमा का गान किया गया है। जंगल के एक वृक्ष के कोटरे में एक तोता रहता है। धीरे-धीरे जब वह वृक्ष सूखने लगा तो उस पेड़ के सभी पशु पक्षी अन्यत्र जाने लगते हैं। सब तोते से कहते हैं तुम भी अपना घर चलो कही दूर बनाओ। तोता कहता है कि इसी पेड़ पर मेरे दादा परदादा पिता और मेरा जन्म हुआ इसने हम लोगों का पालन पोषण किया है।

आज जबकि पेड़ पर संकट आया है तो मैं नहीं जा सकता हूं, यही मेरी जन्मभूमि और राष्ट्र है। कुछ दिन बाद खत्म होते पेड़ के साथ ही तोते ने भी प्राण त्याग दिया। हमें समझना होगा जन्मभूमि और राष्ट्र का क्या महत्व है। जीवन में सिर्फ वाचालता और उच्चश्रृंखलता से काम नहीं चलेगा। भारत राष्ट्र के लिए बहुत लोगों ने प्राणोत्कर्ष किया है।

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Usha
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4 years ago

Atyant Sundar lekhn 👍👌👌👌

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