जाति शब्द की उत्पत्ति

spot_img

About Author

एक विचार
एक विचार
विचारक

जातिशब्द वैदिक नहीं है, अर्थात् यह शब्द वेदों में नहीं मिलता। श्रौतसूत्रों (यथा कात्यायन श्रौतसूत्र १५..१४) में जहां यह प्रथम मिलता है वहाँ एक ही गोत्र, कुल अथवा परिवार में जन्म लेने के अर्थ को प्रकट करता है। मनु आदि स्मृति ग्रंथों में भी यह इसी प्रकार के अर्थ को प्रकट करता है औरवर्ण शब्द के आधुनिक पर्याय के रूप में समझा और जाना जाता है।

अब प्रश्न है किजातिशब्द की उत्पत्ति कैसे हुई?

जाति शब्द की उत्पत्ति
हिंदुस्तान (लखनऊ) १८ नवम्बर

आज बुद्धिजीवियों को जाने कौन सी बीमारी लगी हुई है जो फल, सब्जी, अनाज यहाँ तक कि आर्यों को भी विदेशों से आया सिद्ध करते हैं।

आर्य प्रवास सिद्धांत पर तो न्यायालय के आदेश के बाद भी प्रश्न ज्यों-का-त्यों बना हुआ है। यद्यपि इसमें दोष किसी दूसरे का नहीं है, जो दोष है वह भारतीयों का ही है, हमारा दोष है। प्रश्न भी हम करते हैं और उत्तर भी स्वयं देते हैं। विश्व बस हमें देख कर ताली बजाता है। वह जो कुछ सिद्ध करना चाहते हैं; वह हम ही सिद्ध कर उन्हें देने का कार्य करते हैं। बदले में पद और पैसे से पूर्ति हो जाती है।

खैर, भारत में १९०१ ईस्वी में रिसले ने मैक्समूलर के सहयोग से आर्यन अफवाह से निर्मित तथाकथित सवर्णों को ऊंची जाति का घोषित किया और शेष अन्य समुदायों को नीची जाति का! जातिगत जनगणना के आधार पर ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्रों से ही पहली बार २३७८ जातियाँ बना कर भारत को २३७८ टुकड़े में विभाजित कर दिया गया। दलितशब्द गढ़ा गया और शूद्रों को दलित कहते हुए पाश्चात्यदास प्रथाके साथ जोड़ दिया गया।

वस्तुतःदास प्रथाका भारत से कोई लेना देना ही नहीं था। यह प्रथा यूरोप, अमेरिका, अफ्रीका आदि देशों में थी जिसमें मानव के हाथों मानव के शोषण की पराकाष्ठा सामने आयी। प्रमाण के रूप में ध्यान दें तो सनातन धर्म के किसी भी धर्म शास्त्र में इसका या ऐसा कोई उल्लेख नहीं मिलता।

अब हुआ यह कि गुलामी काल में मुगलों के साथ आयी छुआछूत आदि की व्यवस्था को इतिहासकारों द्वारा सनातन धर्म का सिद्ध किया गया और जाति व्यवस्था को इसका जड़ बताया गया।

इसमें भारतीयों ने क्या सहयोग किया?

हमारा सहयोग यह रहा कि जिसवर्ण व्यवस्थाका पर्यायजाति व्यवस्थाबनी थी; उसे हमारे ही बुद्धिजीवियों ने नकारना शुरू किया। कारण यह हुआ कि वे जन्म के अनुसार वर्ण नहीं मानते थे और जाति शब्द तो ‘जन्’ धातु से ही बनी है जिसका अर्थ है पैदा होना, उत्पन्न होना या जन्म। इतिहासकारों को बल मिला औरजाति व्यवस्थाको कुप्रथा सिद्ध किया गया। किसी ने प्रश्न नहीं किया कि जब चार ही वर्ण थे जो कालान्तर में जाति कहे गये; उन्हें २३७८ जाति क्यों बनाया गया? यदि इतनी बड़ी कुप्रथा थी तो चारों को भी समाप्त किया जाता, और बनाने की क्या आवश्यकता आन पड़ी?

इस बात को भारतीय जनता आज भी नहीं समझना चाहती। उल्टा उन्हेंजातिशब्द को ही विदेशी सिद्ध करना सरल लगता है, अब कौन पड़ेजन्मना वर्ण’ सिद्ध करने के चक्कर में? धार्मिक गुरुओं का हाल यह है कि हर ५० १०० लोगों का अपना एक अलग गुरु! जो साक्षात् भगवान के अवतार ही हैं। एक गुरु जो कहें, दूसरा उससे ठीक उलट! परम्परागत गुरु कुल से किसे मतलब है?

आगे बढ़ते हैं, जाति शब्द को बाहर से आया बताने में एक बात यह भी है कि आप श्रौत सूत्रों को कितना प्राचीन मानते हैं? श्रौत, गृह्य आदि कल्पसूत्र के भाग हैं और कल्प छः वेदाङ्गों में एक! तो अब प्रश्न यह है कि वेद कितने प्राचीन हैं?

सनातन धर्मी तो यह मानते हैं कि वेद अपौरुषेय हैं, शब्द ब्रह्म हैं जो मनुष्यों की सृष्टि के साथ आविर्भूत हुए। किन्तु प्रश्न यह है किराष्ट्रक्या मानता है? भारतवर्ष की सरकार क्या मानती है? सनातन संस्कृति या भारतीय संस्कृति की बात तो राष्ट्रीय स्तर पर होती ही है, ऐसे में वेद कितने प्राचीन हैं, इसका उत्तर तो उन्हें भी देना ही चाहिए। पूर्व में हमने जानने के कुछ प्रयास किए जिसके उत्तर में मैक्स मूलर की एक पुस्तक अग्रसारित की गई

अब किसे क्या कहा जाये? स्वयं के स्तर पर प्रयास शुरू हुआ, जो बात सामने आयी उसके अनुसारजातिशब्द की उत्पत्ति संभवतः वैदिक शब्दज्ञातिसे हुई है।

ज्ञातिशब्दएक ही परिवार अथवा कुल में उत्पन्नमनुष्यों के लिए ऋग्वेद .५५., १०.६६.१४, १०.८५.२८ आदि में आया है। ज्ञाति शब्द सम्बन्ध (विशेषतः पैतृक परम्परा में रक्तसम्बन्ध) का बोधक है। आज प्रयुक्त होने वाले जाति शब्द का भाव भी यही है। ऐसे में ज्ञाति शब्द के भाव में जाति शब्द का निर्माण अधिक संगत लगता है।

अस्वीकरण: प्रस्तुत लेख, लेखक/लेखिका के निजी विचार हैं, यह आवश्यक नहीं कि संभाषण टीम इससे सहमत हो। उपयोग की गई चित्र/चित्रों की जिम्मेदारी भी लेखक/लेखिका स्वयं वहन करते/करती हैं।
Disclaimer: The opinions expressed in this article are the author’s own and do not reflect the views of the संभाषण Team. The author also bears the responsibility for the image/images used.

About Author

एक विचार
एक विचार
विचारक
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

About Author

एक विचार
एक विचार
विचारक

कुछ लोकप्रिय लेख

कुछ रोचक लेख