पाकिस्तान जिसे आज वेश्या देश कहा जाता है, कभी ब्रिटेन, कभी अमेरिका तो कभी चीन इसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करता है। उसकी पूरी राजनीति और सेना, भारत के विरोध और आतंकवादियों के निर्यात पर निर्भर है। आज 207 देश जिसमें 57 मुस्लिम देश भी शामिल हैं किसी ने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान को समर्थन नहीं दिया। कारण वाज़े हैं पाकिस्तान ने अपनी विश्वसनीयता पूरे विश्व में खो दी है। आसन्न नेता भ्रष्टाचार में डूबे हैं और सेना मौज में, आवाम भोजन की जद्दोजहद में लगी है।
सेना का जरनल अपने टट्टू नेताओं से पूरे विश्व में भीख मंगवाता है, यदि पैसा मिल गया तो दोनों मिलकर डकार जायेंगे। पाकिस्तानी आवाम भूख से जद्दोजहद करने पर मजबूर है, उन्हें कश्मीर के खोखले सपने दिए गए। हाफिज सईद, अजहर मसूद, लादेन और 26/11 के आतंकी कसाब पर पाकिस्तान बेनकाब हुआ है, उसकी स्थिरता पर प्रश्न खड़ा हो गया।
जिन्ना ने पाकिस्तान के जम्हूरियत मुल्क बनते ही कहा था कि सेना सरहदों की निगेहबानी तक ही सीमित रहेगी और हुआ उल्टा, पाकिस्तान के 50% उद्योग पर सेना ने कब्जा कर लिया। पाकिस्तानी आवाम गुरबत में जीने को मजबूर है। कर्ज के पैसों को जिस तरह से सेना और नेता के सिंडिकेट ने लूटा है उस कर्ज को चुकाने में आज पाकिस्तान का दिवाला निकल गया है। सामान्य
लोगों के प्लेट से खाने की रोज एक चीज गायब होती जा रही है।
आतंकवाद का यह व्यापार कितने दिन फलता फूलता? वैसे भी दूसरों के लिए ही सही लेकिन अपने घर में सांप पालेंगे तो एक बात तो स्पष्ट है कि सांप औरों को काटे न काटे आपको जरूर काटेगा। हश्र भी वही हुआ आतंकी ही देश की रहनुमाई करने लगे। जम्हूरियत तो बनते – बनते ही नजरबंद हो गई। आईन एक सेना और ISI है। बाकी सब दिखावा है, जब भी सेना के पास पैसा अधिक हो जाता है तो वह तख्तापलट देते हैं। पाकिस्तान का इतिहास देखें तो चार सेना के जनरलों ने 72 साल में से लगभग 45 साल हुकूमत की है।
26/11 के हमले के बाद पाकिस्तान ने एक नया नाम गढ़ा ‘हिन्दू आतंकवाद’ जिसने पूरी सरकार को ही कब्र में पहुँचाने का काम किया। क्योंकि विश्व जानता है कि हिन्दू एक सहनशील, सौहार्द प्रेमी और मानवता को धारण करने वाला धर्म है। भारत की बात की जाए तो ज्यादातर पूर्ववर्ती शासन अपने वोटबैंक की रक्षा को लेकर कड़ी कार्यवाही की जगह मुँह से ही मिसाइल छोड़ते रहे। इस बात को भारत की जनता भी बखूबी समझी, जब जनता को यह लगा कि तत्कालीन कांग्रेस की सरकार ने बदनीयति से अपनों पर ही आरोप लगा रही है तो यह बात आमजन मानस को नागवार गुजरी। उसने एक मजबूत सरकार चुनी जिसने दुश्मन के साथ कांग्रेस पार्टी के भी दांत खट्टे कर दिये।
मोदी सरकार ने विश्व के मंच से पाकिस्तान को अलग – थलग कर दिया है, उसे सिर्फ चीन का समर्थन है क्योंकि ग्वादर बन्दरगाह से लेकर सुरक्षा, सड़क पर बहुत बड़ा इन्वेस्टमेंट है। पाकिस्तान की स्थिति चीन ने एक गुलाम मुल्क की बना दी है, आज पाकिस्तान को जो कुछ करना है चीन से पूछ कर। चीन में उईगुर मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार पर पाकिस्तान चूं भी नहीं कर पाता है।
पाकिस्तान की लड़कियों को बेहतर जीवन देने का सब्जबाग दिखा कर चाइनीज शादी कर चीन ले जाते हैं जहाँ इनसे वेश्यावृत्ति करवा जा रहा है, इस मसले पर भी पाकिस्तान खामोश है। पाकिस्तान की आवाम चाहती है कि भारत से मित्रता हो, भारत उसका रहनुमा बने, उसे गुरबत से निकाले, व्यापार को दिशा दे और सबसे बढ़ कर भारत से अच्छे और सस्ते मेडिकल सुविधा का लाभ पाकिस्तानियों को मिल सके। किन्तु पाकिस्तान की सेना मुल्क को जहन्नुम की तरफ ले जा रही है।
पाकिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ उठती आवाजें उसके प्रान्तों को मुखालफत करने पर विवश कर दिया है। बलूचिस्तान, गिलगित बाल्टिस्तान और मुजफ्फराबाद जो पाकिस्तान के साथ नहीं रहना चाहते हैं, वह चाहते हैं कि उन्हें स्वतंत्र किया जाय या भारत में विलय हो। पाकिस्तान झूठ पर अपने लोगों को कितने दिन तक दिलासा दे? आवाम का गुस्सा कभी भी देश की बदइंतजामी पर फूट सकता है।
नोट: प्रस्तुत लेख, लेखक के निजी विचार हैं, यह आवश्यक नहीं कि संभाषण टीम इससे सहमत हो।
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