रास्ते रोक लोकतंत्र बचाने का दिखावा करने वाले, रवीश, बरखा, पुण्य प्रसून, PK, चन्द्रशेखर या शरजिल जैसे लोग ही यहाँ आ कर भाषण दे सकते हैं, यदि दूसरा पक्ष आयेगा तो मार पीट होगी। यहाँ कांग्रेस, राहुल, सोनिया और प्रियंका के कसीदे पढ़े जा रहे हैं।
यहाँ वही मुस्लिम बैठे हैं जिनके मुहल्ले में आपको जाने में डर लगता है। पुलिस, प्रशासन इनके मुहल्ले में घुसने का साहस नहीं करती है क्योंकि इनके मुहल्ले तक पहुँच से भारत की सीमा समाप्त हो जाती है। इस तरह के मुहल्ले कमोबेस हर एक शहर में पाए जाते हैं। अफजलगुरु और वानी के अधिकार बताए जा रहे हैं, उन्हें शहीद कहा जा रहा है। शेहला रशीद, शरजील इनके हीरो हैं जिन पर देश द्रोह का आरोप है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के भी यहाँ दूसरे मापदंड हैं, जो हम बोलें वही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है भले ही वह देश को तोड़ने वाली हो। जो तुम बोले तो हमें डरा रहे हो। जो मेरी बात करेंगे वह ठीक हैं और जो हकीकत दिखायेगा उसकी पिटाई होगी।
पुरानी पार्टी का हाल है पृथकतावादी, आतंकी और आतंकी विचारों को समर्थन। यदि आप कहें कि देश द्रोही को गोली मारो तो पूरी पार्टी को आपके इस विचार से कड़ी आपत्ति है, क्योंकि CAA, NRC, NPR एक बहाना है इन्हें भारत का एक बार पुनः विभाजन करना है। कांग्रेसी नेता दंगा करवाने, तोड़फोड़ करवाने के लिए पैसा ले और दे रहे हैं।
गांधी और नेहरू ने भारत में मुस्लिमों को क्या इसी दिन के लिए रोक रखा था? अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश धर्म के आधार पर बांट लिए गए अब उन्हें 370 लगा कश्मीर चाहिए, इन्हें शरीयत और हलाला की आजादी चाहिए, शिक्षा के नाम पर बुर्का पहन मदरसा चाहिए।
हिन्दू – मुस्लिम के चक्कर में पिसते भारत में मुस्लिम की पैदावार इतनी तेज है कि 10 साल में एक नया गांव तैयार कर दे रहा है। मनुष्य की जान इनके यहाँ जानवर से भी सस्ती है फिरकापरस्ती और लंपटता में बनी इस्लामी कौम न शांति से रहेगी और न ही किसी को रहने देगी। ये अच्छे और सच्चे मुसलमानो तक को रहने ही नहीं देते तो हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों को क्या रहने देंगे?
जिन्हें भारत में राष्ट्रगीत, राष्ट्रगान, भारत माता से परहेज है, जो संविधान की जगह सरिया लागू करना चाहते हैं, वह तिरंगा आगे किये अपनी खिचड़ी पका रहे हैं। कह रहे हैं ‘अब्बा का कागज बकरी खा गयी और अब्बा बकरी खा गये ऐसे में कागज कहा से लाये?’ अरे मूर्ख मुल्लों! यदि तुम्हारा कागज पूर्व में था तो आवेदन करके प्रशासन से उसकी दूसरी प्रति प्राप्त कर लो, उसके लिए हल्ला मचाने की तो जरूरत नहीं है।
अच्छे मुसलमान जिन्होंने देश के लिए कुछ अच्छा किया है, उनका हिसाब वह मांग रहे हैं जो फितरत से नफरती और आतंक को पनाह देने वाले हैं, जो अब्दुल कलाम को काफिर और मन्नान, वानी और अफजल, लादेन में पैगंबरी देखते हैं।
आज हिन्दुओं के पास बहुत विकल्प नहीं हैं, इन छलछन्दीयों से निपटने को विराथु का मार्ग ही सबसे उचित है, बाकी मुस्लिम तो 1500 साल में सहअस्तित्व नहीं सीख सकें हैं, तुम कांग्रेसी प्रयास कितना कर भी लो। ये वोट बन सकते हैं लेकिन मनुष्य नहीं? क्योंकि इस्लाम मानता है कि तुम्हारा जन्म ही मुसलमानी के लिए हुआ है और वह 1500 साल शांति में प्रवेश करने का आदर्श लिए ह्यूमन बमिस्ट बना कभी बाजार, मंदिर तो कभी मस्जिद पर फट रहा है।
नोट: प्रस्तुत लेख, लेखक के निजी विचार हैं, यह आवश्यक नहीं कि संभाषण टीम इससे सहमत हो।
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