सच मैं कहता हूँ
तुम बगावती कह दो मुझे चाहे
मैं होश में रहता हूँ
मदहोश कह दो मुझे चाहे
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जब किसी तिरछी निगाहों से
जमाना ठहर जाए उसी के आगे
और आगोशित कर ले जमाने को
वो तुफान के बाद आलम हो
जिधर भी तुम देख लो चाहे
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जिसे परवाह न हो दुनिया की
वो बिजलियाँ बेखौफ ही गिरा दे
किसी के जान पे बन आए
या किसी की मौत हो चाहे
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एक तो जिनकी शर्बती आंखों से
बिजलियाँ कौध सी जाए
उन्हें तो चिलमन भी झुकाना है
जमाना बेहोश होता हो, तो हो चाहे
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जो झटक दे रेशमी जुल्फे
घटा आंखों पे छा जाए
ऐसी नाजनीन को क्या कहूँ
कातिल जमाने का
या खुदा कह दूँ उन्हें चाहे
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सच मै कहता हूँ
तुम बगावती कह दो मुझे चाहे
मैं होश में रहता हूँ
मदहोश कह दो मुझे चाहे
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Written by – सत्येन्द्र तिवारी