भीम में कैसे आया १० हज़ार हाथियों का बल?

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पाण्डु पुत्र भीम के बारे में माना जाता है की उनमे दस हज़ार हाथियों का बल था जिसके चलते एक बार तो उन्होंने अकेले ही नर्मदा नदी का प्रवाह रोक दिया था। लेकिन भीम में यह दस हज़ार हाथियों का बल आया कैसे इसकी कथा बड़ी ही रोचक है।

कौरवों का जन्म हस्तिनापुर में हुआ था जबकि पांचो पांडवो का जन्म वन में हुआ था। पांडवों के जन्म के कुछ वर्ष पश्चात पाण्डु का निधन हो गया। पाण्डु की मृत्यु के बाद वन में रहने वाले साधुओं ने विचार किया कि पाण्डु के पुत्रों, अस्थि तथा पत्नी को हस्तिनापुर भेज देना ही उचित है।

इस प्रकार समस्त ऋषिगण हस्तिनापुर आए और उन्होंने पाण्डु पुत्रों के जन्म और पाण्डु की मृत्यु के संबंध में पूरी बात भीष्म, धृतराष्ट्र आदि को बताई। भीष्म को जब यह बात पता चली तो उन्होंने कुंती सहित पांचो पांण्डवों को हस्तिनापुर बुला लिया।

हस्तिनापुर में आने के बाद पाण्डवों के वैदिक संस्कार सम्पन्न हुए। पाण्डव तथा कौरव साथ ही खेलने लगे। दौडने में, निशाना लगाने, कुश्ती आदि सभी खेलों में भीम धृतराष्ट्र पुत्रों को हरा देते थे। भीमसेन कौरवों से होड़ के कारण ही ऐसा करते थे लेकिन उनके मन में कोई वैर-भाव नहीं था। परंतु दुर्योधन के मन में भीमसेन के प्रति दुर्भावना पैदा हो गई। तब उसने उचित अवसर मिलते ही भीम को मारने का विचार किया। दुर्योधन ने एक बार खेलने के लिए गंगा तट पर शिविर लगवाया। उस स्थान का नाम रखा उदकक्रीडन। वहां खाने-पीने इत्यादि सभी सुविधाएं भी थीं।

दुर्योधन ने पाण्डवों को भी वहां बुलाया। एक दिन मौका पाकर दुर्योधन ने भीम के भोजन में कालकूट नामक विष मिला दिया। विष के असर से जब भीम अचेत हो गए तो दुर्योधन ने दु:शासन के साथ मिलकर उसे गंगा में डाल दिया।

महाभारत, आदिपर्व, सम्भव उपपर्व, अध्याय – १२७

भीम इसी अवस्था में नागलोक पहुंच गए। वहां सांपों ने भीम को खूब डंसा जिसके प्रभाव से विष का असर कम हो गया। जब भीम को होश आया तो वे सर्पों को मारने लगे। सभी सर्प डरकर नागराज वासुकि के पास गए और पूरी बात बताई। तब वासुकि स्वयं भीमसेन के पास गए।

उनके साथ गए आर्यक नाग ने भीम को पहचान लिया। आर्यक नाग पृथा के पिता शूरसेन के नाना थे (भीम के नाना के नाना) वह भीम से बड़े प्रेम से मिले। तब आर्यक ने वासुकि से कहा कि भीम को उन कुण्डों का रस पीने की आज्ञा दी जाए जिनमें हजारों हाथियों का बल है। वासुकि ने इसकी स्वीकृति दे दी। तब भीम आठ कुण्ड पीकर एक दिव्य शय्या पर सो गए। जब दुर्योधन ने भीम को विष देकर गंगा में फेंक दिया तो उसे बड़ा हर्ष हुआ। शिविर के समाप्त होने पर सभी पाण्डव आदि भीम के बिना हस्तिनापुर के लिए रवाना हो गए। पाण्डवों ने सोचा कि भीम आगे चले गए होंगे।

जब सभी हस्तिनापुर पहुंचे तो युधिष्ठिर ने माता कुंती से भीम के बारे में पूछा। तब कुंती ने भीम के न लौटने की बात कही। सारी बात जानकर कुंती व्याकुल हो गई तब उन्होंने विदुर को बुलाया और भीम को ढूंढने के लिए कहा। तब विदुर ने उन्हें सांत्वना दी और सैनिकों को भीम को ढूंढने के लिए भेजा। उधर नागलोक में भीम आठवें दिन रस पच जाने पर जागे। तब नागों ने भीम को गंगा के बाहर छोड़ दिया। जब भीम बिल्कुल स्वस्थ हस्तिनापुर पहुंचे तो सभी को बड़ा संतोष हुआ।

तब भीम ने माता कुंती व अपने भाइयों के सामने दुर्योधन द्वारा विष देकर गंगा में फेंकने तथा नागलोक में क्या-क्या हुआ, यह सब बताया। युधिष्ठिर ने भीम से यह बात किसी और को नहीं बताने के लिए कहा।

अस्वीकरण: प्रस्तुत लेख, लेखक/लेखिका के निजी विचार हैं, यह आवश्यक नहीं कि संभाषण टीम इससे सहमत हो। उपयोग की गई चित्र/चित्रों की जिम्मेदारी भी लेखक/लेखिका स्वयं वहन करते/करती हैं।
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Prabhakar Mishra
Prabhakar Mishra
3 years ago

जय संहिता महाभारत से मुख्य-मुख्य प्रसङ्ग का प्रसार बहुत ही सराहनीय पहल है। कल्याण सहज है। कल्याणकारी कथा नित्यवृद्धि को प्राप्त हो। जय जय श्री कृष्णा।🙏

Prabhakar Mishra
Prabhakar Mishra
Reply to  एक विचार
2 years ago

😊कृष्णा लिखे थे,कृष्णा तो द्रौपदी जी का नाम है।मिसप्रिंट हो गया था।जय श्री कृष्ण 🙏
जीवन में सुधार का बहुत महत्व है।
😅😎🙏🙏आप भी एक वर्ष पहले कृष्ण और कृष्णा के अंतर पर ध्यान नहीं दिये।

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