भगवान का अस्तित्व

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एक बार एक व्यक्ति नाई की दुकान पर अपने बाल कटवाने गया। नाई और उस व्यक्ति के बीच में ऐसे ही बातें शुरू हो गई और वे लोग बातें करते-करते भगवान के विषय पर बातें करने लगे।

तभी नाई ने कहा – मैं भगवान के अस्तित्व को नहीं मानता और इसीलिए तुम मुझे नास्तिक भी कह सकते हो।

तुम ऐसा क्यों कह रहे हो व्यक्ति ने पूछा?

नाई ने कहा – बाहर जब तुम सड़क पर जाओगे तो तुम समझ जाओगे कि भगवान का अस्तित्व नहीं है। अगर भगवान होते तो क्या इतने सारे लोग भूखे मरते? क्या इतने सारे लोग बीमार होते? क्या दुनिया में इतनी हिंसा होती? क्या कष्ट या पीड़ा होती?

मैं ऐसे निर्दयी ईश्वर की कल्पना नहीं कर सकता जो इन सब की अनुमति दे।

व्यक्ति ने थोड़ा सोचा लेकिन वह वाद – विवाद नहीं करना चाहता था इसलिए चुप रहा और नाई की बातें सुनता रहा। नाई ने अपना काम खत्म किया और वह व्यक्ति नाई को पैसे देकर दुकान से बाहर आ गया।

वह जैसे ही नाई की दुकान से निकला, उसने सड़क पर एक लम्बे – घने बालों वाले एक व्यक्ति को देखा जिसकी दाढ़ी भी बढ़ी हुई थी और ऐसा लगता था शायद उसने कई महीनों तक अपने बाल नहीं कटवाए थे।

वह व्यक्ति वापस मुड़कर नाई की दुकान में दुबारा घुसा और उसने नाई से कहा – क्या तुम्हें पता है? नाइयों का अस्तित्व नहीं होता।

नाई ने कहा – तुम कैसी बेकार बातें कर रहे हो? क्या तुम्हे मैं दिखाई नहीं दे रहा? मैं यहाँ हूँ और मैं एक नाई हूँ और मैंने अभी-अभी तुम्हारे बाल भी काटे हैं।

व्यक्ति ने कहा – नहीं! नाई नहीं होते हैं। अगर होते तो क्या बाहर उस व्यक्ति के जैसे कोई भी बढ़े लम्बे बाल व बढ़ी हुई दाढ़ी वाला होता?

नाई ने कहा – अगर वह व्यक्ति किसी नाई के पास बाल कटवाने जायेगा ही नहीं तो नाई कैसे उसके बाल काटेगा?

व्यक्ति ने कहा – तुम बिल्कुल सही कह रहे हो, यही बात है। भगवान भी होते हैं लेकिन कुछ लोग भगवान पर विश्वास ही नहीं करते तो भगवान उनकी मदद कैसे करेंगे?

विश्वास ही सत्य है, फलदायक है। अगर हम भगवान पर विश्वास करते हैं तो हर पल उनकी अनुभूति होती है और अगर विश्वास नहीं करते तो हमारे लिए उनका कोई अस्तित्व ही नहीं है।

अस्वीकरण: प्रस्तुत लेख, लेखक/लेखिका के निजी विचार हैं, यह आवश्यक नहीं कि संभाषण टीम इससे सहमत हो। उपयोग की गई चित्र/चित्रों की जिम्मेदारी भी लेखक/लेखिका स्वयं वहन करते/करती हैं।
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