राम कहें या श्री राम?

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Dhananjay Gangey
Dhananjay gangey
Journalist, Thinker, Motivational speaker, Writer, Astrologer🚩🚩

राम भारत के इष्ट हैं, आत्मा हैं, आदर्श हैं, पुरोधा हैं, संस्कृति के वाहक हैं। राम भारत के पिता हैं। राम निरीह में हैं, राम हमारे आसपास हैं, वह हर एक चीज राम है जिसमें गति है, प्राण है, सत्य है, संयम है, प्रेम है और धर्म है। राम आदि और राम ही अन्त हैं।

अयोध्या में भगवान श्री राम के आगमन से पूरा भारत राममय हो गया है। सम्पूर्ण भारत में सकारात्मक ऊर्जा का संचरण हो रहा है। किसी का कहना है कि इस उत्सव को इस तरह से मनायेंगे, कोई व्रत, पूजा, शंखनाद, दीपोत्सव की खास तैयारी कर रहा है।

और एक तरफ भारत का मूढ़-मति विपक्ष है। कोई रामभक्तों पर गोली चलवाने को अभी जायज ठहरा रहा है और किसी ने पहले ही एफिडेविट दे रखा है कि राम काल्पनिक हैं, कई सेक्युलर दल अपने को रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम से घोषित रूप से दूर रखे हैं।

वोट के लिए भारत के नेता कितना गिर जायेंगे, इसका यह उदाहरण है। राम, जय श्री राम, सियाराम तक में अंतर करके राम को भी अपनी तरह सेक्युलर बनाना चाहते हैं। रामजी की और रामभक्तों का जिस तरह 2014 के पूर्व माखौल उड़ाया जाता था, उससे लगता था कि जैसे राम का भारतीय संस्कृति से कोई वास्ता ही नहीं है।

आज जिस तरह से रामलला की प्रतिष्ठा हो रही है, उससे सेक्युलर दल के नेता और भीमवादियों को छोड़कर सभी में जबरदस्त उत्साह, हर्ष और आनंद है।

जिस तरह भगवान शिव भारत के कुल देवता हैं उसी तरह मर्यादा पुरुषोत्तम राजा राम भारत के इष्टदेव हैं। भारतीय संस्कृति गुण के आधार पर व्यक्ति को सम्मान देती है। रावण विद्वान और ब्राह्मण था किंतु गुण हीनता के कारण वह राक्षस बन गया।

500 वर्ष पूर्व मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा श्री राम के मंदिर की जगह मस्जिद निर्माण किया गया था। जिसके लिए हिंदुओं द्वारा 74 बार युद्ध किया गया, 3.70 लाख हिंदुओं ने अपने राम के लिए प्राणों की आहुति दी। मंदिर की डगर बहुत सहज नहीं रही है।

हारिये न हिम्मत विसारिये न राम ।
तू क्यों सोचे बंदे सब की सोचे राम ॥

विषय यह भी है कि यदि मुस्लिम शांति का मजहब है तब मंदिर के ऊपर मस्जिद बनाना यह दर्शाता है कि मुस्लिम का मजहब से कोई वास्ता नहीं है, न ही वह सत्य पर चल सकता है। दूसरे की संपत्ति उनकी माले-गनीमत है। वैसे धन और औरत के लिए इक्कट्ठे हुये जिरगे के लोगों ने अपनी सामाजिक मान्यता के मजहब-ए-इस्लाम को अमलीजामा पहनाया है।

मंदिर स्थल  इस्लाम की क्रूरता और उसकी सच्चाई को दर्शाता है। अभी भी भारत के 3000 पूजा स्थलों पर मस्जिद और दरगाहें बना रखी हैं। उस पर बोलने पर वे कहते हैं कि आप हिन्दू-मुसलमान करते हैं?

रामलला के आने से भारत में कुछ सकारात्मक और बड़े परिवर्तनों से हम रूबरू होंगे। यह परिवर्तन भारत की विश्वस्तर पर मान्यता, अर्थव्यवस्था, इसरो और DRDO में दिखना भी आरम्भ हो गया है। सामाजिक रूप से बड़ा परिवर्तन होने जा रहा है। सनातन धर्म की आलोचना करने वाले सेक्युलर, नास्तिकों की संख्या में भारी कमी आयेगी। सबसे बड़ा परिवर्तन मुसलमानों में होगा, बड़ी संख्या में लोग घर वापसी करेंगे।

बाढे पूत पिताके धरमे” पिता के धर्म से पुत्र विकास करता है, पिता की संपत्ति और पुण्य पुत्र को भी मिलते हैं। तब क्या उस पिता के पाप का भागीदार पुत्र को नहीं बनना पड़ेगा? मुस्लिम आक्रांताओं के पाप कर्म का फल उनकी संतानों को भारत में भुगतना पड़ेगा। कहे कोई कुछ भी किंतु भारत में मुसलमानों का हनीमून टाइम पूरा हो चुका है।

राम की संस्कृति भारत के सीमा पार कर सुदूर इंडोनेशिया के जावा, सुमात्रा, वियतनाम, कोरिया और मलेशिया तक फैली है। राम वह नाम है जो मनुष्य क्या बन्दर, भालू, गिलहरी, चिड़िया और कुत्ते तक को आश्रय दिया। शबरी, निषादराज, गिद्धराज जटायु, सुग्रीव, ऋषि, मुनि आदि सभी को अपना बना कर उत्तर को दक्षिण से बांध दिया। सेना पर शून्य खर्च कर त्रिलोक विजेता रावण को उसके घर लंका में पराजित किया। ऐसे राम की आलोचना कोई विदूषक, मूर्ख या नेता ही कर सकता है। राम को पहले  जान लीजिए फिर आलोचना करिये।

सिय राम मय सब जग जानी  
करहु प्रणाम जोरी जुग पानी ॥

नोट : चित्र में यह मात्र रामलला का विग्रह ही नहीं है अपितु यह भारत-रूपी शरीर की आत्मा है।

अस्वीकरण: प्रस्तुत लेख, लेखक/लेखिका के निजी विचार हैं, यह आवश्यक नहीं कि संभाषण टीम इससे सहमत हो। उपयोग की गई चित्र/चित्रों की जिम्मेदारी भी लेखक/लेखिका स्वयं वहन करते/करती हैं।
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