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उदित हुआ सूर्य नये वर्ष का,
एक अलौकिक नव प्रकाश लिए।
दिग् दिगंत सुरभित हुआ है,
नव किसलय का सुगंध लिए।
जग के प्राणी इस नए उमंग से,
अपने हृदय को परिपूर्ण किए।
पक्षियों के कलरव एवं मधुपो के गुंजन ने,
एक अनोखा गीत रचा।
इस प्रफुल्लित मानव मन ने,
हृदय से नववर्ष मंगलमय कहा।
प्रकृति और वनस्पतियों ने,
मंगलकारी संकल्प लिया।
सर्वे भवन्तु सुखिना सर्वे,
सन्तु निरामया का शुभ आशीर्वाद दिया।
आइए हम सब भी,
जगनियांता को धन्यवाद कहें।
इस मनोहारी बेला में,
नए युग का निर्माण करें।
समस्त द्वेष ईर्ष्या वैमनस्य को मिटाकर
सबके हृदय में स्नेह ज्योति प्रज्वलित करें।
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