माँ की ममता

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Satyendra Tiwari
Satyendra Tiwari
न कविवर हूँ न शायर हूँ। बस थोड़ा-बहुत लिखा करता हूँ। मन में आए भावों को, कभी गद्य तो कभी पद्य में व्यक्त किया करता हूँ।

 मां! तुझ सा

इस धरती पर,

जिन्दा भगवान नहीं देखा

***

वात्सल्य, करूणा

अनुराग से उत्पल्वित

मैं तुझ सा

जलधाम नहीं देखा,

 मां! तुझ सा

इस धरती पर

जिन्दा भगवान नहीं देखा

***

इस फरेब की दुनियां में

मतलबी पसमंजर ही देखा,

पर तुझ सा

स्नेह का सुख सदन

ममता की मंजूषा,

शांति का

शिविर नहीं देखा,

 मां! तुझ सा

इस धरती पर

जिन्दा भगवान नहीं देखा

***

चोट लगे मुझको

और दर्द तुम्हें हो,

भूख लगे मुझको

और तड़प तुम्हें हो,

तेरी चरणों में

धरती आसमां को मिलते देखा,

 मां! तुझ सा

इस धरती पर

जिन्दा भगवान नहीं देखा

***

मदर्स डे की हार्दिक शुभकामनाएँ!

Dedicated to all mothers of the world including my mother!

 

अस्वीकरण: प्रस्तुत लेख, लेखक/लेखिका के निजी विचार हैं, यह आवश्यक नहीं कि संभाषण टीम इससे सहमत हो। उपयोग की गई चित्र/चित्रों की जिम्मेदारी भी लेखक/लेखिका स्वयं वहन करते/करती हैं।
Disclaimer: The opinions expressed in this article are the author’s own and do not reflect the views of the संभाषण Team. The author also bears the responsibility for the image/images used.

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