चलो कहीं दूर चले हम
शहर की आबो हवा खराब है
न दिन को शुकूं है शाकी
न ही रात पे इतबार है
चलो कहीं दूर चले हम
शहर की आबो हवा खराब है
***
जजबातों में न कशिश है
न ख्यालातों में है ताजगी
खुद के दुख से न परेशान कोई
गैरों के सुख सब हलकान है
चलो कहीं दूर चले हम
शहर की आबो हवा खराब है
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नजर दूर तलक कहीं जाए
हरशय में एक सुरुर है
ठहरने का मकसद पता नहीं किसी को
बस रफ्तार ही रफ्तार है
चलो कहीं दूर चले हम
शहर की आबो हवा खराब है
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हाल-ए-ग़म-ए-फ़ुर्क़त कहीं शबाब पर
कहीं बेगैरत-ए-बेवजह बहार है
यहाँ होश में तो हैं सब मगर
दिलों पे कुछ और ही नासार है
चलो कहीं दूर चले हम
शहर की आबो हवा खराब है
***
बहुत मासूम नजरें हैं यहाँ
मगर वो फरेब का करोबार है
दिखता भी कहीं प्रेम है तो
बहुत ये मंहगा व्यापार है
चलो कहीं दूर चले हम
शहर की आबो हवा खराब है
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दुआएँ बेअसर दिखने लगी है
आरज़ू थी एक चमत्कार हो
जमीं पे खुदा आ सकते नहीं
और आदमी, आदमी का गुनाहगार है
चलो कहीं दूर चले हम
शहर की आबो हवा खराब है
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इबारत-ए-असरार मगर
अश्फाक-ए-इल्तिजा है आश्ना
बेखुदी में शहर-ए-ऐहतमाम है
इत्तिफ़ाक़न हमें तो होश है
चलो कहीं दूर चले हम
शहर की आबो हवा खराब है
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नजर फरेब है बहुत
निशाना दिल पे करते हैं
जख्म सीने पे सहते हैं
वो हमें इसी काबिल समझते हैं
चलो कहीं दूर चले हम
शहर की आबो हवा खराब है
***
चलो कहीं दूर चले हम
शहर की आबो हवा खराब है
न दिन को शुकूं है शाकी
न ही रात पे इतबार है
चलो कहीं दूर चले हम
शहर की आबो हवा खराब है
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