मेरे कमरे में गौरैया ने घोसला बनाया, इंडक्शन के कवर में। गौरैया का जोड़ा बहुत प्रसन्न था, उनके घर दो नन्हें मेहमान आ गये थे। दिनभर जोड़ा अपने बच्चें की भूख मिटाने के लिए कुछ न कुछ लाते रहता।
यह गर्मी का मौसम है, कमरे में पंखा चलता रहता है। कल जैसे ही नर गौरैया अपने बच्चे को खिला कर बाहर की ओर उड़ा, वह पंखे की चपेट में आ गया। क्रूर पंखे ने जोड़े को सदा के लिए अलग कर दिया। मौत आशाओं को तो तोड़ जाती है किन्तु प्रेम को नष्ट नहीं कर पाती।
उदास गौरैया अपने जोड़े को दो दिन से ढूढ़ती रही है कि कहीं से उड़ के आ जायेगा, उसे क्या पता मेरे पंखे ने उसकी जान ले ली है। फिर भी वह मां अपने बच्चों को जीवित रखने के लिए कुछ-कुछ खाने को ला रही है। यह बच्चे उड़ने लगे तभी वह अपने जोड़े का वियोग भी मना पायेगी। उसकी विरह में यह प्राण दे देगी।
हम मनुष्य बहुत शातिर हैं, हमें सुख पहुंचाने वाले आधुनिक उपकरण कितने जीव जंतुओं का जीवन नष्ट कर रहे हैं। इन सबके बावजूद यह जीव निर्भय हो कर विचरण कर रहे हैं। भय तो मनुष्य को है, जानवर निश्चिंत रहता है। मनुष्य कैसे यह भूल सकता है कि यह जो चिड़िया, गाय, बकरी, पशु और पक्षी आदि है, वह भी पूर्व में मनुष्य रह चुके हैं। जो आज मनुष्य हैं, उन्हें भी कर्मानुसार 84 लाख योनियों के चक्र में विचरण करना पड़ेगा।
धरती पर एक मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जो अपनी जाति के मनुष्य को खाता है। रूस-यूक्रेन से लेकर अमेरिका, इराक, सीरिया और यमन तक का हाल यही है। मनुष्य का स्वार्थ सबसे बड़ा है, वह जानता है कि उसकी पत्नी पेट से है फिर भी दोनों सेक्स एन्जाव करते हैं, जबकि ऐसा पशु-पक्षी या जानवरों में भी नहीं है। मजेदार बात यह है कि मनुष्य ही दूसरे मनुष्य का व्यापार करता है जबकि उसकी मुद्रा है, विज्ञान है, इंटरनेट है फिर भी शोषण आधारित व्यवस्था बनाता है क्योंकि उसका अपना एक देश है।
कहने को प्रेम, दया मनुष्य में होती है लेकिन व्यवहार में उसे हिंसा, मांस, शराब से ज्यादा मतलब है। इस समय विश्व में एक हलचल है कि मनुष्य विश्वयुद्ध, परमाणु और अणुबम का प्रयोग लोगों को मारने के लिए कर देगा। पूर्व में हीरोशिमा और नागासाकी में मनुष्य को विकलांग बनाने का प्रयोग हुआ है। हाल में चीन द्वारा वुहान की लैब से भी वायरस को लीक किया गया, परिणाम लाखों लोग मारे गये। मनुष्य लड़ाई लड़ रहा है, यह मेरा देश है.. वह तेरा देश।
मनुष्य ने इतना भौतिक विकास कर लिया है कि अब वह विनाश के पथ पर अग्रसर है, एक बम आज दस करोड़ की आबादी को एक बटन दबाने भर में मार सकता है।