पाकिस्तान के अवैध कब्जे में गिलगिट बाल्टिस्तान के लोगों की मांग है कि गिलगिट बाल्टिस्तान का भारत में विलय किया जाय उनके जननेता सेरिंग ने गृहमंत्री से कहा है कि उनकी आस्था भारतीय संविधान में है, अमित शाह जी उन्हें भी प्रतिनिधित्व प्रदान करें। यह मांग जल्द ही POK के मुजफ्फराबाद से भी सुनाई देगी।
सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात है कि बलूचिस्तान पर जहाँ 1761 के पानीपत में पराजित मराठे जिन्हें अहमद शाह अब्दाली ने गिरफ्तार करवाया था और उन्हें बलूच नेता को उपहार में दे दिया जो बाद में मुस्लिम बना लिए गये थे। किंतु अभी भी मराठी संस्कृति उन बलूची मराठियों में दिख जाएगी। भारत को उनकी आवाज बनना है।
जिन्ना का पाकिस्तान एक असफल मुल्क है जहाँ लोग अमन शांति से जी भी नहीं पा रहे हैं। भारत को अखंड भारत के निर्माण की ओर आगे बढ़ाना चाहिए। अभी भी पूना में वीर सावरकर जी का अर्थी कलश अखंड भारत की सिंधु नदी का इंतजार कर रहा है।
पाकिस्तान बदइंतजामिया का शिकार है। शासन पर आतंकियों या कट्टरपंथी की मजबूत पकड़ है वहाँ का प्रधानमंत्री सिर्फ सेना का रबर स्टैम्प है। वह चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता है। कोई भी कट्टरपंथी खड़ा होकर प्रधानमंत्री को संसद में ही नजरबंद कर सकता है पिछली सरकार के प्रमुख नवाज शरीफ के प्रधानमंत्री पद पर रहते हुये ऐसा ही हुआ था।
पाकिस्तानी हुक़ूक़ के लिए भारत को बड़ा दिल दिखाना चाहिए उन्हें पाकिस्तान जैसे देश को सेना, मुल्ला और दलाल से मुक्त कर भारत में विलय करना चाहिये। उन्हें भी गरिमामय जीवन, बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य की दरकार है और यह उचित समय है भी है क्योंकि 72 साल में पाकिस्तान की उपलब्धि आतंकवाद या खाड़ी देशों में मजदूर से अधिक की नहीं है।
जब 1947 में बटवारा हुआ था तब कॉटन की मिल भारत में और कॉटन की खेती पाकिस्तान में रह गई थी जिसका विकास पाकिस्तान समय के साथ नहीं कर पाया। यहाँ लोगों से ज्यादा नेताओं के अपने हित हैं, सेना के अपने हित हैं। पाकिस्तान में सेना ही सबसे बड़ी कंपनी है जो पूरे उत्पादन का 50% अकेले उत्पादित करती है। सेना औद्योगिक है तो राजनीतिक हिस्सेदारी भी करती है।
पूरी व्यवस्था ध्वस्त है, अमीर वर्ग के पास दोहरी नागरिकता है। पाकिस्तान को दुबई से संचालित किया जाता है क्योंकि इस समय उसका अमीर तबका वही रहता है। वर्तमान प्रधानमंत्री के पास भी दोहरी नागरिकता रह चुकी है। उनके प्रधानमंत्री बनने में सेना का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है।
यद्यपि कश्मीर से धारा 370 के हटाने के विरोध में भारतीय संसद में कुछ आवाजें उठी तो एक बार लगा कि यह पाकिस्तान परस्ती है लेकिन ध्यान दें तो समझ में आयेगा कि कुछ भारतीय राजनीतिक पार्टियों का अस्तित्व ही मुस्लिम वोट बैंक पर निर्भर करता है तब यह मजबूरी बन जाती है कि उन्हें खुश रखा जाय उसके लिए देशहित को छोड़ना पड़े तो भी ठीक है क्योंकि कई नेताओं के वंश इसी आधार पर 50 दशक से सत्ता सुख ले रहे हैं, अब उन्हें अपना किला गिरता दिख रहा है तो उसे बचाने की जुगत में यह देश विरोध।
पाकिस्तान के रिएक्शन से तो ऐसा लगता है कि जैसे वह भारत का ही एक राज्य है लेकिन कांग्रेस की नीति ऐसी रही जिसने पहले देश के बंटवारे को समर्थन दिया फिर पाकिस्तान को उसकी औकात से ज्यादा तबज्जो दिया गया जो भारत के लिए नासूर बन गया। गाँधीजी ने जिन्ना को कायदे आजम – कायदे आजम कह कर इतना बढ़ा दिया कि जिन्ना देश के टुकड़े ही कर गया।
यह समय इतिहास की गलतियों को सुधारने का है भारत, पाकिस्तान की मजलूम की आवाज सुने, आम जनता की आवाज बने। पाकिस्तान की नीति पर विचार करे कि क्या पाकिस्तान का मुल्क भारतीय मानचित्र के साथ सही है? क्यों भारत के एक होने की आवाज जल्द ही सिंध से भी सुनाई देगी।
Apka khna nyaysangat h pak ki dagmagadi avstha pr smpurn lekh .
आपकी विवेचना तर्कसंगत है, वास्तव में अंतराष्ट्रीय बिरादरी में मामले को समझाते हुए भारत ऐसा कर सकता है और कूटनीति भी कहती है कि ऐसा करना चाहिए 😊