स्वस्तिक का रहस्य

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स्वस्तिक क्या है?

सफलता के लिए स्वस्तिक का प्रयोग :

हिन्दू संस्कृति के प्राचीन ऋषियों ने अपने धर्म के आध्यात्मिक अनुभवों के आधार पर कुछ विशेष चिन्हों की रचना की। ये चिन्ह मंगल भावों को प्रकट करती हैं। ऐसा ही एक चिन्ह है “स्वास्तिक“।

स्वस्तिक मंगल चिन्हों में सर्वाधिक प्रतिष्ठा प्राप्त है और पूरे विश्व में इसे सकारात्मक ऊर्जा का स्त्रोत माना जाता है। इसी कारण किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले स्वस्तिक का चिन्ह बनाया जाता है।

स्वस्तिक दो प्रकार का होता है – एक दांया स्वस्तिक दूसरा बांया स्वस्तिक।

दाहिना स्वस्तिक नर का प्रतीक है और बांया नारी का प्रतीक है।

वेदों में ज्योतिर्लिंग को विश्व के उत्पत्ति का मूल स्त्रोत माना गया है। स्वस्तिक की खड़ी रेखा सृष्टि के उत्पत्ति का प्रतीक है और आड़ी रेखा सृष्टि के विस्तार का प्रतीक है तथा स्वस्तिक का मध्य बिंदु विष्णु जी का नाभि कमल माना जाता है जहाँ से विश्व की उत्पत्ति हुई है। स्वस्तिक में प्रयोग होने वाले 4 बिन्दुओ को 4 दिशाओं का प्रतीक माना जाता है।

कुछ विद्वान् इसे गणेश जी का प्रतीक मानकर प्रथम पूज्य मानते हैं। कुछ लोग इनकी 4 वर्णों की एकता का प्रतीक मानते हैं, कुछ इसे ब्रह्माण्ड का प्रतीक मानते हैं और कुछ इसे ईश्वर का प्रतीक मानते हैं।

अमरकोश में स्वस्तिक का अर्थ आशीर्वाद, पुण्य, मंगल कार्य करने वाला है। इसमें सभी के कल्याण व कुशल-क्षेम की भावना निहित है।

इसका आरंम्भिक आकार गणित के धन (+) के सामान है अतः इसे जोड़ का/मिलन का प्रतीक भी माना जाता है। धन के चिन्ह पर 1-1 रेखा जोड़ने पर स्वस्तिक का निर्माण हो जाता है।

हिन्दुओं के समान जैन, बौद्ध और ईसाई धर्म में भी स्वस्तिक को मंगलकारी और समृद्धि प्रदान करने वाला चिन्ह मानते हैं।

उदयगिरी और खंडगिरी के गुफाओं में भी स्वास्तिक चिन्ह मिले हैं। स्वस्तिक को 7 अंगुल, 9 अंगुल या 9 इंच के प्रमाण में बनाया जाने का विधान है। मंगल कार्यो के अवसर पर पूजा स्थान तथा दरवाजे की चौखट पर स्वस्तिक बनाने की परम्परा है।

स्वस्तिक का आरंभिक आकार पूर्व से पश्चिम एक खड़ी रेखा और उसके ऊपर दूसरी दक्षिण से उत्तर आड़ी रेखा के रूप में तथा इसकी चारों भुजाओं के सिरों पर पूर्व से एक-एक रेखा जोड़ी जाती है तथा चारों रेखाओं के मध्य में एक-एक बिंदु लगाया जाता है और स्वस्तिक के मध्य में भी एक बिंदु लगाया जाता है। इसके लिए विभिन्न प्रकार की स्याही का उपयोग होता है।

स्वस्तिक की उपयोगिता

स्वास्तिक क्या है? कैसे प्रयोग करे? स्वस्तिक सफलता के लिए :

1.पारद या पञ्च धातु का स्वस्तिक बनवा के प्राण प्रतिष्ठा करके चौखट पर लगवाने से अच्छे परिणाम मिलते हैं।

2. चांदी में नवरत्न लगवाकर स्वस्तिक चिन्ह पूर्व दिशा में लगाने पर वास्तु दोष व लक्ष्मी प्राप्त होती है।

3. वास्तु दोष दूर करने के लिये 9 अंगुल लंबा और चौड़ा स्वस्तिक सिन्दूर से बनाने से यह नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में बदल देता है।

4. धार्मिक कार्यो में रोली, हल्दी या सिन्दूर से बना स्वस्तिक आत्मसंतुष्टि देता है।

5. गुरु पुष्य या रवि पुष्य में बनाया गया स्वस्तिक शांति प्रदान करता है।

6. त्योहारों में द्वार पर कुमकुम सिन्दूर अथवा रंगोली से स्वस्तिक बनाना मंगलकारी होता है। ऐसी मान्यता है कि देवी – देवता घर में प्रवेश करते हैं इसीलिए उनके स्वागत के लिए द्वार पर इसे बनाया जाता है।

7. अगर कोई 7 गुरुवार को ईशान कोण में गंगाजल से धोकर सुखी हल्दी से स्वस्तिक बनाए और उसकी पंचोपचार पूजा करे साथ ही आधा तोला गुड़ का भोग भी लगाए तो दुकान में बिक्री बढ़ती है।

8. स्वस्तिक बनवाकर उसके ऊपर जिस भी देवता को बिठा के पूजा करें तो वो शीघ्र प्रसन्न होते हैं।

9. देव स्थान में स्वस्तिक बनाकर उस पर पञ्च धान्य का दीपक जलाकर रखने से कुछ समय में इच्छित कार्य पूर्ण होते हैं।

10. भजन करने से पहले आसन के नीचे पानी, कुमकुम, हल्दी अथवा चन्दन से स्वास्तिक बनाकर उस स्वस्तिक पर आसन बिछाकर बैठकर भजन करने से सिद्धि शीघ्र प्राप्त होती है।

11. सोने से पूर्व स्वस्तिक को अगर तर्जनी से बनाया जाए तो सुख पूर्वक नींद आती है, बुरे सपने नहीं आते हैं।

12. स्वस्तिक में अगर पंद्रह या बीसा का यन्त्र बनाकर लाकेट या अंगूठी में पहना जाए तो विघ्नों का नाश होकर सफलता मिलती है।

13. मनोकामना सिद्धि हेतु मंदिरों में गोबर और कुमकुम से उलटा स्वस्तिक बनाया जाता है।

14. होली के कोयले से भोजपत्र पर स्वास्तिक बनाकर धारण करने से बुरी नजर से बचाव होता है और शुभता आती है।

15. पितृ पक्ष में बालिकाएं संजा बनाते समय शुभता के लिए और पितरों का आशीर्वाद लेने के लिए गोबर से स्वस्तिक भी बनाती हैं।

16. वास्तु दोष दूर करने के लिए पिरामिड में भी स्वस्तिक बनाकर रखने की सलाह दी जाती है।

अतः स्वस्तिक हर प्रकार से फायदेमंद है, मंगलकारी है, शुभता लाने वाला है, ऊर्जा देने वाला है और सफलता देने वाला है इसे प्रयोग करना चाहिए।

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