हमारे वो गांव और वो अपनापन, लोगों के मिलने की गर्मजोशी बुजुर्गों की डाटम डाट दादी अम्मा का दुलार बासी खाने का नाश्ता दूध, दही, मट्ठे की जमघट सब मिलकर साथ खाना खाना ज्यादा लोग छोटा घर बड़ा दिल कोठारे पर चढ़ना धूल में सनना खेत बाग में दौड़ लगाना, ज्वार, बाजरा, मक्के, महुये की ताजी धमक। गाँव के खेल छुपम छुपाई, कंचे की चमकाई, गिल्ली डंडा, ऊच नीच, पेड़ पर चढ़ना उतरना वो नीम पीपल की ठंडी हवा, अमिया इमली जामुन बेर का स्वाद वो चिट्ठी पाती, पोस्टकार्ड, अन्तरदेसी और तार, गाँव में बाइस्कोप, हाथी का आना बच्चों के लिये मानो सारे त्योहारों का एक साथ आ जाना, गेंहू चावल से कुछ भी पा लेना।
फिर आया दौर VCR का एक जगह लगे कि चार गाँव देखने आजाये। गाँव में मनोरंजन के साधन थे कम फिर भी लोग थे बड़े मनोरंजक, पोखर का नहाना, भैंस का चराने जाना, कुश्ती साथ मे खेल कर आना आके तुरंत खाने पर वैठ जाना। कोई भी पराया नहीं था। खेत और बाग को इतना प्यार की उसे भी नाम से बुलाना छोटका बड़का सीता-मीता, खेत-खेतैया, राम, श्याम, घनश्याम और सुखदेव की बगिया।
फिर आया गाँव का पाजी टीवी, फोन, मोबाइल भैया। जिसमे खो गये गाँव के भइया। शहर ऐसा भाया कि चाचा भूल गयेगाँव गवइया। गाँव में टूट गये रिश्ते बट गई कोलिया, शहर गाँव में ऐसा आया कि छूट गये दादा आजी, सखी संगी साथी देखत रह पुरबा पछवैया घर बन गये मकान जिसमे नीचे है दुकान अब कहा रह गये ढोर खलिहान अब कुत्ते बिल्ली हो गये रसखान।
कहाँ रह गई दूध मठअइया अब सब हो गई शराब नशैइया। गूगल हो गया दादा नाना व्हाट्सएप हो गया साथी सखी। गाँव हुआ हलकान अब कहाँ रह गये लोग पुरान। बिक गया किसान सब लड़ रहे प्रधान भारत हो गया महान मानुष हो गये वीरान गाँव का चमन हो शमशान।
अब तो गाड़ियों की शोर से ग्राम बनते जा रहे भुखान बूढा है हैरान अब क्या होगा भगवान क्या होगी भारत की पहचान। अब हम भी बन जायेंगे अमेरिकन पहलवान। गाँव हुआ बुढ़ान शहर हो गया जवान कहाँ जायेंगे ग्राम के अरमान अब रह गया आँसू का असमान लोग भी अब हो रहे शैतान शायद अब न रहे ये जहाँन। फिर भी भारत तो हो ही रहा महान गांव का चाहे न रहे निशान…
Ganv ka sundar chitra kheencha hai aapne👍
Batut hi achha.darshayah h kahi par bhi koi kmi nhi chodi h.👍👌👌
सादर साभार मन को अच्छा लगने के लिये
Bahut badhiya sir
Thx bhai