एक नेता अखिलेश यादव

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Dhananjay Gangey
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अखिलेश यादव का राजनीतिक जीवन देखा जाय तो पहली बात यह है कि वे चांदी का चम्मच लिए पैदा हुये थे। राजनीति बपौती में मिली। पिता मुलायम सिंह हिस्ट्रीशीटर ही कहे जाते रहे हैं जिनके एक समय एनकाउंटर का आदेश तक तत्कालीन मुख्यमंत्री वी. पी. सिंह ने दिया था क्योंकि उनकी संलिप्तता बीहड़ के डाकूओं के साथ पाई गई थी, यहां तक कि यह भी कहा गया कि वह उन्ही में से एक थे। वह तो भला हो चौधरी चरण सिंह का जिन्होंने ने मुलायम सिंह को नेता प्रतिपक्ष बना कर इनकी जान बचा ली थी।

नवम्बर 2005 में मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री रहते, इनके एक पूर्व साथी निर्भय सिंह गुर्जर ने कहा था कि इटावा के दो शेर, एक मुलायम और दूसरे वह स्वयं। फिर क्या था रात में पुलिस ने निर्भय को मार गिराया।

भारतीय राजनीति में विवादित चरित्र वाले नेताओं में मुलायम सिंह यादव शीर्ष पर गिने जाते हैं। सपुस्तकीय शिक्षा प्रणाली हो, नकल शिक्षा व्यवस्था हो, गुंडों का भारतीय राजनीति में सफल प्रयोग हो या नौकरियों में सारी व्यवस्था को ताक पर रख कर अपने बिरादरी वालों को बाँट देना आदि-आदि।

आप सोच रहे हैं कि अखिलेश यादव की बात में मुलायम सिंह यादव को क्यों बता रहे हैं?

वह इस लिए कि बबूल में आम नहीं पैदा होता है। इसकी आशा ही व्यर्थ है। अखिलेश यादव का कार्यकाल (2012-17) उत्तरप्रदेश की राजनीति में गुंडों का, भ्रष्ट्राचार का, अपनी बिरादरी को नौकरी देने का स्वर्ण काल था। अपने पिता, चाचा और पिता के मित्रों को अखिलेश यादव ने धक्के मार कर किनारे लगा दिया। किंचित उन्हें गफलत हो गयी थी कि 223 सीट उनकी लोकप्रियता के कारण मिली है।

अखिलेश यादव हों या तेजस्वी यादव इनकी राजनीति का आधार यादव जाति रही है, लेकिन विडम्बना देखिये कि विवाह के लिए इन्हें यादव कन्या नहीं मिली। आगे इनकी भी संताने राहुल गांधी की तरह वर्णसंकर पैदा होंगी और वह भी सेकुलर-सेकुलर चिल्लायेंगी। इसे व्यक्तिगत मामला न कहिएगा क्योंकि एक जाति की भावना इनके इस कद्र से है कि वे साथ मरने-मारने तक आमादा रहते हैं।

यह भी हो सकता है कि अखिलेश यादव के कार्यकाल में कुछ कार्य अच्छे भी हुए हों, किन्तु आज तो योगी जी द्वारा कराये गये कार्यों को ही वह अपना बता रहे हैं, जिनका वह पूर्व में फीता काट चुके हैं। अयोध्या मन्दिर के मामले में पिता हिन्दुओं पर गोली चलवा चुके हैं और पुत्र काशी कॉरीडोर के कार्य को अपना बताने का दावा करते हैं। कल को मथुरा मन्दिर पर बयान जारी होगा कि मंदिर को गुप्त तरीके से पिछले 500 वर्षों से समाजवादी पार्टी बनवा रही है।

सर्वाधिक कब्रिस्तान बनने वाली अखिलेश की सरकार रही है। वह जातिवादी समय था जब मुलायम नेता बन गये थे, जिन्हें शुद्ध बोलना तक नहीं आता। जातिवादी राजनीति का दौर और अल्पसंख्यक वोट से सत्ता मिलने का समय जा चुका है। उत्तर प्रदेश में जगह-जगह मिनी पाकिस्तान दिख रहा था। बड़े-बड़े हज हाउस बन रहे थे।

भारत की संस्कृति में संस्कारों का बहुत महत्व रहा है। किसी बच्चे का पालन कैसे होता है, यह बहुत महत्वपूर्ण है। माता ने किन परिस्थितियों में बच्चे का पोषण किया होगा जब कि पिता उस बच्चे की माता को छोड़ कर दूसरी मेहरारू ढूढ़ रहा हो। उस बच्चे का व्यक्तित्व प्रभावित हो जाता है, वह समाज, परिवार आदि के प्रति प्रतिशोधात्मक रवैया अपनाता है। क्योंकि उसके बाप ने उसका बचपन बर्बाद कर दिया। इसे व्यक्तिगत हमले के रूप में न देखें बल्कि अपने आसपास देखें। ध्यान दें कि आपका और समाज का नेतृत्व कौन कर रहा है। संस्कारहीन व्यक्ति या मूल्यहीन विचार समाज को कौन सी गति देंगे?

आप बस जाति के चक्कर में किसी नालायक को नेता न मानिये, क्योंकि इसकी बड़ी भारी कीमत समाज और इतिहास चुकाता है।

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