पंजाब में कांग्रेस पार्टी ने जो किया, वह भूल गये कि मोदी सिर्फ एक पार्टी के प्रधानमंत्री नहीं हैं बल्कि पूरे देश के प्रधानमंत्री हैं। पार्टियां आयेगी-जायेगी यह देश रहना चाहिए। उन्हें प्रधानमंत्री पद की गरिमा का ध्यान भी नहीं रहा। अब पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी कह रहे हैं कि छोटी सी बात का बतंगड़ बनाया जा रहा है।
पंजाब की मुख्य तीन समस्याएं हैं, एक खालिस्तान और दूसरा नशा तीसरा कांग्रेस।
कांग्रेस – पिछली कांग्रेस की सरकार में जिस तरह नशे की शुरुआत हुई, वह अकाली सरकार में नशे में उड़ने लगा था। वर्तमान सरकार नशे से मुक्ति का वादा कर आयी थी अब खालिस्तान को पुनर्जीवन दे रही है। भिंडरावाले को कांग्रेस ने खड़ा किया और खत्म भी। पुनः उसी भूत को सत्ता के लिए बोतल से निकाला जा रहा है।
पिछले २०१७ के चुनाव में दिल्ली के विजय रथ पर सवार आप (आम आदमी) पार्टी ने जगह बनाने के लिए खालिस्तान को समर्थन दिया। यही उन्हें कांग्रेस के अंदर से समर्थन की बहुत बड़ी ताकत बनी। इसीलिए रोड़ा बने कैप्टन के ऊपर सिद्धू को बिठा दिया। सिद्दू की स्वीकार्यता भारत से ज्यादा पाकिस्तान में है। आप की ओर जाते वोटर के लिए जरूरी था खलिस्तान की मांग को मजबूती देना।
खलिस्तान को समर्थन पाकिस्तान, चीन और कनाडा से मिल रहा है।
विपक्ष का मतलब है कि सत्तासीन पार्टी के नीतियों का विरोध करना। मतभेद तो ठीक है लेकिन मनभेद नहीं। कहा भी जाता है कि लोकतंत्र में सत्तापक्ष और विपक्ष दुश्मन नहीं बन सकते। पार्टी के चक्कर में देश पीछे छूटा जा रहा है। पार्टी के विरोध में देश से भी विरोध करने में कोई गुरेज नहीं है। कैसे भी हो हम सत्ता में आये। यह भी भूल गये कि उन्ही की पार्टी की देश की पूर्व प्रधानमंत्री को इन्हीं खालिस्तानियों के समर्थक स्वर्ण मंदिर के बेअदबी के कारण गोलियों से छलनी कर दिया था।
मोदी सरकार यहां दूसरी बार चुकी है, पहली बार जब लाल किले की प्रचीर पर तिरंगे की बेअदबी हुई थी। उसी समय गोली मारनी थी। उसी का प्रतिफल यह दूसरी घटना है। अभी तक पार्टियां सम्मिलित थीं, अब पंजाब सरकार ही शामिल हो गयी है।
मोदी सरकार को प्रधानमंत्री पद की गरिमा बनाये रखने के लिए चन्नी सरकार को तुरंत बर्खास्त करना चाहिए, नहीं तो कांग्रेस के साथ अन्य पार्टियों के शासन वाले राज्यों में केंद्र की सीमा समाप्त हो जायेगी और इसका भविष्य की राजनीति पर दूरगामी परिणाम अच्छे नहीं होंगे।
कांग्रेस पार्टी का लब्बोलुआब उद्देश्य गांधी वाला रह नहीं गया है, केवल बातों में ही गांधीवाद दिखता है। उसकी शागिर्द में देश के दो पूर्व प्रधानमंत्रियों की हत्या हो चुकी है। इस पर कठोर कार्यवाही नहीं होने की स्थिति में षड्यंत्रकारी पार्टियां और नीच हरकत करेंगी।
ऐसा लगता है कि जैसे चन्नी सरकार का षड़यंत्र प्रधानमंत्री के काफिले को इतना ब्लाक करने का यह था कि अफरातफरी में प्रधानमंत्री के गार्ड भीड़ पर गोली चलाएंगे, जिसमें प्रदर्शनकारी मारे जायेंगे और तब राजनीतिक बेवायें चूड़ियां तोड़ेगी कि यह लोकतंत्र की हत्या है। फांसीवादी शासन है जिससे विदेशी मीडिया में सुर्खियां बनेगी, इटली के माध्यम से पोप का मकड़जाल पुनः बहाल होगा।
इन्हें विदेशी शासन और विदेशी वंशजों का शासन ही भाता है, उसके लिए जरूरत पड़ने पर पाकिस्तान और चीन टूलकिड बन जायेगे। नीच हरकतों से कांग्रेस पार्टी को उसके ही नेता खत्म कर देंगे। उसके लिए भाजपा, संघ या किसी मोदी की जरूरत ही नहीं है।