धर्म और राजनीति

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Dhananjay Gangey
Dhananjay gangey
Journalist, Thinker, Motivational speaker, Writer, Astrologer🚩🚩

सुख का मूल धर्म है और धर्म का मूल अर्थ अर्थात राजनीति है। ईसाई व्यवस्था ने पोप के जकड़न से मुक्त होकर पूरे विश्व को अपने आगोश में ले लिया था। इसके कारण जिस व्यवस्था का प्रतिपादन हुआ उसका मानना था कि धर्म को राजनीति के अधीन रहना चाहिए, जिससे राजनीति स्वतंत्र रूप से कार्य करते हुये और सर्वश्रेष्ठ रहते हुए वर्चस्ववादी बनी रही है।

आज इस्लामिक देशों को छोड़कर यही व्यवस्था सफल है। भारत भी इससे अछूता नहीं है अंग्रेजों के बाद सत्ता धर्म-निरपेक्ष लोगों के पास आयी, जिन्होंने अंग्रेजों को अपना उद्धारक मान लिया। यूरो-ईसाई व्यवस्था को लागू रहने दिया गया। धर्म और धर्मगुरुओं की नित्य निंदा चलती रही। भारतीय धर्म का परिप्रेक्ष्य ईसाई या मुस्लिम से भिन्न है। यहाँ धर्म आपके सुख का कारण है, वह वर्गीय न होकर सीधा, सहज और सरल है। राजनीति स्वेच्छाचारी न हो इसलिए धर्म का अंकुश अनिवार्य है।

भारत को भारत की तरीके से जिस दिन स्वीकार कर लेंगे, उस दिन विश्व-शक्ति भी बन जाएंगे। भारत और उसके मूल धर्म में इतनी शक्ति है कि वह पूरे विश्व को आश्रय दे सकता है। भारतीय व्यवस्था शोषण आधारित न होकर पोषण आधारित है, बस आपको अपने चक्षु खुले रखने हैं। राजनीति राजनीतिक कार्य करे, धर्म पर श्रेष्ठता स्थापित करने का प्रयास न करे।

चारों शंकराचार्य धार्मिक विधियों के पोषक हैं, न कि मसखरे। आपकी आदत है कि बिना जाने, समझे प्रोपोगेंडा को ही अपना विचार बना लेते हैं। चार पीठ चार वेद के परिचायक हैं। जगन्नाथपुरी ऋग्वेद का, श्रृंगेरी यजुर्वेद का, द्वारका की शारदापीठ सामवेद की और बद्रिकाश्रम अथर्वेद का।

जिनका जीवन धर्म के संरक्षण के लिए है, आप उनकी आलोचना कर रहे हैं। आलोचना से पूर्व उनके आलोच्य को जानने का प्रयास करिये।

एक बात बिल्कुल स्पष्ट है कि भारत के इष्टदेव भगवान श्रीराम के मंदिर बनने से भारत २० वर्षों के अंदर विश्व की सबसे बड़ी शक्ति बन जायेगा, विश्व की आधी जनसंख्या हिन्दू हो जायेगी। इसके बाद भी धार्मिक विधियों का निषेध नहीं होना चाहिए। अन्यथा इतिहास हमें बताता है कि धार्मिक स्वेच्छाचारिता के कारण ही भारत को बर्बरों ने जीत लिया था।

अस्वीकरण: प्रस्तुत लेख, लेखक/लेखिका के निजी विचार हैं, यह आवश्यक नहीं कि संभाषण टीम इससे सहमत हो। उपयोग की गई चित्र/चित्रों की जिम्मेदारी भी लेखक/लेखिका स्वयं वहन करते/करती हैं।
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