उदारीकरण के बाद मोबाइल फोने का प्रचलन एक चमत्कार से कम न था। एक समय था जब किसी का मोबाइल फोने भीड़ में बज जाये तो लोग देखने लगते थे। मोबाइल एक अच्छे स्टेटस का प्रतीक था। वैसे देखा जाय तो फोन तो पहले से था किंतु सबसे बड़ा परिवर्तन मोबाइल लेकर आया।
मोबाइल के प्रचलन से अन्तर्देशीय/पोस्टकार्ड आदि चिट्ठी (पत्र या पाती), टार्च, घड़ी, रेडियो, कैल्कुलेटर, कम्पस के साथ-साथ लोगों के बीच के इंतजार को खत्म कर दिया। पहले किसी को कुछ सामान किसी के माध्यम से पहुँचाना होता तो लोग बता देते कि फला ट्रेन से इस नाम के व्यक्ति जा रहे हैं, इस रंग का कपड़ा पहने हैं, आप उनसे स्टेशन पर इस जगह मिल लेना किन्तु अब बस मोबाइल नम्बर बता दीजिये।
बुरा पहलू यह है कि मोबाइल ने अब सम्बन्धों में खलल डाल दिया है। आप को लगेगा कि देखिये कैसे मनुष्य में क्रोध और राग दोनों हैं। मान लीजिए दो लोगों में किसी बात पर अनबन हो गयी या किसी बात से नाराज हैं, इसी में एक फोन कॉल करके गुस्सा करने से सम्बन्ध खत्म। कितने शराबी हैं जो पीने के बाद फोन कॉल किये और फिर क्या? रिश्ता टूट गया। क्योंकि शराबी है तो बहक जाता है। पहले जब मोबाइल नहीं था तो पति के परिवार के रिश्ते आज की तरह अपेक्षाकृत कम बिखरे थे क्योंकि माता अपनी पुत्री को ससुराल में, घर से कोचिंग नहीं दे पाती थी।
दो लोग क्रोध में आमने-सामने होते तभी तो रिश्ता टूटता लेकिन मोबाइल ने दूरियां कम कर दीं और यह बंधन भी जाता रहा। रिश्ते से तो मिठास वैसे भी कम होती जा रही थी लेकिन मोबाइल फोने ने उसमें और सहयोग दे दिया। आज मोबाइल ने टेलीविजन (TV) को युवा वर्ग में लगभग खत्म ही कर दिया है। मोबाइल के साथ इंटरनेट की दुनिया के कारण पास बैठे सहयात्री से पहले गपशप होती थी, वह अब मोबाइल पर ही मुस्करा रहा है।
एक और चीज मोबाइल फोन ने खूब बढ़ाया है, वह है प्यार का खेल। अरे वही GF/BF वाला। मोबाइल ने पूरी तरह से एक आभासी, वर्चुअल दुनिया बना ली है। बहुसंख्यक लोगों का अधिकांश समय यही खा जा रहा है। तरह-तरह के मोबाइल गेम बच्चों को लोगों की तरफ इनट्रैक्ट नहीं करने दे रहे हैं। आउटडोर गेम में उसकी दिलचस्पी नहीं रह गयी है।
मोबाइल ज्यादा देर समय बिताने में कंधे में दर्द, आंख में दर्द, चिड़चिड़ापन, देर से सोकर उठाना और डिप्रेशन आम बात हो चुकी है। कुछ भी निजी बातें वायरल कर लोगों की निजता भंग की जा रही है। पोर्न मूवी शायद ही कोई मोबाइल यूजर हो, जिसने न देखा हो। छोटे मोटे प्रोग्राम में लोग मोबाइल से फोटो खींचने लगते हैं कि सही वाले फोटोग्राफर को भी फोटो लेने में दिक्कत होती है। मोबाइल यूजर से पूछिए क्यों भाई! तुमको क्या जरूरत है किसी के प्रोग्राम में मोबाइल चमकाने की?
मोबाइल फोन का लाभ निश्चित रूप से है लेकिन इसका सही प्रयोग न होने से प्रयोगकर्ता को नुकसान ही अधिक हो रहा है। लोग एक दूसरे से बहुत बात करते थे वह मोबाइल के दौर में थम सा गया है।
नोट: प्रस्तुत लेख, लेखक के निजी विचार हैं, यह आवश्यक नहीं कि संभाषण टीम इससे सहमत हो।
***
अब तो सुन रहे है की 😊SM नशा मुक्ति केन्द्र तक खुल गये है,FB नशा मुक्ति केन्द्र,ट्विटर नशा मुक्ति केन्द्र,और website नशा मुक्ति केन्द्र,साइबर नशा मुक्ति केन्द्र 😎आजकल क्या क्या देखना पड़ रहा है।