गांधी जिंदाबाद थे, हैं और रहेंगे।
वह कल भी राजनीतिक महात्मा थे और आज भी हैं। वह तब भी राजनीति के पर्याय थे और आज भी हैं।
गांधीवाद और अहिंसा के नाम पर भले ही कुर्बानियां लोगों ने दी हों, देश बटा हो, हिंदू घटा हो, उसके खून से देश की मिट्टी पटी हो। मेरा रामराज्य चाहे न आया हो, भले ही हिंदुओं पर विदेशी ईसाईयों का वाकओवर और मुस्लिमों का हैंगओवर हुआ हो फिर भी हम गांधी को अमर कहेंगे।
लौहार, कराची, पेशावर की गलियां वहाँ से आने वाली गाड़ियां हमारे अपनों की लाशों से भर गई। ठीक भी था, हम अपनी औरतों को वहीं छोड़ उनकी हालत कैसे देख पाते? गांधी तुम अब भी जिंदा हो.. हाँ तुम तो अमर हो।
तुम्हारे शरीर का वध करके किसी ने तुमको अमर कर दिया लेकिन तुम्हारे शिष्यों ने तुम्हारी आत्मा का वध कर दिया।
रामराज्य, हरिजन, वैष्णवजन कबसे भारत में अपराध घोषित हैं। अब सेकुलरजन, द्रोहीजन, नेताजन सभी भ्रष्ट्राचारीमन में विकसित हो गये हैं।
पीड़ा को कालापानी है, राम सुप्रीमकोर्ट में मुकदमा लड़ रहे हैं। नारी अपनी आबरू समेट रही है, भारतीय मानस को पागल घोषित कर हम विदेशों से प्रज्ञा और विवेक खरीद रहे हैं। गांधी तुम अब भी जिंदा हो.. हाँ तुम तो अमर हो।
नोट: प्रस्तुत लेख, लेखक के निजी विचार हैं, यह आवश्यक नहीं कि संभाषण टीम इससे सहमत हो।
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Very true, विचार कभी मरते नही,वह लोगो के मस्तिष्क में हमेशा जीवित रहते हैं, वध करके दोनो अमर हो गए ।