कांग्रेस पार्टी की स्थापना 1885 में ह्यूम (Allan Octavian Hume) नामक अंग्रेज ICS अफसर ने की थी।
जिसका लक्ष्य अंग्रेजों के लिए सुरक्षा वाल्व देना था, ज्ञापन आदि लेकर भारतीयों की आवाज बहरे कानों तक पहुँचा देना था। 1929 तक भारत की आजादी उसके एजेेंन्डे में नहीं थी। कुछ नेताओं को छोड़ बाकी अमीर वकीलों की भाषण बाजी साल में एक दिन होती थी।
गांधी से पहले बालगंगाधर तिलक ऐसे नेता थे जो गरम दल का नेतृत्व कर अखिल भारतीय पहचान बनायी थी।
गांधी का आगमन भारतीय राजनीति में बदली हुई परिस्थितियों में हुआ जब ब्रिटेन, उपनिवेशों को बचाने की जुगत में विश्व युद्ध लड़ रहा था।
गांधी को विक्टोरिया क्रॉस मेडल, कैसरे हिन्द की उपाधि, भर्ती करने वाले सार्जेंट की उपाधि, सक्रिय राजनीति में आने से पूर्व अंग्रेजों ने दी थी, वह ब्रिटेन में पढ़े भी थे। उनका तरीका भी अहिंसक था जो अंग्रेजो को भा गया।
गांधी जी एक ऐसे नेता के रूप में आये जो रामायण की चौपाई और गीता के श्लोक सुना कर लोगों का ध्यान खींचा, फिर जनता के साथ – साथ अंग्रेज अफसरों के शंका का समाधान किया। उन्हें लगा कि भारत से सकुशल निकलने में मदद भी मिल सकेगी।
लोग सोचते थे राजगोपालाचारी जी उनके उत्तराधिकारी बनेंगे लेकिन गांधी ने नेहरू को 1942 गोवालिया टैंक मैदान में उत्तराधिकारी चुन कर जनता को यकीन दिलाया कि मेरे मरने के बाद नेहरू, गांधी हो जायेगा। साथ अंग्रेजो को यकीन दिलाया कि जाते समय आपके जान के साथ माल की रक्षा होगी।
उनकी सकुशल ब्रिटेन वापसी बिना हिंसा के कैसे हुई? 2012 के बाद तक पेंशन ब्रिटेन कैसे जाती रही है? लालबहादुर शास्त्री की मृत्यु ताशकंद में कैसे हुई? तथा सुभाषचंद्र बोस की क्या विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई? यह यक्ष प्रश्न की तरह तैरते रह गये। साथ ही क्या और क्यों भारत जनरल डायर जैसे लोगों की पेंशन भिजवता रहा?
1937 के चुनाव में नेहरू ने मुस्लिम कांग्रेसी उम्मीदवार को मुस्लिम लीग के टिकट पर जिताने के बाद कांग्रेस में शामिल कर लिया। नेहरू जो क्रिश्चियन धर्म पर श्रद्धा रखते थे हिंदु तो राजनीति हित धर्म था बाकी वो मानव केन्द्रीत विचार धारा में आस्था रखते थे ।
अपनी आत्ममकथा में कहते है उन्हें धर्म मे विश्वास नहीं है। आरक्षण जैसे देश बाँटने के फार्मूले की शुरुआत भी इसी कांग्रेस की उपज है जो अपने राजनैतिक पिता अंग्रेजों से सीखा था, सत्ता स्थायी करने के लिए लोगों को जाति में बांटो।
हिन्दु धर्म के आधार को ही देश मे कमजोर कर विदेशी ईसाई मिशनरियों को बढ़ावा दिया गया। नेहरू के कार्यकाल में ही पूरा नार्थ ईस्ट ईसाई धर्म मे दीक्षित कर लिया गया। यहाँ अपने देश से इंग्लैंड के चरित्र की चिंता थी लोग भारतीय धर्म शास्त्र को गाली दे ठीक है लेकिन अंग्रेजो कोई न दे।
वेद अस्पर्श्य घोषित कर दिये गये भारतीय संस्कृति को गाली देना आधुनिकता का पर्याय बन गया। इसके लिए नेहरू व्यवस्था की जितनी तारीफ की जाय वह कम ही थी।
हिन्दु मुस्लिम के नाम पर भारत दो देशों में बट चुका था कुछ लोगों का कहना था प्रस्ताव पास करके अयोध्या, काशी, मथुरा में मंदिर बन जाये लेकिन नेहरू को मंदिर से क्या मतलब? आस्था हिन्दू में सिर्फ राजनैतिक थी। जिस तरह से सोमनाथ के मंदिर का विरोध किया, पटेल पर जोर न चला तो राजेन्द्र प्रसाद को धर्मनिरपेक्षता की दुहाई दी गई। प्रसाद जी ने कहा तो मैं राष्ट्रपति के नाते न जा कर हिन्दू होने के नाते जाऊँगा।
वह गांधी जो अपने बच्चों को सही शिक्षा देने में असफल हो गये, आश्रम में हुये दुराचार पर कई दिन भूख हड़ताल की। हिन्दू के नाम पर गांधी और नेहरू विदक जाते थे। गांधी को जब गोडसे ने गोली मारी तो नेहरू ने महाराष्ट्र में चितपावन ब्राह्मणों का नरसंहार कराया।
इस वंश के लोगों ने गोहत्या का विरोध कर रहे हिन्दुओ पर गोली चलवाने में भी संकोच। जिसमें गो सेवकों के साथ कई गाय भी मारी गई तब करपात्री जी ने कहा था ब्राह्मणों का खून इंदिरा को माफ किया लेकिन गाय केलिए तो भुगतना होगा। एक एक कर परिवार छिन्न भिन्न हो गया कोई गोली, कोई बम तो कोई प्लेन क्रैश में मारे गये।
गांधी नेहरू की विचार धारा असफल हुई, देश के टुकड़े हो गये, धर्म के नाम पर भारत में खून की होली खेली गई। नेहरू की कई नीतियों का खामियाजा देश अभी भी भुगत रहा है। कश्मीर नीति,चीन नीति, जमीदारी उन्मूलन, राजे महाराजे का राजनीति में प्रवेश, शिक्षा व्यवस्था में भारतीय संस्कृति को ही कमजोर किया गया और धर्म निपेक्षता का कीड़ा कटवाया गया।
यह हिन्दू संस्कृति के मानने वालों के जागृत होने का समय है, इस परिवार ने हिन्दुत्व को खत्म करने की शुतुरचाल सदा चली है, किताबों में पढ़िए हिन्दू देवी-देवताओं और हिन्दू राजे की स्थिति क्या है, कॉम्युनिस्ट को सहयोग दे कर ईसाइयत का खेल खेला। टेरेसा मिशनरी का प्रचार करते – करते मदर बन गई, उन्हें भारत रत्न दे दिया गया। वही बाबा आम्टे लोगों की सेवा में मर गये अब तो लोग उन्हें भूल भी चुके हैं।