मेरे इंतजार को पता नहीं किसका इंतजार है। जिसके पाने का सबसे ज्यादा करो इंतजार वही नहीं होता है। लोग चाहते तो है सब सही पर होता उल्टा पुल्टा सा है। जब आप लोगों से कट जाते हो एकांतिक जीवन जीने का प्रयास करते हो कई दुश्वारिया आती है। संकल्प और मन कमजोर हुआ कि आप समझो अवसाद में चले जाते हो। आप को लगता दुनिया में सब कुछ चल रहा सिवा मेरे,इस स्थिति का सामना साधारणतया कर पाना कठिन है हमें बचपन से दूसरे की इच्छा पर ही चलना सिखाया जाता है आप स्वयं क्या हो क्या सोचते हो ये कम से कम भारतीय समाज में मायने नहीं रखता है।
एक शब्द है “इनर इंजीनियरिंग” को आप की आंतरिक प्रक्रिया को सही करें। आप बहुत स्पीडी न हो अंदर के कलपुर्जों को सही काम करने दे। एक बार देखिये तो आंतरिक अंग प्रत्यंग क्या संदेश देते है । जीवन खा के मरने के इंतजार के लिये नहीं हो सकता है।
आप के अंदर एक पूरा ढांचा है बुद्धि और मन के आवेग में बाकी का प्रयोग नहीं कर पाते है। कभी आपने विचार किया है आखिरी बार कब आप कुछ देर बैठे एकदम शांत जब मस्तिष्क विचारशून्यता की स्थिति में था।
जीवन की वह प्रक्रिया जो स्वाभाविक है उस पर हम जा नहीं पाते है हमारा जीवन आशा निराशा में फस कर रह जाता है। एक बार विचार करिये हमारे शरीर में एक सेकंड में एक करोड़ सेल बनते है।
हमारी आंखे एक करोड़ अलग अलग रंगों की पहचान कर सकती है। हमारा हृदय पूरे जीवन काल मे 3 अरब बार धड़कता है। आंखे अगर कैमरा होती तो 576 मेगा पिक्सल की होती। 90% बीमारी कारण हमारा तनाव होता है।
इस लिए जीवन को सहजता पूर्वक जिये। चिंता छोड़े चिंतन करे सबसे अद्भुत अविष्कार आप हो। बस अपनी पहचान करें।