भारत में मुस्लिम दो तरह से बना है, पहला भय से दूसरा लोभ से।
2014 के बाद किसी को मुस्लिम बनते न देखा, यह अलग बात है इस्लाम छोड़ते जरूर देखा।
मुद्दे पर आते हैं, एक मुस्लिम कहता है कि अयोध्या छोड़ा और कोर्ट के माध्यम से हमने बड़ा बड़ा दिल दिखा कर श्री राम मंदिर बनना स्वीकार कर लिया। अपनी मस्जिद शिफ्ट करा ली अब मामला ज्ञानवापी का है, चलो इसे भी दे दें फिर आपके पास पूरी लिस्ट है कृष्णमन्दिर, गोविन्ददेव, बिन्दुमाधव मन्दिर, आटालादेवी, मार्तण्ड मन्दिर कश्मीर, कुतुब मीनार, अढ़ाईदिन का झोपड़ा, मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह, भोजशाला,
लालकिला, भद्रकाली अहमदाबाद, रुद्रमहालय सिद्धपुर, विजय मन्दिर विदिशा, राममंदिर अदीना मालदा, इद्रनारायण स्वामी मंदिर देवल निजामाबाद, चेरामन जुमा मस्जिद जिसे भारत की पहली मस्जिद कहा जाता था, वह भी मन्दिर पर ही बनी है।
इस तरह अनेकानेक मंदिरों पर मस्जिद बनी है। हम कितने छोड़ेंगे? ऐसे तो कुछ भी मुसलमान के पास न बचेगा। सभी प्रसिद्ध मस्जिदें और दरगाह किसी न किसी मन्दिर के ध्वंस पर ही बनी हैं। जिस सत्य की हिन्दू बात कर रहे हैं, वह सब हमें पता हैं लेकिन क्या आप नहीं जानते कि इस्लाम का विस्तार किस तरह किया गया? हमारा पैगम्बर ही काफिर को सुन्नत करने के लिए तलवार खींचे रहता था।
काशी के 63 मन्दिर, मथुरा के 17, प्रयाग के 27 मन्दिर औरंगजेब के फरमान से तोड़े गये थे, इसका वर्णन साक़ी मुस्तैद खान ने “मासिर-ए-आलमगीरी” में किया है, यह उसका दरबारी था।
अरे भई! हम मुस्लिम हैं, हम सबसे बाद अपना मजहब लेकर आये, अपने मजहब का प्रचार किस पर करेंगे? किसी बुतपरस्त और सलीबी पर ही न। और इन धर्मांतरित लोगों के लिए क्या मन्दिर को मस्जिद नहीं बना सकते।
हम मुस्लिम तो जाहिल, खानाबदोश, बर्बर और कबीले वाले लोग थे। हमने मार काट से दुनिया जीती, हमें यही आता है। आपने अपना सबक हमें क्यों नहीं सिखाया? जबकि हमारे सबक को तो आप फटाफट सीख गये, क्या अकेले हम ही दोषी हैं। अपनी आस्तीनें देखिए कितने गद्दार हैं।
हम रेगिस्तान वाले रेतीली आंधी से बचने के लिए औरतों को बुर्का पहनाते थे और स्वयं लबादा ओढ़ते थे किन्तु तुम धर्मान्तरित लोगों ने बुरके को मजहब से क्यों जोड़ लिया? तुम्हारे अपने गद्दार लोगों ने कहा कि मन्दिर पर हमला करो, इससे दो लाभ होगा पहला धन मिलेगा और दूसरा हिन्दू टूटेगा और इस्लाम को मानेगा।
मुस्लिमों ने देश को मजहब के लिए बाट दिया, चलो ठीक है.. भाइयों में भी बटवारा होता है किंतु तुमने अपने मुल्क में मुसलमानों को किस वजह से रोका?
अब जब मुसलान अपनी तादाद बढ़ा रहा है तब तीन तलाक, बुरका, हलाला, बहुविवाह, मांसाहार पर तुम्हें क्या आपत्ति है? शरिया कानून जाहिल मुल्लों को यहीं 72 हूरें रोज देता है। नारे तक़बीर अल्लाह हू अकबर से हम एक जुट हो जाते हैं, गर्दन काटनी हो, पत्थर फेंकना हो या मजहबी आतंक हो।
एक तरफ हमें जाहिल कहते हो तो दूसरी तरफ़ संस्कारी देखना चाहते हो। हिन्दू राम-कृष्ण का वंशज हैं तो हम कन्वर्टेड मुस्लिम किससे अपनी वंश शृंखला जोड़ें? पैगंबर, अफरासियाब, इब्राहिम या अली से जोड़ने का साहस तो नहीं कर सकते। फिर बचे यही आक्रांता जिनकी वजह से हमारे पूर्वज मुस्लिम हुये थे, इसी लिए हम भारतीय मुसलमानों का गजनवी, गोरी, बाबर और औरंगजेब से रिश्ता है। वही हमारे अब्बा हैं। आखिर हमारे वंश का भी तो एक वटवृक्ष चाहिए।
क्या हमें नहीं पता कि इस्लाम कितना पाक मजहब है, कितनी मन्दिर तोड़ी गईं, बलात्कार हुए, तलवार की जोर इस्लाम की ओर ले गयी। कर्नाटक के हम्पी के मंदिरों की शृंखला को लूटने के दौरान बीदर, बरार और अहमदनगर के मुस्लिम नवाबों ने एक जिहादी गुट बनाया था, खंडहर आज भी मौजूद हैं, यहीं बगल में पम्पापुरी सरोवर हनुमान जी का धर्मस्थल है। तुम हिंदुओं को अपना इतिहास ही नहीं पता है, तुम्ही में से कुछ सेक्युलर टोप में मुंडी डालकर बौद्धिक अतिवादी बन नया बांग दे रहे हैं।
अगर आप के अंदर दम है तो हमें फिर से हिंदू बनाओ। हम मुस्लिम रहकर इस्लाम की आलोचना नहीं कर सकते।