सिटीजन अमेंडमेंट बिल (CAB) से तकलीफ क्या है?
जिनको पाकिस्तान से हमदर्दी है, वह बेशक वहाँ चले जाएं। यह पड़ोसी दशों से घुसपैठ करने वाले मुस्लिमों के लिए है, भारतीय मुसलमानों के लिए तो नहीं है। फिर भी नफ़रतें बता रही हैं कि गद्दारी खून में और नफरत धर्म में है।
भारत के अधिकतर बड़े मंदिरों को मस्जिद बनाया गया। उस पर आज सभी उदारवादी जिन्हे लिब्रान्डू भी कहते हैं, मौन हैं। सारा खेल कांग्रेस और इन्ही सेकुलर वामपंथी द्वारा खेला जा रहा है। ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं है कि “सिटीजन अमेंडमेंट बिल” क्या है।
समस्या यह है कि यहाँ का मुस्लिम आज भी गाजी गजनवी, सलार, गोरी, तैमूर, बाबर और औरंगजेब को अपना मान रहा है। अभी तक उसके मन का हुआ तब ठीक था लेकिन अब व्यग्र है। घुसपैठियों के लिए 57 मुस्लिम देश हैं, उनसे भी तो शरण मांगी जा सकती है।
यह बिल मुस्लिम देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से जो प्रताड़ित अल्पसंख्यक हिंदू, जैन, बौद्ध, पारसी, सिख और ईसाई समुदाय जो धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आये हैं उन्हें भारत की नागरिकता देकर सम्मानपूर्वक जीवन का अधिकार देना है।
जब तुर्की के खलीफा के खिलाफत आंदोलन और रोहिंग्याओं के लिए अमर ज्योति तोड़ी जा सकती है, तब इनकी पीड़ा जायज है। यह भारत को अपने खाला का घर समझ रहे हैं। यह सारी कहानी अब बन्द होगी। कॉंग्रेस ने तुष्टिकरण कि बहुत राजनीति कर ली, यूनिफार्म सिविल कोड और जनसँख्या नियंत्रण से जल्द ही सब को विराम दिया जाएगा। सभी राष्ट्रगान भी गायेंगे और राष्ट्रगीत भी।
नई हवा चल रही है, कई तो पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ अच्छे व्यवहार को सिद्ध कर रहे हैं। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की संख्या में कमी होने को भी गलत बता रहे हैं। लेकिन पाकिस्तान के ईश निंदा कानून को नहीं बताया गया जिसमें 13 – 14 साल की अल्पसंख्यक लड़कियों का अपहरण और जबरन उनका निकाह करके मुस्लिम बनाना जा रहा है।
CAB का विरोध करने वाले हिंदुओं में भी वही हिंदू हैं जिन्होंने अपने स्वार्थ के लिए भारत माता की बलि चढ़ा दी और अंग्रेजों में फादर खोजने लगे।
भारत हिंदू राष्ट्र था और आगे भी रहेगा। अब न्याय होगा। सभी मंदिर वापस लिए जाएंगे। जल्द ही भारत का वास्तविक इतिहास भी भारत के लोगों को मिलेगा।
अगर चाहे तो पाकिस्तान भी ऐसा ही एक बिल ले आकर भारत को कड़ी चुनौती दे सकता है। भारत के अल्पसंख्यक जो असुरक्षित महसूस कर रहे हैं उन्हें अल्लाह और हूरों के वतन लौटने का प्रस्ताव पास कर सकता है क्योंकि मुस्लिम धर्म के लिए ही पाकिस्तान देश बनाया गया था।
नोट: प्रस्तुत लेख, लेखक के निजी विचार हैं, यह आवश्यक नहीं कि संभाषण टीम इससे सहमत हो।
***