सबसे ज्यादा चिढ़ सेकुलरों को इस लिए मची है क्योंकि कल तक उन्हें बौद्धिक, विद्वान और न जाने क्या-क्या कहा जाता था और आज उनकी बौद्धिक मॉब लिंचिंग हो गयी, वे गांव के “खौरा कुकुर” हो गये हैं। जिधर जा रहे हैं, लोग लट्ठ लिए पीछे पड़े हैं।
नया बौद्धिक प्रबुद्ध समाज बन गया है। सेकुलर बौद्धिक, अल्पसंख्यक बौद्धिक आतंकवादी हो गया है। ज्यादातर हिन्दू समाज इन्हें मक्कार और फर्जी विद्वान कह रहे हैं। यह एजेंडा लेकर चल रहे थे, इनका नैरेटिव हिन्दू आस्था के खिलाफ था। वेश्याएं सतवंती का अभिनय कर जरूर सकती हैं, वास्तविक नहीं बन सकतीं। एकाकी विश्लेषण से स्वस्थ्य समाज का निर्माण नहीं किया जा सकता है।
एक अजीबोगरीब तर्क दिया जा रहा है कि 1947 के बटवारे में जिन मुस्लिमों ने लोकतंत्र में आस्था व्यक्त की थी, जिन्हें भारत से प्यार था, वह भारत में रुक गये। जिन्ना के “डायरेक्ट एक्शन डे” के काल के बाद, सभी मुस्लिमों ने सपने का मुल्क पाकिस्तान के रूप में देखा लेकिन समस्या यह हुई कि भारत से गये मुसलमानों के साथ स्थानीय मुसलमानों ने दोयम दर्जे का व्यवहार किया सो उन्होंने अपने रिश्तेदारों को भारत में संदेश दिया कि वह भारत में ही रहें, वह लोग पाकिस्तान आकर मुश्किल हालात में गुजार रहे हैं।
1955 में नेहरू लियाकत समझौते में कहा गया कि जो जहाँ है वही रहे। उसके धर्म और सम्मान की रक्षा की गारंटी दी जाती है। इसमें हिंदुओं का नुकसान बहुत ज्यादा हुआ। मुस्लिम के झांसे में हिन्दू की जो जनसंख्या पाकिस्तान में रही, उनके धर्म और सम्मान को बात कौन करे, उनकी छोटी – छोटी कन्याओं तक का अपहरण करके मुस्लिम बना कर बीबी बना दिया गया। हिन्दू धर्मस्थल की स्थिति यह थी कि जब किसी मुल्ले – मौलवी का दिल करे तोड़ दे।
भारत में रहने वाला मुसलमान विश्व में सबसे अधिक मजे में है। सरकारी सुविधा का भरपूर इस्तेमाल करते हुए अपनी 5 फीसदी की जनसंख्या को बढ़ा कर 20% पर लाया है और नारा बुलंद कर रहा है कि ‘लड़ के लिए पाकिस्तान हँस के लेंगे हिंदुस्थान।’ ताजातरीन उदाहरण केरल के मोल्लापुरम जिले का है जहाँ हिन्दू डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट नियुक्त होने पर मुल्ला मौलवियों ने बहुत उत्पात मचाया।
यदि मुस्लिम भारत में लोकतंत्र की आस्था वाला था, उसे कोर्ट में, लोकतंत्र में विश्वास था तो उसके जिहादी गला काटने की प्रतियोगिता क्यों कर रहे है? अमर जवान ज्योति तोड़ी थी, दिल्ली में दंगा किया। CAA का विरोध किया। जनसंख्या नियंत्रण पर वह पहले से उत्पात मचाने की फिराक में है। धारा 370 के हटने से इतनी तकलीफ क्यों हो रही है?
लब्बोलुआब यह है कि तीस्ता सीतलवाड़ जैसे लोगों के भोगविलास सेकुलिरिज्म – सेकुलिरिज्म चिल्लाने से चलते थे, वह बंद हो गया हैं। यह पीड़ा गहरी है, चोट सही जगह हुई है। पीर ज्यादा है परंतु सुधरना ही पड़ेगा। भारत का खाकर रोहिंग्या, ISIS, बिन लादेन का समर्थन कम से कम अब नहीं चलने वाला है।
संघे शक्ति कलयुगे – अब हिन्दू एकजुट हो रहा है। वह झूठे इतिहास से, बौद्धिक आतंकवादियों से या पुरानी पार्टी के अलाप हिन्दू मुस्लिम भाई-भाई से रुकने वाला नहीं है। यह समय भारत में हिंदुओं की सांस्कृतिक एकता का है। तुम ऊँच, नीच, दलित, पिछड़ा कितना ही करो, अब वह आगे बढ़ चुका है। तुम्हारी दुकान पर ताले लगेंगे और तुम्हें भारतीय न्यायपालिका से गुजरना ही पड़ेगा।