आप हो तो गूंज है कि जिंदा हो, जीवन की तरंग मरने की उमंग हो। कहा जाता है कि पत्नी साथ निभायेगी मकान तक, बन्धुबांधव साथ निभाएंगे श्मशान तक, पुत्र साथ निभायेगा अग्निदान तक, फिर कुछ दिन शोक के बाद सब भूल जायेगे कि तुम भी आये थे।
शरीर का साथी शरीर है किंतु आत्मा नितांत अकेली है, उसे यात्रा स्वयं करनी होती है। हम शरीर में ऐसा फस गये कि बाकी और सब विसर गये। यह नश्वर जो रोज एक दिन मृत्यु की ओर बैढता है। हम रोज किसी न किसी को श्मशान पहुँचाते हैं या पहुँचते देखते हैं। दुनिया का सबसे बड़ा आश्चर्य अपनी मौत को ही झुठला देना है।
सबके लिए समय है, कार्य योजना है पर मृत्यु निराश्रित। उससे भय से बचने का दिखावा करते हैं फिर जब मृत्यु का समय आ जाता है तो करोड़ो अरबों खर्चो करके भी एक सेकंड का अतिरिक्त समय नही मिलने वाला। घर करोड़ो का बनवा सकते हैं लेकिन सोचिये यदि पानी साथ छोड़ दे तो आपका करोड़ो का घर कौड़ी के दाम का हो गया।
दौड़िये किन्तु लक्ष्य निर्धारित करके।
एक बार एक राजा जब जवान था, अपने जवान मंत्री से एक चित्र लाने को कहता है जो ईश्वर की तरह का हो। मंत्री एक दिन वह चित्र राज्यसभा में पेश करता है, सभी वह चित्र देख कर कहते हैं कि हाँ, ये देवतुल्य है। यह चित्र एक चरवाहे का है जो पहाड़ों में रहता है।
समय बीता राजा वृद्ध हुआ और मंत्री भी। एक दिन राजा ने मंत्री से कहा अब एक ऐसा चित्र लाओ जो राक्षस के तुल्य हो। मंत्री ने बड़ी खोज खबर की लेकिन कोई भी मनुष्य ऐसा न मिला जो राक्षस लगता हो।
एक दिन मंत्री ने अपनी चिंता सेनापति से कही तब सेनापति ने कहा आप चाहो तो कारागार में देख लो, एक व्यक्ति है जो सालो से किसी से कुछ नहीं बोला, न ही उसने सूर्य ही देखा है। मंत्री ने जब इस कैदी को देखा तो उन्हें भी लगा कि राक्षस ऐसा ही होता है। चित्र बना कर राजा को दिखाया गया। राजा ने दरबार में दोनों चित्र लगवाया।
उस कैदी को भी दरबार में बुलाया और कहा देख, यह एक चित्र है जो देवता की तरह और एक तुम्हारा चित्र जो राक्षस की तरह है। जैसे ही कैदी ने चित्र पर निगाह डाली वह रोने लगा। राजा ने पुछा क्यों रोता है? उसने कहा राजन कुछ साल पहले मैं ही देवता हुआ करता था क्योंकि दोनों चित्र मेरे ही हैं। पूरी सभा शांत पड़ गई।
देखा आपने, आप के कर्म आपको देवता और राक्षस दोनों ही बना सकते हैं। इस लिये अंदर के मानव को जाग्रत करिये दानव को नहीं।
Very nice sach hi kaha h apne manushya ko sada hi achhe karm krne chahiye yahi use devata banane me sahayk h.