एक छोटा सा लेख लिखने जा रहा हूँ। कृपया जरूर पढ़ें। कोरोना से निपटने में बदइंतज़ामी की तस्वीर, इससे मरने वाले लोगों की तस्वीर, सामुहिक दाहसंस्कार की तस्वीर और इससे चिखने चिल्लाने वाले एवं दारून दुख चिख चित्कार की तस्वीर गूगल पर जितना भारतीयों का है। उतना किसी अमेरिकी, ब्रिटिश, इटेलियन, फ्रेंच, जर्मन, रूसी, चीनी या किसी विकसित देशों की जनता का नहीं है।
गौरतलब है कि चीन में इससे अधिक विभत्सता हुई। जिसमें सैकड़ों लाशें सड़क पर पड़ी हुई दिखी। लेकिन केवल सुनने के अलावा कोई फोटो सामने नहीं आया। इटली, ब्रिटेन, फ्रांस के साथ साथ लगभग सभी यूरोपीय देशों के अलावा अमेरिका आस्ट्रेलिया, रूस आदि देशों में पहले ही लहर में कैसी भयावह दृश्य था। जिसका फोटो सहित या विडियो कहीं भी उपलब्ध नहीं है। अगर कहीं है भी तो बहुत कम।
अमेरिका में ऐसे एयर कंडीशनर कंटेनर देखे गए हैं। जिसमें पहले दौर के मरे हुए लोगों की सैकड़ों लाशें रखी हुई है। यह उन लोगों की लाशें हैं जिनका अभी तक अंतिम संस्कार चल ही रहा है और उसी अमेरिका की भारतीय मूल की साइंटिस्ट कहते हैं कि भारत अभी सही मृतक की सूचि नहीं दे रहा है।
द लांसेट ने अपने मेडिकल जर्नल में भाजपा सरकार की कमियां गिनाई हैं। जिसके लिखने वाली एक भारतीय है जिसका मेडिकल साइंस से दूर दूर का कोई रिश्ता ही नहीं है।
जैसा कि सबको मालूम है कि गूगल पर बहुत कम ही ऐसे साईट हैं जहाँ से पिक्चर यूज़ करने पर कौपी राईट नहीं लगता है। यहाँ से पिक्चर लेकर अपने बेबसाइट पर उपयोग करने पर सिर्फ इनका क्रेडिट देना होता है। मतलब यह बताना होता है कि यह पिक्चर इस फंलाने साईट के सौजन्य प्राप्त हुआ है।
इसी तरह फ्री पिक्चर देने वाले बड़े फेमस साईट का नाम Getty Images है। यह ब्रिटिश अमेरिकन विजुअल मीडिया कंपनी है। जिसका वाशिंगटन में हेडक्वार्टर है। यहाँ से विश्व की सबसे बड़ी मीडिया हाउस बीबीसी (बीबीसी हिन्दी भी) इसे क्रेडिट देते हुए इसका पिक्चर उपयोग करता है। भारतीय मीडिया हाउस की तो कोई बात ही नहीं। इस Getty images पर सर्च करके कोई भी देख सकता है कि कोरोना महामारी से भारत की बदहाली की, सामुहिक दाहसंस्कार, चिख चित्कार की जितनी तस्वीरें हैं। उतना अमेरिका ब्रिटेन इटली फ्रांस जर्मनी आस्ट्रेलिया या किसी भी विकसित देशों की नहीं मिलेगा। बल्कि शायद है ही नहीं। जबकि वहीं भारत के संदर्भ में सैकड़ों फोटो उपलब्ध है और आसानी से मिल जा रहा है।
ऐसा नहीं है कि ये getty images वाले अमेरिका ब्रिटेन से आकर सिर्फ भारत में ही तस्वीर ले रहे हैं। मुझे पूरा शक है कि हमारे लोगों में से कुछ इतने गिरे हुए संस्कार विहीन पत्रकार हैं। जो ऐसे फोटो खींच कर getty images वाले को चंद कागज के टुकड़ों में बेच दे रहे हैं। सर्वविदित है कि ऐसे साईट वाले अपने मनपसंद फोटो के लिए 20000 – 20000 हजार रूपये भी भुगतान करते हैं।
भारतीय पत्रकार अपने मीडिया हाउस के लिए अलग फोटो और भारत की बदहाली को दिखाने वाले सबसे महंगी बिकाऊ फोटो को अलग से खींचकर बेच रहे हैं। मतलब अपने मीडिया हाउस के लिए अलग फोटो और getty images वाले के लिए अलग फोटो खींच रहे हैं। ये लोग शायद दो तरह का फोटो खींच रहे हैं। हलाकि मैं दावे के साथ यह नहीं कह रहा हूँ कि यह काम पत्रकार ही कर रहे हैं। हो सकता है कि यह काम कोई और शातिर दिमाग वाले कोई दूसरे भारतीय कर रहे हों। इस बहाने ये लोग एक तीर से दो फायदा उठा रहे हैं। एक तरफ डॉलर कमा रहे हैं। दूसरे मोदी सरकार को बदनाम करने में कामयाब हो रहे हैं।
सरकार से करबद्ध प्रार्थना कर रहा हूँ कि ऐसे जो कोई भी हो उसे छोडा़ न जाए। भारत के सभी राष्ट्रवादी पत्रकारों से प्रार्थना है कि वो ऐसे लोगों को पकड़वाने में ससरकार का मदद करें और अपने प्लेटफार्म पर ऐसे लोगों का पर्दाफाश करें। सच्चाई से देश को अवगत कराएं। मीडिया के लोग ही बताते हैं कि 9/11 वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला में किसी भी अमेरिकी मीडिया वालों ने एक भी लाश नहीं दिखाया था। कृपया भारत की प्रतिष्ठा को अक्षुण्ण रखने में मदद करें। अन्तर्राष्ट्रीय जगत में भारत की खिल्ली उड़ाने वाले दलालों को एक्पोज करवाएं।
भारतीय मीडिया को ऐसी तस्वीरें दो वजहों से नहीं दिखानी चाहिए:
1. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जबरदस्ती भारत को नीचा दिखाया जाना जबकि लगभग अधिकतर देशों की स्थिति भारत से बुरी रही है। और,
2. संक्रमण से गुजर रहे लोगों को यह तस्वीरें हतोत्साहित करती हैं जबकि इसमें सकारात्मकता से विजय पाना सरल है।
नोट: प्रस्तुत लेख, लेखक के निजी विचार हैं, यह आवश्यक नहीं कि संभाषण टीम इससे सहमत हो।
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