बात इसी बकरीद की है, कटने वाले जानवरों ने मीटिंग की और बकरे के नेतृत्व में एक टीम बनाई जिसमें भेड़, ऊँट, भैंसा, मुर्गा, मछली, बटेर आदि शामिल थे। वे अल्लाह के पास शिकायत लेकर गये। बकरे ने अल्लाह को ज्ञापन दिया कि श्रीमान जी! जानवरों का नेतृत्व मैं कर रहा हूं, मेरे कुछ सवाल हैं।
कुर्बानी हो या ईद, हमें ही क्यों काटा जाता है? अपनी प्रिय चीज़ कुर्बान करने के लिए आप ने कहा था तो कहाँ से मैं, भेड़ या ऊँट सबसे प्रिय हो गए? और यदि हो भी गए तो अपने प्रिय जन को कोई मारता है भला?
इस्माइल के मामले में जब वह कुर्बानी दी गई तो उसके लड़के की जगह वह भेड़ कैसे हो गया? जब काबील, हाबील जो आदम हौव्वा के संतान थे, अपनी बहन अक्लीमा को पाने के लिए एक भेड़ की और दूसरे ने अन्न की कुर्बानी दी तो आप लपक कर भेड़ का मांस ले उड़े, अन्न क्यों नहीं लिया? यदि उस दिन आप की जीभ लप – लप न करती तो आज एक दिन में इतने जानवर कुर्बान न होते। आप अल्लाह कैसे हो सकते हैं जो जानवरों को खाने का हक अता करता है। एक प्रश्न और है, जब धरती पर खाने के लिए इतनी चीजें मौजूद हैं तब यह आदमजात हमें मार कर अपनी जीभ क्यों सीधी करना चाहता है?
अल्लाह ने जबाब दिया कि मैं स्वयं अपनी जीभ से हारा हूँ इस लिए मैंने अपने रसूल मुहम्मद पर आयत नाजिल की, कुर्बानी की और कौन से जानवर वह खाये बताया। इसलिए मैं सक्षम नहीं हूं इसका उत्तर देने में। बकरे ने कहा तो हमें न्याय कौन देगा? इसका समुचित उत्तर दीजिये जिससें मैं धरती पर जा कर डरे हुए जानवरों को शांत कर सकूँ।
अल्लाह ने पहले गॉड के विषय में सोचा फिर यहोवा पर विचार किया लेकिन उनकी समझ में आया कि ये सभी तो बड़े चाव से मांस खाते हैं फिर विचार करने पर उन्होंने कहा कि आप लोग हिंदुओं के देवता श्रीहरि के पास जाएँ, वही सनातन देव हैं, वही न्याय करेंगे।
सभी जानवर बैकुंठ लोक श्री हरि के पास अपनी समस्या लेकर पहुँचे।
बकरे ने कहा कि हे परात्पर ब्रह्म! विश्व के पालनहार! जगतनियन्ता! दूसरों की पीड़ा को हरने वाली हरि! विश्व के आदि न्यायाधीश! हम समस्त जानवर आप का न्याय रामावतार में देख चुके हैं कि जब कुत्ता न्याय मांगने गया तो उसे भी आपने न्याय दिया। ग्राह से गजेंद्र को मुक्त कराया। आपने गणेश जी को हाथी का मस्तक लगवाया, प्रजापति को बकरे के मस्तक के सहारे पुनर्जीवित किया।
हे विष्णु! आपने हरग्रीव, कच्छप, मत्स्य, वराह और सिंह के रूप में अवतार लेकर हम जानवरों का भी मान बढ़ाया है। हे पृथ्वीपति! आपने कृष्णावतार में एक स्त्री की मर्यादा की रक्षा के लिए पूरे वंश को दंडित किया है। प्रभु, हम निरीह को भी मनुष्यों से न्याय दिलाइये।
भगवान नारायण मुस्कराए उन्होंने जानवरों के हौसले को बढ़ाया। कहा – तुम लोग निश्चित रहो। यह मनुष्य बहुत ढीठ है, वह धरती पर अपने को नियंता समझता है, उसको खाने के लिए बहुत सारी चीजें दीं फिर भी अपनी रसना के वशीभूत होकर जानवरों को भोजन बना रहा है। इनके लिए मैंने गरुण पुराण में दो दंड राक्षसोभोजनम और दन्दुसुकमा का विधान बनाया है, उसी अनुसार इनकी आत्मा को दण्डित किया जायेगा।
बकरे को संबोधित करते हुये नारायण ने कहा कि 84 लाख योनियाँ हैं। आज जो मनुष्य है वह कल भेड़, बकरी, ऊँट आदि बनेगा। उसकी भी वही गति होगी जो आज वह तुम्हारे साथ कर रहा है।
मनुष्य अपने कुतर्कों से अपने पापों को छिपा नहीं सकता है, वर्तमान के व्यवहार पर उसका भविष्य निर्भर करेगा। ईश्वर ने सदा न्याय किया है और न्याय करेगा। यही बकरा कल हाजी मियां बनेगा और बकरीद के दिन तुम्हें जिबह करेगा। उसके बच्चे तुम्हारे खून को देख कर ताली बजायेंगे और गिन्नी तुम्हारें शरीर की बाटेंगे।
अति उत्तम लेख 🙏 प्रेरणा दायक