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Thursday, March 23, 2023

अन्धानुकरण

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Dhananjay Gangey
Dhananjay gangey
Journalist, Thinker, Motivational speaker, Writer, Astrologer🚩🚩
पढने में समय: 2 मिनट

भारतीय समाज पर स्पष्ट रूप से अमेरिकी – यूरो संस्कृति हावी हो गयी है। अब यह अंधानुकरण शहरों तक सीमित न रह कर गांवों के घरों में घुस चुका है।


हमारे बच्चे कपड़े, बाल और रहन – सहन से लगभग काले अंग्रेज बनते जा रहे हैं। वह भारतीयता भूल कर बर्थ-डे से लेकर सभी तरह के “डे” (हग, किस, चॉकलेट, वेलेंटाइन आदि) मानाने लगे हैं। नवरात्रि, राम नवमी, कृष्ण जन्माष्टमी, शिवरात्रि पर व्रत – पूजन होता था, उसे भूल गये।

एक समय जन्मदिन पर भगवान की पूजा के साथ दान दिया जाता था जो अब परिवर्तित हो गया है। बर्थ-डे बॉय और गर्ल पहले ही पूछ लेते हैं कि क्या गिफ्ट दोगे? ऊपर से मुंह पर केक पोत कर कैसे खुशियां मनायी जाती हैं, लगता है कि इससे मॉडर्न मानव पूरी कायनात दूसरा न होगा। ऐसा ही प्रचलन अब गांवों में भी हो गया है।

कहा जाता है किसी से कुछ सीखना है तो ज्ञान सीख लीजिये, अच्छाई सीख लीजिये। लेकिन आप तो पश्चिम से फ़टी जीन्स, तंग कपड़े, आड़े तिरछे बाल सवांरना और शराब की पार्टी सीख रहे हैं सीखना ही है तो उनसे मेहनत, कर्मठता, देश के प्रति प्रेम और कर्तव्य क्यों नहीं सीखते?

जिस प्रकार से सांस्कृतिक विस्थापन हो रहा है, अगले 25 – 30 वर्षो में हमें भारत में भारतीयता खोजनी पड़ेगी। यहूदी, इसाई, मुस्लिम आदि अपनी सांस्कृतिक मान्यताओं से जुड़े हैं वहीं हिन्दू सांस्कृतिक परम्परा से दूर हो कर बहुसंस्कृतिवादी बनते जा रहे हैं। लेकिन ध्यान रहे जो वस्तु या चीज अपना मूल छोड़ देती है, वह हाईब्रिड होकर नष्ट भी हो जाती है।

हिंदु त्यौहारों, महोत्सव, विवाह आदि लोकमान्यताओं और परंपराओं के पालन की जगह, कानफोड़ू संगीत और अभद्र डांस जरूर होगा। पिता – पुत्री भी मदहोश होकर नाचने में मस्त हैं।

भारतीय परम्परा में सहजता, सौहार्द और शीलता है लेकिन पश्चिम के प्रभाव में अश्लीलता को प्रदर्शित करने में बड़प्पन मानते हैं। सांस्कृतिक परम्पराओं को मानने वाले पिछड़े, गवार और रूढ़वादी कहे जाते हैं। सबसे बढ़कर जो हिन्दू के नाम पर आरक्षण का लाभ लिया, वही हिन्दू धर्म को गाली दे रहा है। उसे रोकने की जगह समाज में कुछ वर्ग उनका महिमामंडन करने में लग जाते हैं।

विचारणीय विषय यह है कि जिस देश में हजार तरह की मिठाईयां हैं वहाँ चॉकलेट की ऐसी दीवानगी है। जिस देश में सैंकड़ों प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन हो वहाँ बर्गर, पिज्जा, पेस्ट्री, पास्ता, नूडल्स जैसे जंक फूड हजारों करोड़ का व्यापार बना ले रहे हैं।


नोट: प्रस्तुत लेख, लेखक के निजी विचार हैं, यह आवश्यक नहीं कि संभाषण टीम इससे सहमत हो।

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अस्वीकरण: प्रस्तुत लेख, लेखक/लेखिका के निजी विचार हैं, यह आवश्यक नहीं कि संभाषण टीम इससे सहमत हो। उपयोग की गई चित्र/चित्रों की जिम्मेदारी भी लेखक/लेखिका स्वयं वहन करते/करती हैं।
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Laxmanranawat
Laxmanranawat
1 year ago

बहुत अच्छा लेख

वीरेंद्र नारायण
वीरेंद्र नारायण
1 year ago

आज के समाज की यह सच्चाई है। विदेशी अनुकरण में ही सारी विद्वता दिखती है।

Laxmanranawat
Laxmanranawat

बड़े होकर नही सीखते ! बचपन से ही ढालना होता है संवारना होता है पर माताए स्वयं ही ..?

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