मुस्लिम हाजी, गाजी, आतंकवादी, नारे तकवीर करें फिर भी सेकुलर हैं लेकिन हिंदू जरूर कट्टर होगा यदि उसने मुल्ले को शामिल न किया, उसकी मज्जमत की। किसी मुस्लिम देश में कम्युनिस्ट जात पैदा हुई कभी? यह प्रश्न शबाना, जावेद, गुलजार के फैजू से जरूर पूछें।
सहिष्णुता उसे सिखा रहे हैं जिसने विश्व के जन्म की तवारीख से मानवता का पाठ पढ़ाया, उन जाहिलों को स्वीकारा जिसने मंदिर पर मस्जिद बनाई, बेटी की अस्मत लूटी, बेटे का सिर काट खम्बे से लटका दिया।
मुस्लिम आबादी के एवज में जमीन बटवारे में लेकर भी हनीमून भारत में मना रहे हैं। 25 करोड़ जाहिल का क्या करें जो बच्चा यह कह कर पैदा करता है कि अल्लाह का दिया तोहफा है और नौकरी अल्लाह से नहीं सरकार से मांगता है।
जितना हंगामा CAA पर बरपा है उतना आतंकवाद पर हुआ होता तो यकीन जानिये आज मुस्लिम कौम इतना न खदबदा रही होती। कभी अमेरिका, कभी चीन तो कभी इजरायल तो कभी सिया/सुन्नी ने मारा। तुम रहना नहीं सीखोगे तब जहाँ गाओगे वहीं पाओगे।
तुम्हें पूरा जहाँ दुश्मन दिख रहा है। गड़बड़ी और हड़बड़ी वही हो गयी जहाँ तुम उसके संदेश को अपनी क्रूरता में शामिल करते गये। 1500 साल हो गये लेकिन तुम जाहिल से इंसान न बनें, न अमन में दाखिल हुए सिर्फ मारो, काटो, खाओ, कब्जा, मालगनीमत में ही रहे। कम्युनिस्ट के पीछे की वह भयंकर आजादी। अरे, अल्लाह के नाम पर मांगो न आजादी नहीं आबादी।
न तुम्हे चैन, न मानवता, न प्रेम, न सहजता, झूठ का पुलिंदा लिए भारत की संस्कृति को बदनाम करते हो। चीन भी अब कुरान अपनी तरह से लिखेगा। अमेरिका ने इराक के एयरपोर्ट पर कई मिलिशिया और रिव्यूलिसनरी गार्ड को मारा तब तुम जिहाद करने नहीं गये। व्यक्ति अपने कर्मो का फल भोगता है जैसे पैतृक संपत्ति मिलती है वैसे पैतृक कुकर्म भी मिलते हैं और उसका दंड भी।
धीरे – धीरे पूरा विश्व इस्लाम के खिलाफ होगा, इस्लाम के खिलाफ भी इस्लाम ही होगा, दोनों अपने को सच्चा दूसरे को झूठा चिल्ला के लाश खायेंगे। न तुम्हे रहमत, न ही इत्मिनान, न तुममें इंसानियत तो कैसे आये ईमान?
भारत के बुद्धिजीवी अपने मोजू के लिए देश बेचने को खड़े हैं, राजनीति के लिए मां को बेचने चले हैं। दो घटनाओं में छाटते हैं कि किसमें हिंदुत्व का एंगल बन रहा है। मंदिर, 370, तीन तलाक का खूब मौज किये अब अपने नमक का हक अदा कर रहे हैं।
तस्वीर हमारी तकदीर तुम्हारी बनवायेगें, तुम्हें भड़का के दंगा हम करवाएंगे।
देह तुम्हारी टूटेगी, मुकदमा, हर्जाना होगा लेकिन राजनीति हम चलाएंगे। ये कम्युनिस्ट, कांग्रेस की शैडो टीम है, तुम जाहिल कैसे समझोगे? न तुम शांति से रहोगे न दूसरे को रहने दोगे। जहाँ तुम्हारे लोग कम वहां मानवता है, जहाँ तुम अधिक हुए, एक – दूसरे के घर पत्थर मारने लगे।
नोट: प्रस्तुत लेख, लेखक के निजी विचार हैं, यह आवश्यक नहीं कि संभाषण टीम इससे सहमत हो।
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