भारतीय राजनीति में कांग्रेस अस्तित्वहीन होती जा रही है, आखिर इसका क्या कारण है? जिम्मेदारी कौन लेगा, किस पर ठिकरा फूटेगा? लगातार असमंजस्य बरकार है। पार्टी की दुर्गति हो रही है, कांग्रेस नेताओं को समझ नहीं आ रहा है कि सेकुलर के अलावा भी कुछ है कि नहीं।
कांग्रेस और कांग्रेसी नेता तक तो बात ठीक है लेकिन जब यह बात बढ़कर कांग्रेसी वोटर की ओर जाती है तब स्थिति हास्यास्पद बन जाती है। मूढ़ कांग्रेसी तरह-तरह की दलीलें पेश करने लगता है कि बीजेपी राजनीति में धर्म का सहारा ले रही है, वर्णाश्रम, मनुस्मृति, शास्त्र और ब्राह्मण को सम्मान नहीं दे रही है आदि-आदि।
कुछ मुद्दे जिस पर परिचर्चा आम रहती है, वह है – कृषि, विकास, सुरक्षा, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थय, संस्कृति और लोग।
प्रथम सुरक्षा पर दृष्टि डालते हैं – बटवारे की जिम्मेदारी किसकी थी और सत्ता कौन पाया? दोष किसपर लगाया गया, नरसंहार किसका हुआ? यदि मालवीय, सावरकर हिंदुओं के प्रतिस्थापित नेता थे तब लीग ने गांधी और नेहरू को नेता क्यों स्वीकार नहीं किया। जबकि गांधी और नेहरू का एजेंडा सेकुलिरिज्म का था, हिन्दू मुस्लिम भाई-भाई का था, यहाँ तक कि देश बटने के बाद मुस्लिम को एक नये पाकिस्तान बनाने के लिए क्यों रोका गया?
जम्मू-कश्मीर को विशेष छूट 370 के रूप क्यों दी गयी? जबकि जूनागढ़ और हैदराबाद की स्थिति वही थी।
पाकिस्तान ने नेहरू के समय कश्मीर का हिस्सा अधिकृत कर लिया, बदले में पिद्दी देश से निपटने को कौन कहे, मामले को नेहरू UN में लेकर चले गये। परिणाम यथास्थिति! नुकसान किसका हुआ, भू क्षेत्र किसका गया?
नेहरू अभी विश्व नेता बनने की फिराक में कूटनीति को खूँटी पर टांग कर UN की स्थायी सीट, जिसे भारत को दिया गया, हिंदी-चीनी भाई-भाई के ख्याल में चीन को दे दिया गया। बदले में चीन ने 1962 में अक्साई चीन क्षेत्र पर कब्जा कर लिया।
नेपाल और भूटान को वहाँ के तत्कालीन राजा के कहने के बावजूद नेहरू ने भारत मे सम्मिलित नहीं किया। आज यही चीनी सीमा पर चुनौती बन रहे हैं।
भारत का विकास एक एम्स, सात IIT और कुछ बांध बनाने से पूरा हो गया क्या? भारत के लोगों का कितना अभ्युदय हुआ? अंग्रेजों ने भारत पर शारीरिक गुलामी रोपी थी और नेहरू एंड कम्पनी ने मानसिक गुलामी। अब मूढ़ कांग्रेसी इसपर जरुर जिरह करेगा। उसके लिए आप जिस इतिहास की आलोचना कर रहे हैं, उसे किसने लिखवाया? सावरकर, वाजपेयी या मोदी ने?
स्वतंत्रता के क्या पैमाने कांग्रेसी रखेंगे? हिंदू आस्था की ऐसी-तैसी करना। बुर्के वालों पर मौन क्योंकि वह सत्ता की चाभी बनते रहे हैं। बटवारे में भारत आये हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई को नागरिकता मिले, उस पर उन्हें आपत्ति है।
आइये इंदिरा जी पर आवाज लगाये – उनके पास मात्र तीन-चार चीजें है। पहला बांग्लादेश की मुक्ति करके पाकिस्तान को दो टुकड़ों में विभाजित कर देना। भारत के जब इतने संसाधन बर्बाद हो चुके थे तब क्यों बांग्लादेश को भारत में सम्मिलित नहीं किया गया? परिणाम बांग्लादेश से हिंदू गायब और भारत के कई राज्यों में मुस्लिम फर्जी नागरिक बनने लगे। मुस्लिम वोटर कांग्रेस का है इसलिए NRC पर देश जले तो जल जाए। यह देश मुस्लिम अल्पसंख्यकों का ही है क्योंकि वह वोटर उनका है।
स्वास्थ्य का हाल यह था कि अभी कुछ सालों पहले तक महिला को ट्रेक्टर आदि से अस्पताल पहुँचाने में सड़कें इतनी अच्छी होती थी कि सड़क के गड्ढे से जिन नौनिहालों का जन्म अस्पताल में होना था वह रास्ते में पैदा हो जाते थे।
ऑपरेशन ब्लू स्टार और इंदिरा की हत्या दिल्ली में पंजाबियों का और पंजाब में हिंदुओं का नरसंहार। अरे भिंडरावाले को पैदा इंदिरा ने किया, नाहक ही सिख कौम आतंकवादी बना दी गयी।
आप आतंकवादियों के लिए देर रात कोर्ट का दरवाजा खुलवाते हो, राममंदिर की जगह अस्पताल को समर्थन देते हो, शत्रु देश की टूल किट बन जाते हो, अपनी सेना पर प्रश्न करते हो, दंगाइयों से गलबहियां करते हो, यहाँ तक अंधे हो गये कि अपने ही देश भारत के प्रधानमंत्री का काफिला रुकवा देते हो।
राम मंदिर बनने से रोकने के लिए और राम के अस्तित्व पर हलफनामा देने वाले यही कांग्रेसी हैं। नार्थ ईस्ट और कोस्टल भारत में ईसाइयत फैलाने में नेहरू से लेकर राहुल गांधी की बड़ी भूमिका रही है। टेरेसा जैसे लालची ईसाई को भारत रत्न राजीव गांधी की सरकार द्वारा दिया गया।
मिस्टर कांग्रेसी! आज तुम पर धर्म का जो जुनून सवार है। ऐसा नेहरू, इंदिरा और राजीव और सोनिया के समय में क्यों नहीं हुआ? होता भी कैसे? आप तब गा रहे थे ‘अल्लाह को प्यारी है कुर्बानी’, शांति के कबूतर छोड़ रहे थे। तराने चल रहे थे ‘अमर, अकबर, एंथोनी’।
अरे ओ मूढ़मति कांग्रेसी! कम से कम वही इतिहास देख लेते जो आपके आका लोगों ने लिखा है। लेकिन आप कैसे देखते? पिछले 15 साल से टट्टू को घोड़ा बनाने में जो लगे हो।
आपके वेद का स्रोत मैक्समूलर है और आपके इतिहास का स्रोत अंग्रेज। आपके संविधान का स्रोत भी तो अंग्रेज शासित देश ही रहे हैं।
भारत ऋषि-मुनियों, यति, तपस्वी, साधू, वृन्द, धरती को माता मानने वाले लोगों की भूमि है। आप विधर्मी, विदेशी मानसिकता वाले काले अंग्रेज की गुलामी करने, चरण चिंतन करके भरतीत संस्कृति को भ्रष्ट कर रहे हो।
प्रयाग के एक ब्राह्मण संत रामानंद जी ने कभी कहा था :
जाति पांति पूछे नहिं कोई,
हरि को भजे सो हरि को होई।।