मानव और सत्ता का बाजार

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Dhananjay Gangey
Dhananjay gangey
Journalist, Thinker, Motivational speaker, Writer, Astrologer🚩🚩

आप परेशान सत्ता और विपक्ष के लिए हैं वह आपको कोरोना दे गया। परिवार को तोड़ दिया, चार रोटी के लिए आप रेस्तरां पर निर्भर हो गये। हजारों मिठाइयों के बावजूद आप चाकलेट खा रहे हैं। स्नेक के नाम पर आप जहर और जंक फूड खाकर बीमार पड़ रहे हैं।

आप लाई, चने, घी चुपड़ी रोटी और तरह – तरह के अनाज भुने, भिगोये और अंकुरित सब भूल गये। ब्रेड, चाउमीन, मैगी आदि पर निर्भर हो गये हैं। आपके पौष्टिक खाने को कब का रिप्लेस कर दिया गया है और आपको खबर नहीं हो पायी। आपको जल्द ही फैक्ट्री वाला चावल, गेंहू, मक्का और आलू खाने को मिलेगा जो केवल देखने में वैसा होगा लेकिन गुण में नहीं।

खाद्य इंडस्ट्री के खराब खाना परोसने का दो फायदे हैं, पहला प्रचार के दम पर फूड इंडस्ट्री बना लेना और दूसरा बीमार पड़ने पर मेडिकल इंडस्ट्री विकसित कर लेना। लोकतंत्र के नाम पर चुनाव में हजारों करोड़ खर्च होते हैं जिसमें सारे हथकंडे प्रयोग किये जाते हैं फिर भी इसे सबसे अच्छा विचार कहते हैं क्योंकि इस पर पश्चिम की मुहर लगी है। अरे भाई, ये हजारों करोड़ रुपये किसकी जेब से आता है? आप वास्तव में मानव का कल्याण चाहते हैं तो ऐसे लोकतंत्र को खत्म करिए।

जाति, आरक्षण, संरक्षण और नौकरी के नाम आप सड़कों पर लड़ रहे हैं क्योंकि लोकतंत्र जिंदा है। एक निरपराध के दण्डित नहीं होने का सिद्धांत भर है लेकिन विष्णु तिवारी के मामले में क्या हुआ?

आप जातिवाद दूर करने का वादा करके जातियों को संवैधानिक दर्जा दे चुके हैं, ये आपको खूब फबता है। हम आपस में नहीं लड़ेंगे तो नेता की चौधराहट की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।

अमेरिका और यूरोप विश्व के खाद्य व्यापार पर कब्जा करना चाहते हैं। नया वर्ग वीगन फूड लाया गया है। ऐसा शाकाहार जिसमें मिल्क प्रोडक्ट भी नहीं रहेगा। अरे भैया जानवरों को काट खाने वालों में इतनी दया कहा से आ गयी? व्यापार समझिये।

कुछ दिन पहले मांस की जगह एगटेरियन (अण्डा) थोपने का प्रयास हुआ था। अब “वीगन प्रोडक्ट” मार्केट में आर्गेनिक फूड और हाइजेनिक फूड की तरह धडाधड लांच हो रहे हैं। इससे नया बाजार मिलेगा और कुछ नये अरबपति बनेंगे। तब विचार है कि आप रासायनिक उर्वरक को बाजार में क्यों बिकने देते हैं? आगे कृत्रिम मांस और कृत्रिम अण्डे भी दूध और पनीर की तरह मिलेंगे, यह भी योजना में शामिल है।

एक तरफ कल्याणकारी राज्य सरकार और दूसरी तरफ शराब को लाइसेंस। यदि आप समझाना चाहेंगे तो संविधान के दो – तीन अनुच्छेद मिला कर साथ पढ़कर जज साहब कहेंगे इसका मतलब यही निकलता है।

परिवार टूटने से आपका समाज टूटा है व्यापार नहीं, वह तो तेजी से बढ़ा है। एक चूल्हे से 30 लोगों का खाना उपले – लकड़ी पर बन जाता था। अब एक गैस सिलेंडर से एक लोग का खाना चल रहा है। चूल्हा, बर्तन, तेल, मसाला आदि, इसके अलावा ऊपर से होटल में खाने का चलन। दोस्त, इन सबसे आप कितना खुश हैं? आपने शायद ऐसे कभी सोचा नहीं होगा क्योंकि आप कहते हैं समय नहीं है। कभी विचार किया आखिर आपके समय का क्या हो गया? फेमिनिज्म के कारण चार रोटी, पति – पत्नी के प्रेम का निर्धारक कोई और हो गया है अब वही बाजार पौरुषवर्धक गोलियां बेच रहा, आप अब भी नहीं समझे।

आपके विचार को कौन बना रहा है? न्यूज पेपर, न्यूज चैनल, फ़िल्म वाले या कुछ राजनेता। इसमें आपका क्या फायदा है? संस्कृतियों का युद्ध सदा से चल रहा है, कभी बाजार के नाम पर कभी साम्यवाद के नाम पर। भारतीय तो एक आर्थिक इकाई या ज्यादा से ज्यादा दर्शक है, खेला तो कोई और खेल रहा है।

हाँ, एक बात शोर मचाने वाली है कि हम सबसे बड़े लोकतंत्र हैं अमेरिका, यूरोप आदि इसके लिए हमें शाबाशी दे रहे हैं लेकिन हमारी मान्यताएं, संस्कृति, धर्म और भाषा सब गुलामी में सनी हैं क्योंकि उन्होंने हमारे माइंड में लोचा कर दिया है।

आपने क्या खोया? परिवार, स्वास्थ्य, रिश्ते, धर्म, संस्कृति, प्रेम और इसके बदले में आपको आधुनिकता और विकास का झुनझुना पकड़ा दिया गया। कम से कम 1000 वर्ग फीट में रहने वाले को अब 100 वर्ग फीट में 50वीं मंजिले वाले कबूतर खाने में रखकर आगे एक पार्क बना दिया। नाम दिया “कालोनी”, क्या आप जानते हैं अंग्रेज उपनिवेश को कालोनी कहता था। जिसे आज आप सीना चौड़ा करके अपने को कालोनी वासी और पॉश कालोनी में रहने वाला बता रहे हैं।

ये जो उदारवाद, मानवतावाद, समाजवाद, मार्क्सवाद, राष्ट्रवाद आदि जो भी वाद देख रहे हैं यह सब शासन प्राप्त करने के जुगाड़ भर हैं। आपकी उन्नति जिस प्राचीन सनातन व्यवस्था में थी उसे दफन कर दिया गया।

स्वतंत्रता, समानता, न्याय, व्यक्तिवाद के गुब्बारे फोड़े जाते हैं लेकिन फिर भी आप दलित, वंचित, पिछड़ा और सवर्ण ही बने रहते हैं। इस डिक्रमिनेशन से उन सत्ताधीशों को बहुत लाभ है। उनके बाद उनका लड़का आ जायेगा आपके लड़के, बच्चे का खून चूसने। आप इनके – उनके राजनीतिक विचार को लेकर आपस में ही सिर फुटौवल करते रहेंगे।

एक विचार करते हैं, आप क्या हैं और आपकी उन्नति किसमें है? आप एक भौतिक इकाई से जैविक इकाई बन पाएंगे, क्या आप खुशियां परिवार के साथ बाट पाएंगे या चिप्स, कोलड्रिंक और शराब की पार्टी ही आपकी हकीकत बन गई है। समझ आये तो बताइयेगा आप कैसा समाज चाहते हैं?


नोट: प्रस्तुत लेख, लेखक के निजी विचार हैं, यह आवश्यक नहीं कि संभाषण टीम इससे सहमत हैं।

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bhasker pandey
bhasker pandey
3 years ago

OM, CANNOT BE IGNORE , VERY TRUTHFUL
THANKS

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