भय का होना बहुत जरूरी है, भय कर्तव्य का स्मरण करता है। स्वयं को जाग्रत रखता है, बेअदबी करने की हिमाकत नहीं होती है। साहस अपनी जगह है, भय का अपना महत्व है। धर्म, संस्कृति, देश, परिवार, समाज का मूल्य बना रहता है। भय नियंत्रण हीन नहीं होने देता, वह पागल भी नहीं बनने देता।
इसलिए कहा जाता है कि भय बिनु होय न प्रीति।
आप भी भय के भयंकर को नमस्कार करिये जिससे मानव की गरिमा आप में बनी रही।
फिर आप पूछेंगे भय इतना जरूरी क्यों है? यह जरुरी है क्योंकि शोयब मिया जैसे एम्स से तालीम ले रहे कट्टरपंथी सेकुलर को भी इल्म रहे कि राम भारत के जनमानस की श्रद्धा का केंद्र हैं। उसके इस कुकृत्य (राम लीला मंचन) से भले कोई तालिबानी जैसा गर्दन पर छुरा न चलाये किन्तु कानून अपना काम करेगा।
बार-बार हिन्दू श्रद्धा का मजाक इस लिए उड़ाया जा रहा है क्योंकि उन्हें भय नहीं है दंडित होने का।