भारत का इतिहास

spot_img

About Author

Dhananjay Gangey
Dhananjay gangey
Journalist, Thinker, Motivational speaker, Writer, Astrologer🚩🚩

प्राचीन काल से ही भारत का सम्बन्ध पड़ोसी देशों और अन्य विदेशी शासकों से रहा है, इसका प्रमाण हमें इतिहास में मिलता रहता है। आज भी विश्व में पुरात्विक साक्ष्य मिलते हैं जिनमें भारतीय सम्बन्धों की पुष्टि होती है। भारत से ही जाकर बसे लोगों में पश्चात में कोई बौद्ध, ईसाई और मुस्लिम बन गये। सबसे महत्वपूर्ण है कि उन मिले प्रमाणों का विवेचन हमने कैसे किया है।

रोमन बस्ती का अरिकामेडु से मिलना, शैलेन्द्र वंशी राजाओं की बोधिगया में बौद्ध मंदिर बनवाने को लेकर समुद्र गुप्त से अपील रही हो या दिलमुन, माकन, मेलुहा, फारस आदि सभी के विषय में वर्णन मिलता है।

उन्हीं में एशिया माइनर (तुर्की) बोगजकोई अभिलेख से संस्कृत में इंद्र, मित्र, वरुण, नासात्स के विवरण को गलत तरीके से अंग्रेजी इतिहासकारों ने व्यख्यायित किया।

बोगजकोई का अभिलेख बताता है कि भारतीय संस्कृति का विस्तार सीरिया और तुर्की तक प्रत्यक्ष रूप से था। आज भी तुर्की में यत्र – तत्र शिवलिंग की प्रतिकृति दिखाई पड़ जाती है। चीन का शिजियांग प्रान्त कभी खोतान देश हुआ करता था जिस पर भारतीय वंशज कुमारजीव ने शासन किया था। इसी प्रकार थाईलैंड, कम्बोडिया, लाओस, वियतनाम, मलेशिया, इंडोनेशिया, मैक्सिको, होंडुरास, जापान और कोरिया तक में भारतीय संस्कृति और भारतीय शासन का विस्तार हुआ।

यूरोप के रोमा समुदाय जिनका निकट सम्बंध भारत से है, यह बताता है कि एक समय यूरोप के बड़े भू भाग पर भारत का शासन था। भारत के महान सम्राट विक्रमादित्य अपने शासनकाल 57 ईसा पूर्व में रोमन शासक जूलियस सीजर को रोम से गिरफ्तार करके दंडित किया था, यह उल्लेखनीय है।

भारत का वर्णन मेगस्थनीज की इंडिका, टॉलमी की ज्योग्राफी, प्लिनी के नेचुरल हिस्टीरिका और पेरिप्लस ऑफ द एरिथ्रियन सी (Periplus of the Erythraean Sea) में भी मिलता है।

भारत वैश्विक समुदाय के लिए इतना कौतूहल का विषय क्यों रहा है?

निश्चित रूप से इसका कारण प्राचीन भारत का व्यापार, शिक्षा प्रणाली, सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था थी। ग्रीक, रोमन, मिश्र से हमारे सम्बन्ध प्राचीन समय में सुदृढ़ रहे हैं जो भारत की विज्ञान तकनीकी में भी परिलक्षित होता है। भारत में प्राचीन काल में समुद्री जहाज और समुद्री यात्रा के यंत्र विकसित किये थे। किन्तु अंग्रेज इतिहासकारों ने जो भी भारत के लिए कहा उसे हमने आंख बंद कर मान लिया। बिना समुद्री जहाज के भारत का इतने दूर देशों में पहुँचना आसान कैसे होता?

अंग्रेजों के साथ एक समस्या है कि उनका पूरा विकास ईसा के बाद हुआ है और इसी चश्मे से वह विश्व को उलट – पलट कर देखता और वर्णित करता है। ईसा के पूर्व धरती पर कोई विकसित सभ्यता नहीं रही है इसका भारत के वामपंथी और अंग्रेजी दरबारी इतिहासकारों ने चुनौती देने की जगह उनके ही कथनों की पुष्टि कर दी।

भारत की संभावनाओं को अंग्रेजी संदूक में भरकर उसे यूरोप से आयातित कह दिया गया। “आर्यन विस्थापन थियरी” के माध्यम से भारतीय मूल के आर्य को ही बोगजकोई अभिलेख के आधार पर विदेशी ठहराया गया, स्मिथ आदि ने अपने इतिहास लेखन में माना कि भारतीय सदा से विदेशियों द्वारा शासित होते रहे हैं।

बागपत के सिनौली की खोज, जो इतिहासकारों और तकनीकी के माध्यम से हमें 4000 वर्ष पूर्व ले जाती है जिसमें अभी और खोजें होनी बाकी है। यहाँ से रथ, मूठ लगी तलवार, स्त्री योद्धा का प्रमाण मिला है। रथ जो घोड़े से खींचे जाने वाले है। भारत में हड़प्पा की खोज में अंग्रेजों ने घोड़े के प्रमाण को नहीं माना था जबकि सिनौली भारत में घोड़े नहीं होने के मिथकीय दावे पर विराम लगता है। यह भारत की प्राचीन सभ्यता में शुमार की जा सकती है।

एकबात जो गौरतलब है कि बागपत जिला पांडवों द्वारा दुर्योधन से मांगे गये पांच गांवों में से एक था। आगे की खोजें भारत के औपनिवेशिक इतिहास के स्वरूप को बदल देंगी क्योंकि भारत के इतिहास को गलत तरीके से प्रस्तुत करने का कारण एक राजनीतिक आकांक्षा की पूर्ति कराना रहा है। योद्धाओं और वीरांगनाओं की भूमि को सत्ता की पिपासाओं ने नपुंसक के रूप में पेश किया।


नोट: प्रस्तुत लेख, लेखक के निजी विचार हैं, यह आवश्यक नहीं कि संभाषण टीम इससे सहमत हो।

***

अस्वीकरण: प्रस्तुत लेख, लेखक/लेखिका के निजी विचार हैं, यह आवश्यक नहीं कि संभाषण टीम इससे सहमत हो। उपयोग की गई चित्र/चित्रों की जिम्मेदारी भी लेखक/लेखिका स्वयं वहन करते/करती हैं।
Disclaimer: The opinions expressed in this article are the author’s own and do not reflect the views of the संभाषण Team. The author also bears the responsibility for the image/images used.

About Author

Dhananjay Gangey
Dhananjay gangey
Journalist, Thinker, Motivational speaker, Writer, Astrologer🚩🚩

2 COMMENTS

Subscribe
Notify of
guest
2 Comments
Inline Feedbacks
View all comments
Prabhakar Mishra
Prabhakar Mishra
3 years ago

धनंजय भईया जी आज तो आप स्वप्न में ही आ गये थे और हम और आप इतिहास पर घण्टों संवाद् करते रह गये, जब नींद टुटा तो पता लगा की पोस्ट पढ़ते-पढ़ते नींद लगनेसे ऐसा हुआ। लेकिन स्वप्न का कालखण्ड बहुत महत्वपूर्ण था,बहुत कुछ रिवीजन हुआ।🙏

About Author

Dhananjay Gangey
Dhananjay gangey
Journalist, Thinker, Motivational speaker, Writer, Astrologer🚩🚩

कुछ लोकप्रिय लेख

कुछ रोचक लेख