भारत के कुछ नामचीन मुस्लिमों को तालिबान से गुरेज नहीं है, क्योंकि वे तो इनके दीन के कुरानी हैं। इन्हें समस्या RSS और विश्व हिन्दू परिषद से है क्योंकि इन्ही के कारण इनके पेट पर लात पड़ रही है।
जहाँ तक लाल्लुक तालिबान का है, वह मनोरंजन का पेशा करने वाले को पहले लातों से पीटते हैं, फिर पत्थर मारते हैं, अंत में गर्दन काट देते हैं। जैसा कि पिछले दिनों मशहूर अफगानी कमेडियन के साथ किया गया।
भारत के सेकुलर लोग जब मुसलमान का मामला आता है तब या तो वह मौन हो जाते हैं या ऊल-जुलूल की दलील देने लगता है। अफगानिस्तान के हालात से इन्हें सबक नहीं मिल रही है । तालिबान, अलकायदा, हक्कानी नेटवर्क, ISIS कौन सही दाबेदार है और कुरान तथा अल्लाह का रहगुजर है।
पाकिस्तान चाहता है कि तालिबान गुट अब्दुल गनी बरादर अफगानिस्तान की सरकार का नेतृत्व न कर हक्कानी नेटवर्क करें। हक्कानी नेटवर्क पर पाकिस्तान का पूरा नियंत्रण है। उसके लिए बाकायदा ISI चीफ अफगानिस्तान पहुँचे हैं, जिससे दो बार विफल हुए सरकार गठन का काम पूरा किया जा सके। मीडिया चैनल पंजशीर लाइव ने दावा किया है कि हक्कनी नेटवर्क और तालिबान में नेता को लेकर हुए विवाद में गोली चलने से बरादर घायल हो गया है।
हिन्द के मुस्लिममीन की तरफ से मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तालिबान का इस्तकबाल किया है, उन्हें स्वतंत्रता की लड़ाई जीतने की बधाई दी है। भारत का मुस्लिम जैसे मजबूरी में ही भारत में रुका है क्योंकि इतिहास साक्षी है कि 99% से ज्यादा मुस्लिम वोटिंग में अपना मत जिन्ना की लीग को दिया था। हिन्दू कितना भी मुस्लिम को सम्मान दे ले, लेकिन अधिकांश मुसलमान हिन्द की भूमि को मादरे वतन नहीं मानते। भारत को कुफ्र कहते हैं। भारत के मुसलमान के नाम, पहनावे, खान- पान में अरबी और मध्य एशिया की नकल है।
भारत के मौलवियों को चीन द्वारा उईगुर मुसलमानों का शोषण नहीं दिखाई पड़ता है, उन्हें गुजरात दंगा, 370 और NRC की बहुत पीड़ा है। भारत के पड़ोसी मुस्लिम देश पाकिस्तान, बंगलादेश, अफगानिस्तान, मालदीव का मुसलमान भारत में शरण चाहता है जबकि भारत मे रहने वाला मुसलमान डरा हुआ है। ऐसा क्यों है? न सेकुलर, न मौलवी इसका उत्तर दे पाते हैं।
भारत में एक नया चलन चला है, कल तक सेकुलर हिन्दू आज सेकुलर सनातनी बन गया है, वे श्री राममन्दिर के निर्माण का श्रेय कोर्ट को देते हैं। पूर्व सरकारों में भी यही कोर्ट थी तब निर्णय को नहीं ले लिया? सेकुलर सनातनीयों के तरह तरह के प्रश्न हैं, यह शुद्ध नहीं या सही नहीं है। RSS मुस्लिमों को बढ़ा रही है, वहीं भारत से लेकर पाकिस्तान और बांग्लादेश के मुस्लिम अपने धर्म में RSS जैसा संगठन और मोदी जैसा नेता चाहते हैं।
ऐसा लगता है कि भारत का मुस्लिम अभी 1000 वर्ष बाद भी भारत के विरोध में ही रहेगा, जब तक भारत, दारुल हर्ब से दारुल इस्लाम न हो जाये। कुछ लोग अपने को प्रगतिशील कहते हैं, सिर्फ हिन्दू धर्म को गाली देने और मखौल उड़ाने के लिए।
भारत में मुस्लिम न शांत रहा है, न शांत रहेगा। बल्कि यह देश हिंदुओं का है, बहुलता इन्ही की है कदम इन्हें ही उठाने होंगे। सोचिये कल अफगानिस्तान और पाकिस्तान की स्थिति भारत में हो जाये तब हिंदुओं को कौन देश शरण देगा.. नेपाल?
उदारता का परिणाम है कि अब्दुल और हसन के 13-13 बच्चे होकर सभी छोटे आर्थिक उपक्रम पर कब्जा जमाये हैं। भारत के संसाधनों को चट कर जा रहे हैं। ट्रेन से लेकर बस में मारामारी बनी है।
धर्म के मर्म को न समझने वाले हिंदुओं को जानना चाहिए कि पूरे विश्व में हुए आज तक के युद्ध के पीछे धर्म ही रहा है। सिर्फ सनातन धर्म के लोग ही अन्य लोगों को सताने को पाप कहते हैं।
नोट: प्रस्तुत लेख, लेखक के निजी विचार हैं, यह आवश्यक नहीं कि संभाषण टीम इससे सहमत हो।
***